Poll

Do you feel that the Capital of Uttarakhand should be shifted Gairsain ?

Yes
97 (70.8%)
No
26 (19%)
Yes But at later stage
9 (6.6%)
Can't say
5 (3.6%)

Total Members Voted: 136

Voting closed: March 21, 2024, 12:04:57 PM

Author Topic: Should Gairsain Be Capital? - क्या उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण होनी चाहिए?  (Read 349033 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देव भूमि बद्री-केदार नाथAugust 8शहादत व्यर्थ गयाई ,भुल ग्याई  मेरु गढ़
 याद कैन कैका बाण
 गैर सैण चन्द्र नगर
 म्यार दगडी हर्ची गैण 
 मी बाबा मोहन उत्तराखंडी
 कैक बाण लड्युं मी
 कैक बाण मरोयुं मी
 मेरु बलिदान व्यर्थ गैण
 
 १३ बार अनशन क्याई
 दिद्यों भुल्हों माट ही वहई
 सिया रैगेनी सरकार अपरा
 भूखी रै जग छोड़ दयाई 
 कैक बाण लड्युं मी
 कैक बाण मरोयुं मी
 मेरु बलिदान व्यर्थ गैण
 
 याद आणू बस मी
 ८ अगस्त मयारू शहदत दिण
 म्यार सुप्निया सभी बल गैनी
 यु पी  उतरांचल  उत्तराखंड व्हैनी
 कैक बाण लड्युं मी
 कैक बाण मरोयुं मी
 मेरु बलिदान व्यर्थ गैण
 
 अंदोलनकरी जो भी लाग्यां
 दर दर बाट बिरडाया दिख्याँ
 जोश आणू बस एक दिन मा
 फुंडा व्है जाणु दोई घड़ी मा   
 कैक बाण लड्युं मी
 कैक बाण मरोयुं मी
 मेरु बलिदान व्यर्थ गैण
 
 याद कैन कैका बाण
 गैर सैण चन्द्र नगर
 म्यार दगडी हर्ची गैण 
 मी बाबा मोहन भंडरी
 कैक बाण लड्युं मी
 कैक बाण मरोयुं मी
 मेरु बलिदान व्यर्थ गैण
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
 मेरा ब्लोग्स
 http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
 मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत — with राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' and 47 others. Photo: शहादत व्यर्थ गयाई ,भुल ग्याई  मेरु गढ़ याद कैन कैका बाण गैर सैण चन्द्र नगर म्यार दगडी हर्ची गैण मी बाबा मोहन उत्तराखंडी कैक बाण लड्युं मी कैक बाण मरोयुं मी मेरु बलिदान व्यर्थ गैण १३ बार अनशन क्याई दिद्यों भुल्हों माट ही वहई सिया रैगेनी सरकार अपरा भूखी रै जग छोड़ दयाई कैक बाण लड्युं मी कैक बाण मरोयुं मी मेरु बलिदान व्यर्थ गैण याद आणू बस मी ८ अगस्त मयारू शहदत दिण म्यार सुप्निया सभी बल गैनी यु पी  उतरांचल  उत्तराखंड व्हैनी कैक बाण लड्युं मी कैक बाण मरोयुं मी मेरु बलिदान व्यर्थ गैण अंदोलनकरी जो भी लाग्यां दर दर बाट बिरडाया दिख्याँ जोश आणू बस एक दिन मा फुंडा व्है जाणु दोई घड़ी मा कैक बाण लड्युं मी कैक बाण मरोयुं मी मेरु बलिदान व्यर्थ गैण याद कैन कैका बाण गैर सैण चन्द्र नगर म्यार दगडी हर्ची गैण मी बाबा मोहन भंडरी कैक बाण लड्युं मी कैक बाण मरोयुं मी मेरु बलिदान व्यर्थ गैण बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथ मेरा ब्लोग्स http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत height=403

