गैरसैंण में जल्द ही विधानसभा का सत्र आयोजित

देहरादून, जागरण ब्यूरो: राज्य गठन के साढ़े ग्यारह साल बाद भी जहां प्रदेश की स्थायी राजधानी का मसला सुलझ नहीं पाया है, वहीं गैरसैंण में जल्द ही विधानसभा का सत्र आयोजित करने के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बयान से प्रदेश में सियासत गरमा गई है। सीएम के बयान से गैरसैंण के मुद्दे को लेकर सियासी हलकों में एक बार फिर हलचल मच गई है। विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी जहां कांग्रेस सरकार को इसके लिए गैरसैंण में जरूरी व्यवस्थाएं जुटाने की नसीहत दे रही है, वहीं सरकार में शामिल बहुजन समाज पार्टी का कहना है कि इससे विकास की गति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है, लेकिन यदि मुख्यमंत्री चाहते हैं तो उन्हें इसमें कोई आपत्ति भी नहीं है।
पहाड़ी राज्य उत्तराखंड को अस्तित्व में आए साढ़े ग्यारह साल बीत चुके हैं। इस लंबे वक्फे में चार सरकारें और छह मुख्यमंत्री बदले जा चुके हैं, लेकिन राज्यवासियों की भावनाओं से जुड़ा स्थायी राजधानी का मसला अभी तक नहीं सुलझ पाया। राजधानी व गैरसैंण के मुद्दों पर जमकर सियासत होती रही, तो पहाड़ों में विकास की किरण न पहुंचने का मुद्दा भी जोरशोर से उठता रहा है। पिछले लंबे समय से हाशिये पर नजर आ रहा स्थायी राजधानी का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।
इस बार इस मुद्दे को गैरसैंण में आयोजित जनसभा में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की एक घोषणा ने हवा दी है। मुख्यमंत्री ने गैरसैंण में जल्द ही विधानसभा का सत्र आयोजित करने का ऐलान किया है। साथ ही, इस संबंध में कैबिनेट व विधानसभा में आम सहमति बनाने की कोशिश करने की बात भी कही। सीएम की यह घोषणा धरातल पर उतरे या न उतरे, लेकिन फिलहाल स्थायी राजधानी के मुद्दे पर प्रदेश में एक बार फिर सियासी पारा ऊपर चढ़ गया है। मुख्यमंत्री की घोषणा पर राजनीतिक दलों में अलग-अलग प्रतिक्रिया है।
विपक्षी दल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल का कहना है कि कांग्रेस सरकार को पहले विधानसभा सत्र के लिए गैरसैंण में जरूरी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करनी चाहिए। उसके बाद ही इस तरह की कोई घोषणा करने का औचित्य है। वहीं, सरकार में शामिल बसपा कोटे से मंत्री सुरेंद्र राकेश का कहना है कि गैरसैंण में सत्र आयोजित करने से विकास की गति पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। फिर राज्य की कमजोर आर्थिक स्थिति के बीच वहां विधानसभा सत्र की व्यवस्थाएं जुटाना भी बड़ा सवाल है, लेकिन यदि मुख्यमंत्री चाहते हैं तो उन्हें इसमें कोई आपत्ति भी नहीं है।
तीन राज्यों में है ऐसी व्यवस्था
जम्मू-कश्मीर, हिमाचल व महाराष्ट्र ऐसे तीन राज्य हैं, जहां दो स्थानों पर विधानसभा सत्र आयोजित होते हैं। जम्मू-कश्मीर की राजधानी जम्मू के अलावा ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में भी ग्रीष्मकालीन सत्र आयोजित होते हैं। इसी तरह हिमाचल में शिमला व धर्मशाला और महाराष्ट्र में मुंबई व नागपुर में विधानसभा सत्र आयोजित होते हैं।Source :
Dainik Jagran