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Do you feel that the Capital of Uttarakhand should be shifted Gairsain ?

Yes
97 (70.8%)
No
26 (19%)
Yes But at later stage
9 (6.6%)
Can't say
5 (3.6%)

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Voting closed: March 21, 2024, 12:04:57 PM

Author Topic: Should Gairsain Be Capital? - क्या उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण होनी चाहिए?  (Read 349032 times)


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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राजधानी केवल गैर सैन

We need capital to be shifted to Gairsain.



Ajay Pandey

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mera parichay
« Reply #604 on: May 02, 2012, 12:57:06 AM »
मेरा पहाड़ से जुड़ने का सौभाग्य मुझे तब प्राप्त हुआ जब मैंने यह वेबसाइट खोली मेरा पहाड़ पर में अपना परिचय देना चाहता हूँ मेरा नाम अजय पाण्डेय है में अभी pt  यादराम secondary  पब्लिक स्कूल में पढ़ रहा हूँ में ग्राम गेरार का हूँ पर पिता की नौकरी की वजह से में दिल्ली में रहता हूँ और मेरे पास इतना पैसा नहीं की में इस फोरम को कुछ दान दे सकू पर में इस फोरम को अपने लेखों द्वारा सहयोग प्रदान करूंगा अभी अभी एक मुद्दा इस फोरम के सामने आया है की गैरसैण को राजधानी बनाया जाए या नहीं इस पर मेरा एक लेख
गैरसैण को राजधानी बनाया जाना चाहिए या नहीं
देहरादून को राजधानी न बनाकर गैरसैण को राजधानी बनाया जाना चाहिए क्योंकि गैरसैण सभी राज्यों के केंद्र में है क्योंकि गैरसैण सभी जगह से नजदीक पढता है इसलिए गैरसैण ही राजधानी होनी चाहिए क्योंकि गैरसैण को राजधानी बनाने के से kumaon  का विकास होगा नहीं तो kumaon  पिछड़ा रहेगा और हाँ अभी अभी मेरे गाँव में एक चिकित्सालय बनाने की योजना आई थी लेकिन नहीं बना चिकित्सालय गैरसैण अगर उत्तराखंड की राजधानी बनेगी तो उत्तराखंड का विकास संभव है और अच्छे से kumaon  का विकास होगा उत्तराखंड के राजधानी चयन आयोग ने भी गैरसैण को ही राजधानी बनाने का प्रस्ताव रखा था पर खंडूरी साहब और पोखरियाल साहब ने देहरादून को ही राजधानी बना दिया पर यह नहीं होना चाहिए गैरसैण को ही उत्तराखंड की राजधानी बनाया जाना चाहिए क्योंकि उत्तराखंड की राजधानी अगर गैरसैण होगी तो ही उत्तराखंड विकास की राह पर होगा राजधानी देहरादून न होकर गैरसैण ही होना चाहिए क्योंकि गैरसैण की राजधानी बनने से kumaon  फायदे में होगा हम नहीं इसलिए विजय बहुगुणा साहब से अनुरोध करते हैं की राजधानी गैरसैण ही बने क्योंकि गैरसैण के राजधानी बनने से kumaon  विकास की राह पर होगा सभी पर्दार्शिताएं उत्तराखंड के विकास में आएँगी और kumaon  विकास का हब बनकर उभरेगा येही हम चाहते भी हैं इसका मुद्दा उत्तराखंड क्रांति दल को विधानसभा में उठाना चाहिए और राजधानी गैरसैण को ही बनाना चाहिए अगर गैरसैण को राजधानी नहीं बनाना चाहते तो यह राजधानियां होनी चाहिए द्वाराहाट रानीखेत kaphda  और गेरार अगर इन गाँव को राजधानी नहीं बनाते तो राजधानी गैरसैण ही हो और राजधानी हम नहीं चाहते खासकर गढ़वाल की जय उत्तराखंड
धन्यवाद
उत्तराखंड के हित में अजय पाण्डेय द्वारा जारी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Thank u Ajay for appreciating the Merapahadforum.com

We appreciate your views on capital issue. Hope one day, UK's capital will be shifted to Gairsain.