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 उत्तराखंड की राजधानी का मुद्दा बरसों से ठंडे बसते में पड़ा हुआ हैं!
 उत्तराखंड राज्य और राजधानी का मुद्दा बाकायदा जुड़वे मुद्दा हैं और स्थाई
 राजधानी का मुद्दा उतना ही पुराना हैं जितना की उत्तराखंड राज्य की मांग का
 मुद्दा! सन १९९४ में, तत्कालीन उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार
 द्वारा गठित कौशिक समिति ने उत्तराखंड राज्य गठन पर अपनी प्रस्तुत रिपोर्ट में
 भी गैरसैण को उत्तराखंड राज्य की राजधानी के लिए उपयुक्त स्थान बताया था! अब
 कथित तौर पर हमे एक अध्-कचरा राज्य तो मिल गया हैं, पर राज्य की स्थाई राजधानी
 का मुद्दा अभी भी ठन्डे बस्ते में पड़ा हुआ हैं! चाहे स्वामी/कोशियारी/खंडूरी
 की भाजपा सरकार हो अथवा विजय बहुगुणा  की कांग्रेस सरकार, सब ने राजधानी के
 मुद्दे पर टाल-मटोली की! जनता ने समय समय पर राजधानी को गैरसैण स्थानान्तरित
 करने की मांग की जिसमे श्री मोहन सिंह नेगी जिन्हें बाबा उत्तराखंडी के नाम से
 भी जाना जाता था, आमरण अनशन करते हुए अपने प्राण त्याग दिए थे! इनका मत यह हैं
 की अगर राजधानी मुद्दे पर कोई ठोस निर्णय ले लिया तो पहाड़ अथवा मैदानी भू-भाग
 के लोग भड़क सकते हैं! 
  अगर राजधानी  देहरादून, रामनगर और कालागढ़ को सर्कार राजधानी बनती है , तो यह
 नगर मैदानी क्षेत्र में आते हैं, इससे पर्वतीय राज की मूल अवधारण पर ही
 प्रश्न-चिन्ह लग जाता हैं! देहरादून में पिछले ११ वर्सो  से अस्थाई राजधानी
 हैं, पर उससे राज्य के विकास कार्य का तो बंटाधार तो हुआ ही हैं! अफसर और
 मंत्री अपने क्षेत्रों में ना रह कर देहरादून में ही अपनी अय्याशी का अड्डा
 बनाये हुए हैं! पहाड़ की वास्तविक स्थिति से किसी को कुछ भी भान नहीं हैं! कम
 से कम गैरसैण राजधानी स्थानान्तरित होने से इन सब अफसर मंत्रियों को पहाड़ में
 कम से कम १५०-२०० किलोमीटर अन्दर जाना पड़ेगा तभी तो पहाड़ की वास्तविक स्थिति
 का भान होगा! केवल सड़क, पुल, विद्युत परियोजनाएं ही विकास नहीं हैं! आज पहाड़
 में खेती-बाड़ी ख़त्म हो रहीहैं, पशुधन भी ख़त्म हो रहा हैं, पारंपरिक उद्योग
 भी धीरे धीरे ख़त्म हो रहे हैं! जल, जंगल और जमीन से भी जनता को तरह तरह के
 नियम कानून बना कर बे-दखल किया जा रहा हैं! जल और जवानी का उत्तराखंड से पलायन
 आज भी जारी हैं! किसी ने ठीक ही कहा की उत्तराखंड का जल और जवानी उत्तराखंड के
 काम नहीं आते! अगर प्रदेश की सरकारी हुक्मरानों और मंत्रियों को राज्य की
 वास्तविक दशा देखनी हैं, तो इनको पहाड़ के अन्दर जाना होगा और यह तभी हो सकता
 हैं जब राजधानी प्रदेश के नादर स्थापित हो न की प्रदेश की मैदानी सीमा पर!
Unlike


हेम पन्त

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डॉक्टर, वकील, पत्रकार , लेखक आदि समेत राज्य का अधिकाश आमजन चाहता है कि स्थयी राजधानी के मसले को लटकाया ना जाये l स्थायी राजधानी के मुद्दे पर अधिकतर लोगो की राय गैरसैण के पक्ष में है l

देहरादून के वकील, होटल मालिक, व्यवसायी तथा यहाँ प्रस्तावित राजधानी क्षेत्र नाथूवाला के निवासी तक भी यही चाहते है कि राज्य की
राजधानी पहाड़ पर होनी चाहिये l

अब सवाल उठता है कि जब गैरसैण राजधानी को लेकर कहीं कोई विरोध नहीं है तों राज्य के सत्ताधारी दल इस पर फैसला लेने से क्यों बचते रहें हैं ?

सरकार 2-अक्टूबर को गैरसैण में प्रस्तावित केबिनेट की बैठक को दूरस्थ क्षेत्र में विकास की पहल के रूप में प्रचारित कर रही हैं, क्या यह काम देहरादून में बैठकर नहीं हो सकता ? अगर नहीं, पहाड़ की समस्याओं को समझने के लिये पहाड़ पर ही केबिनेट का बैठना जरूरी है तों फिर दूरस्थ सीमान्त जिलो उत्तरकाशी, चमोली एवं पिथोरागढ़ का कोई एक स्थान क्यों नहीं ? गैरसैण में आज हर वो सुविधा मौजूद है जो उसे तथाकथित विकास की दृष्टि से पिछड़ा तों कतई साबित नहीं करता ! फिर यह पिछड़ेपन का प्रचार क्यों ?

गैरसैण को लेकर इन लम्पट राजनेताओं की ये शोशेबाजी कब बन्द होगी ? क्यों बार-बार गैरसैण के नाम पर अपने फायदे की राजनीती कर वास्तविक राज्य आंदोलकारियों के जख्मो को कुरेदने का काम करते है ?

सरकार 2-अक्टूबर को गैरसैण में प्रस्तावित केबिनेट की बैठक को स्थायी राजधानी के सवाल पर जोडने की हिम्मत क्यों नहीं दिखा पा रही है ?

(आभार:दैनिक हिन्दुस्तान)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Bahugunda Govt should atleast announce decision on this important matter. Cabinet meet in Gairsain should not be a picnic point for the Govt otherwise this meeting should be boycotted. 

डॉक्टर, वकील, पत्रकार , लेखक आदि समेत राज्य का अधिकाश आमजन चाहता है कि स्थयी राजधानी के मसले को लटकाया ना जाये l स्थायी राजधानी के मुद्दे पर अधिकतर लोगो की राय गैरसैण के पक्ष में है l

देहरादून के वकील, होटल मालिक, व्यवसायी तथा यहाँ प्रस्तावित राजधानी क्षेत्र नाथूवाला के निवासी तक भी यही चाहते है कि राज्य की
राजधानी पहाड़ पर होनी चाहिये l

अब सवाल उठता है कि जब गैरसैण राजधानी को लेकर कहीं कोई विरोध नहीं है तों राज्य के सत्ताधारी दल इस पर फैसला लेने से क्यों बचते रहें हैं ?

सरकार 2-अक्टूबर को गैरसैण में प्रस्तावित केबिनेट की बैठक को दूरस्थ क्षेत्र में विकास की पहल के रूप में प्रचारित कर रही हैं, क्या यह काम देहरादून में बैठकर नहीं हो सकता ? अगर नहीं, पहाड़ की समस्याओं को समझने के लिये पहाड़ पर ही केबिनेट का बैठना जरूरी है तों फिर दूरस्थ सीमान्त जिलो उत्तरकाशी, चमोली एवं पिथोरागढ़ का कोई एक स्थान क्यों नहीं ? गैरसैण में आज हर वो सुविधा मौजूद है जो उसे तथाकथित विकास की दृष्टि से पिछड़ा तों कतई साबित नहीं करता ! फिर यह पिछड़ेपन का प्रचार क्यों ?