मेरा पहाड़ से जुड़ने का सौभाग्य मुझे तब प्राप्त हुआ जब मैंने यह वेबसाइट खोली मेरा पहाड़ पर में अपना परिचय देना चाहता हूँ मेरा नाम अजय पाण्डेय है में अभी pt  यादराम secondary  पब्लिक स्कूल में पढ़ रहा हूँ में ग्राम गेरार का हूँ पर पिता की नौकरी की वजह से में दिल्ली में रहता हूँ और मेरे पास इतना पैसा नहीं की में इस फोरम को कुछ दान दे सकू पर में इस फोरम को अपने लेखों द्वारा सहयोग प्रदान करूंगा अभी अभी एक मुद्दा इस फोरम के सामने आया है की गैरसैण को राजधानी बनाया जाए या नहीं इस पर मेरा एक लेख
गैरसैण को राजधानी बनाया जाना चाहिए या नहीं
देहरादून को राजधानी न बनाकर गैरसैण को राजधानी बनाया जाना चाहिए क्योंकि गैरसैण सभी राज्यों के केंद्र में है क्योंकि गैरसैण सभी जगह से नजदीक पढता है इसलिए गैरसैण ही राजधानी होनी चाहिए क्योंकि गैरसैण को राजधानी बनाने के से kumaon  का विकास होगा नहीं तो kumaon  पिछड़ा रहेगा और हाँ अभी अभी मेरे गाँव में एक चिकित्सालय बनाने की योजना आई थी लेकिन नहीं बना चिकित्सालय गैरसैण अगर उत्तराखंड की राजधानी बनेगी तो उत्तराखंड का विकास संभव है और अच्छे से kumaon  का विकास होगा उत्तराखंड के राजधानी चयन आयोग ने भी गैरसैण को ही राजधानी बनाने का प्रस्ताव रखा था पर खंडूरी साहब और पोखरियाल साहब ने देहरादून को ही राजधानी बना दिया पर यह नहीं होना चाहिए गैरसैण को ही उत्तराखंड की राजधानी बनाया जाना चाहिए क्योंकि उत्तराखंड की राजधानी अगर गैरसैण होगी तो ही उत्तराखंड विकास की राह पर होगा राजधानी देहरादून न होकर गैरसैण ही होना चाहिए क्योंकि गैरसैण की राजधानी बनने से kumaon  फायदे में होगा हम नहीं इसलिए विजय बहुगुणा साहब से अनुरोध करते हैं की राजधानी गैरसैण ही बने क्योंकि गैरसैण के राजधानी बनने से kumaon  विकास की राह पर होगा सभी पर्दार्शिताएं उत्तराखंड के विकास में आएँगी और kumaon  विकास का हब बनकर उभरेगा येही हम चाहते भी हैं इसका मुद्दा उत्तराखंड क्रांति दल को विधानसभा में उठाना चाहिए और राजधानी गैरसैण को ही बनाना चाहिए अगर गैरसैण को राजधानी नहीं बनाना चाहते तो यह राजधानियां होनी चाहिए द्वाराहाट रानीखेत kaphda  और गेरार अगर इन गाँव को राजधानी नहीं बनाते तो राजधानी गैरसैण ही हो और राजधानी हम नहीं चाहते खासकर गढ़वाल की जय उत्तराखंड
धन्यवाद
उत्तराखंड के हित में अजय पाण्डेय द्वारा जारी

kundan singh kulyal

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गैरसैण राजधानी कब बनेगी ये पहाड़ प्रेमियों के सामने सबसे बड़ा सवाल हैं सवाल ये भी हैं की पहाड़ी लोग ही नहीं चाहते की यहाँ राजधानी बने अगर चाहते तो सायद चुनावों मैं भी ये मुद्दा होता जिसने भी राजधानी का मुद्दा चुनावो मैं उठाया वो चुनाव हार गया इसका मतलब साफ हैं की पहाड़ी जनता क्या चाहती हम पहाड़ी कैसे अपने असली मुद्दों से भटक गए ये एक गंभीर बिषय हैं जिसमें सभी पहाड़ियों को गहरा चिंतन करने की आवश्यकता हैं अभी फिर ५ साल तक तो इंतजार करना ही पड़ेगा क्युकी जब हमारे पहाड़ी मुख्यमंत्री इस ओर एक भी कदम नहीं बढ़ाये तो हम इन इलाहाबादी साहब से तो उम्मीद ही नहीं कर सकते की ये महाशय गैरसैण की ओर कोई कदम उठायंगे

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गैरसैण राजधानी कब बनेगी ये पहाड़ प्रेमियों के सामने सबसे बड़ा सवाल हैं सवाल ये भी हैं की पहाड़ी लोग ही नहीं चाहते की यहाँ राजधानी बने अगर चाहते तो सायद चुनावों मैं भी ये मुद्दा होता जिसने भी राजधानी का मुद्दा चुनावो मैं उठाया वो चुनाव हार गया इसका मतलब साफ हैं की पहाड़ी जनता क्या चाहती हम पहाड़ी कैसे अपने असली मुद्दों से भटक गए ये एक गंभीर बिषय हैं जिसमें सभी पहाड़ियों को गहरा चिंतन करने की आवश्यकता हैं अभी फिर ५ साल तक तो इंतजार करना ही पड़ेगा क्युकी जब हमारे पहाड़ी मुख्यमंत्री इस ओर एक भी कदम नहीं बढ़ाये तो हम इन इलाहाबादी साहब से तो उम्मीद ही नहीं कर सकते की ये महाशय गैरसैण की ओर कोई कदम उठायंगे