गैरसैण को लेकर इन लम्पट राजनेताओं की ये शोशेबाजी कब बन्द होगी ? क्यों बार-बार गैरसैण के नाम पर अपने फायदे की राजनीती कर वास्तविक राज्य आंदोलकारियों के जख्मो को कुरेदने का काम करते है ?

सरकार 2-अक्टूबर को गैरसैण में प्रस्तावित केबिनेट की बैठक को स्थायी राजधानी के सवाल पर जोडने की हिम्मत क्यों नहीं दिखा पा रही है ?

(आभार:दैनिक हिन्दुस्तान)


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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चन्द्रशेखर करगेती5 hours agoविधानसभा की दुसरी किस्त का 88.00 करोड़ किसने आवंटित किया और कब आवंटित हुआ ?
 
 अगर विधानसभा भवन के लिये दूसरी किस्त का 88.00 करोड़  रूपये आवंटित हुआ है तों गैरसैण में 20.00 करोड़ ही क्यों लगाया जा रहा है ?
 
 बाकी बचा 68.00 करोड़ कहाँ लगेगा, इस प्रश्न का उत्तर भी लिया जाना जरूरी है ?
 
 गैरसैण जैसे संवेदनशील और राज्य आन्दोलन की अस्मिता से जुड़े मुद्दे को अपने राजनैतिक फ़ायदे के लिये इस्तेमाल करने से बाज आयें राजनेता !
 
 अगर राजनेता गैरसैण का जो हक है उसे नहीं देते है तों राज्य की जनता को फिर एक नये राज्य आन्दोलन के लिये तैयार रहना चाहिये.......
 
 कब तक इन राजनेताओं को अपनी भावनाओं से खेलने देते रहोगे ? — with Usha Negi and 71 others. Photo: विधानसभा की दुसरी किस्त का 88.00 करोड़ किसने आवंटित किया और कब आवंटित हुआ ? अगर विधानसभा भवन के लिये दूसरी किस्त का 88.00 करोड़  रूपये आवंटित हुआ है तों गैरसैण में 20.00 करोड़ ही क्यों लगाया जा रहा है ? बाकी बचा 68.00 करोड़ कहाँ लगेगा, इस प्रश्न का उत्तर भी लिया जाना जरूरी है ? गैरसैण जैसे संवेदनशील और राज्य आन्दोलन की अस्मिता से जुड़े मुद्दे को अपने राजनैतिक फ़ायदे के लिये इस्तेमाल करने से बाज आयें राजनेता ! अगर राजनेता गैरसैण का जो हक है उसे नहीं देते है तों राज्य की जनता को फिर एक नये राज्य आन्दोलन के लिये तैयार रहना चाहिये....... कब तक इन राजनेताओं को अपनी भावनाओं से खेलने देते रहोगे ? height=4035Like ·  · Share

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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If CM Bahuguna is organizing a cabinet Meeting in gairsin on 2 Oct 12, so there should be output of this meet otherwise we don't need somebody play with the sentiment of people for political benefits.


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य चबोड़  इ चबोड़ मा, हौंस इ हौंस मा                                          चला गैरसैण मा पिकनिक मनौला !                                                            चबोड्या-   भीष्म कुकरेती  [ गैरसैण पर  हास्य व्यंग्य; गैरसैण पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गैरसैण पर उत्तराखंडी  हास्य व्यंग्य;गैरसैण पर  मध्य हिमालयी हास्य व्यंग्य;गैरसैण पर  हिमालयी हास्य व्यंग्य;गैरसैण पर  उत्तर भारतीय हास्य व्यंग्य;गैरसैण पर  भारतीय हास्य व्यंग्य;गैरसैण पर भारतीय उप महाद्वीपीय  हास्य व्यंग्य;गैरसैण पर  दक्षिण एशियाई हास्य व्यंग्य;गैरसैण पर एशियाई  हास्य व्यंग्य]  - ह्यां मीन ब्वाल, मंत्री जी ! सुणणा छंवां ! - अरे टौमी की ब्व़े ! अब कै  कैक जी सूणु  ! हाई कमांड कि सूणु , मुख्यमंत्री क सूणु , विपक्षियुं सूणु , जनता क सूणु या ब्यापारियुं क सूणु या तेरी ? - ह्यां पर टौमी क बुबा जी ! तुमि  त बुलणा छया बल हाई कमांड जादा नि सुणाओ का बान तुमन चापलूसी अर मखनबाजी क परमानेंट लेप लगायुं च अर कबि कबि पार्टी छोड़णो  धमकी क गोळि  बि तुम खांद इ छंवां .- टौमी क ब्व़े फिर बि कबि कबि यि चापलूसी का लेप अर धमकी क गोळि बि आउटडेटेड ह्व़े जान्दन भै ! - पण मंत्री जी अर आपन मुख्यमंत्री जादा नि सुणाओ  क बान छै एम्.एल.ए यूँ पैरायीं  रखड़ी बि त पैरीं च. विपक्षियुं क बान तुमन  घात प्रतिघात का कुखुड़ मार्यां इ छन अर फिर घाट-प्रतिघात का कुखुड़ मारणा इ रौंदवां . -हाँ पर ! - अर जनता क रूणो - किराट, ऐड़ाट भुभ्याट नि सुण्याओ त तुमन अपण कंदुड़ो पर लोखारो कनपट्टा ल्गायाँ इ छन फिर क्यांक मै फर इथगा जोर से रुस्याणा छंवां  ?- अच्छा अछा ! क्या बुलणि छे, चौड़ बोल . मीम टैम नी च . ओ विधान सभा क सेसन गैरसैण मा हूणु च वांकी तैयारी मा लग्युं छौं . - ह्यां भलो ह्वाई मीन बि  त गैरसैणै बात इ करण  छे. - हैं ! मंत्री क कज्याण्यु   तैं  गैरसैण से क्या लीण दीण ?- हाँ उ ठीक च कि हमर भान गैरसैण क्या कखी बि बजुर पोड़ जैन धौं !  पण वु क्या च कि - अरे भै चौड़ बोल मी मा टैम नि च .मीन एक पहाड़ी औरतुं सम्बन्धी मीटिंग मा जाण - हाँ त मी बुलणु छौ बल हम मंत्र्युं अर कुछ विधायकूं कज्याण्युन निर्णय ले कि हम बि गैरसैण दिखणो जौंला - ओहो पण तुमन क्या करण उख ? - उ क्या च कि जरा दिखदां कि गढ़वाली अर कुमाऊं का पहाड़ क्या हुन्दन .कन खड़ा रौंदन इ कुमाऊं अर गढवाल का पहाड़ - पण तु त पहाड़ का नाम से इ चिरडे जांदी छे. - हाँ पण कबि कबि बडी बेज्जती  ह्व़े जांदी जब कवी मैदानी मंत्री क कज्याण पुछदी कि मी पहाड़ी मंत्री क वाइफ छौं त जरा पहाड़ क बारा मा कुछ बतौं .