Thank u daju.. I think these political class has been successful to divide uttarakhandi into two. i.e. in favour of Gairsain or Dehradoon. but we have to continue our fight. Day will come when Rajdhani will be shifted to Gairsain.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 गैरसैंण में जल्द ही विधानसभा का सत्र आयोजित

 देहरादून, जागरण ब्यूरो: राज्य गठन के साढ़े ग्यारह साल बाद भी जहां प्रदेश की स्थायी राजधानी का मसला सुलझ नहीं पाया है, वहीं गैरसैंण में जल्द ही विधानसभा का सत्र आयोजित करने के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बयान से प्रदेश में सियासत गरमा गई है। सीएम के बयान से गैरसैंण के मुद्दे को लेकर सियासी हलकों में एक बार फिर हलचल मच गई है। विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी जहां कांग्रेस सरकार को इसके लिए गैरसैंण में जरूरी व्यवस्थाएं जुटाने की नसीहत दे रही है, वहीं सरकार में शामिल बहुजन समाज पार्टी का कहना है कि इससे विकास की गति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है, लेकिन यदि मुख्यमंत्री चाहते हैं तो उन्हें इसमें कोई आपत्ति भी नहीं है।
पहाड़ी राज्य उत्तराखंड को अस्तित्व में आए साढ़े ग्यारह साल बीत चुके हैं। इस लंबे वक्फे में चार सरकारें और छह मुख्यमंत्री बदले जा चुके हैं, लेकिन राज्यवासियों की भावनाओं से जुड़ा स्थायी राजधानी का मसला अभी तक नहीं सुलझ पाया। राजधानी व गैरसैंण के मुद्दों पर जमकर सियासत होती रही, तो पहाड़ों में विकास की किरण न पहुंचने का मुद्दा भी जोरशोर से उठता रहा है। पिछले लंबे समय से हाशिये पर नजर आ रहा स्थायी राजधानी का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।
इस बार इस मुद्दे को गैरसैंण में आयोजित जनसभा में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की एक घोषणा ने हवा दी है। मुख्यमंत्री ने गैरसैंण में जल्द ही विधानसभा का सत्र आयोजित करने का ऐलान किया है। साथ ही, इस संबंध में कैबिनेट व विधानसभा में आम सहमति बनाने की कोशिश करने की बात भी कही। सीएम की यह घोषणा धरातल पर उतरे या न उतरे, लेकिन फिलहाल स्थायी राजधानी के मुद्दे पर प्रदेश में एक बार फिर सियासी पारा ऊपर चढ़ गया है। मुख्यमंत्री की घोषणा पर राजनीतिक दलों में अलग-अलग प्रतिक्रिया है।
विपक्षी दल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल का कहना है कि कांग्रेस सरकार को पहले विधानसभा सत्र के लिए गैरसैंण में जरूरी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करनी चाहिए। उसके बाद ही इस तरह की कोई घोषणा करने का औचित्य है। वहीं, सरकार में शामिल बसपा कोटे से मंत्री सुरेंद्र राकेश का कहना है कि गैरसैंण में सत्र आयोजित करने से विकास की गति पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। फिर राज्य की कमजोर आर्थिक स्थिति के बीच वहां विधानसभा सत्र की व्यवस्थाएं जुटाना भी बड़ा सवाल है, लेकिन यदि मुख्यमंत्री चाहते हैं तो उन्हें इसमें कोई आपत्ति भी नहीं है।
तीन राज्यों में है ऐसी व्यवस्था
जम्मू-कश्मीर, हिमाचल व महाराष्ट्र ऐसे तीन राज्य हैं, जहां दो स्थानों पर विधानसभा सत्र आयोजित होते हैं। जम्मू-कश्मीर की राजधानी जम्मू के अलावा ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में भी ग्रीष्मकालीन सत्र आयोजित होते हैं। इसी तरह हिमाचल में शिमला व धर्मशाला और महाराष्ट्र में मुंबई व नागपुर में विधानसभा सत्र आयोजित होते हैं।Source : Dainik Jagran

Devbhoomi,Uttarakhand

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Vidhan sabha ka satr shuru hone ja rha hai whan  tak theek hai lekin Gairsain rajdhani kabe  banegi ye Abhi  tak Ptaa nahin hai

 

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