अर मै तै पहाड़ क बारा मा अ ब स बि ज्ञान नि छ. - या त भली बात च कि तुम लोग पहाड़ का ज्ञान का खातिर गैरसैण जाण चाणा छंवां  - धत्त ! हम गैरसैण पहाड़ का ज्ञान क बान थुका जाणा छंवां. हम त पिकनिक मनाणा  जाणा छंवां . पिकनिक क दगड्या दगड़  पहाड़ क्या हुन्दन यि बि देखी ल्योला - क्या क्या प्लान च पिकनिक का बारा मा ?-पैल त हम ख़ास  ख़ास जगा मा वीडियोग्रैफी करौंला  अर फिर वोमन पत्रिकाओं मा लेख छपवोंला - फिर हमन उख द्वी किटि  पार्टी बि उरायीं छन .-इंट्रेस्टिंग ! किटि पार्टी मा क्या प्रोग्रैम छन  ? - पैलाक दिन त बस ताश पार्टी च . हाँ दुसर दिन हमन उख स्पेनी खाणक बणवान .- पण गैरसैण मा स्पेनी खाणक बणाण वळ कख मीलल ?- नै नै हमन दिल्ली क एक पिकनिक सर्विस कम्पनी तै ऑर्डर दि आल.- अरे वाह यू त भौत इ बढिया प्रोग्रैम च - अर अलग अलग रात्यूं कुण   हमन संगीत प्रोग्रैम धर्याँ छन - एक रात अफ्रीकी जाज संगीत संध्या , हैंकि रात रसियन बैले  डांस अर म्यूजिक अर तिसरी  रात आयरिश फोक म्यूजिक अर डांस कु प्रोग्रैम च - अर यांको इंतजाम ? - दिल्ली क एक प्रसिद्ध इवेंट मैनेजमेंट कम्पनी यि सौब इंतजाम कौरली- पण क्वी गढ़वाली अर कुमाउनी फोक म्यूजिक ..?- तुम बि ना अबि बि गुफा मनुष्य क  ज़माना मा छंवां . मुख्य मंत्री क कज्याणि ठीकि बुलणि छे क्या धर्युं च वै पहाड़ी म्यूजिक मा .वींक बुलण सै च कि हम तै विदेसी म्यूजिक अर डांस कु ज्ञान जरुरी च -अर फिर तीसर दिन मा ?- वै दिन हम एक वार्ता करला. वार्ता क विषय च ' पहाड़ी औरतों की पीड़ा' - त तुम लोगुं न उखाकी जनन्यु दगड संपर्क कौरी याल कि ना ?- तुमर बि दिमाग खराब हु यूँ च . हम मंत्र्याणियूँ क इख ड्याराडूण  मा इके दु दु स्त्री सम्बंधित संस्था त खुल्यां छन ऊँ मादे द्वी चार अच्छा स्पीकर ली  जौंला . यू प्रोग्राम त हमन टैम काटणो खातिर धार. हम तै बोरियत नि आओ त यांक बान यू प्रोग्राम धार. - अर हौरी क्या क्या च ?- बस तीनि दिन त हमन गैरसैण मा पिकनिक मनाण . चौथो दिन हम इना ऐ जौंला . ये मेरी ब्व़े मीन त ब्यूटी क्लिनिक बि जाण . मी त जांदो  छौं - ये मेरी ब्व़े ! मीन त अबि 'पहाड़ो में औरतों के लिए कामगार शिक्षा ' क प्रोग्रैम मा जाण   Copyright@ Bhishma Kukreti 8/9/2012   गैरसैण पर  हास्य व्यंग्य; गैरसैण पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गैरसैण पर उत्तराखंडी  हास्य व्यंग्य;गैरसैण पर  मध्य हिमालयी हास्य व्यंग्य;गैरसैण पर  हिमालयी हास्य व्यंग्य;गैरसैण पर  उत्तर भारतीय हास्य व्यंग्य;गैरसैण पर  भारतीय हास्य व्यंग्य;गैरसैण पर भारतीय उप महाद्वीपीय  हास्य व्यंग्य;गैरसैण पर  दक्षिण एशियाई हास्य व्यंग्य;गैरसैण पर एशियाई  हास्य व्यंग्य  जारी  ..

--


Regards
B. C. Kukreti

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Now politics is being played with Gairsain.

गैरसैंण में नौ नवंबर को होगी मंत्रिमंडल की बैठक

पहाड़ी चमोली जिले के पिछड़े गैरसैंण इलाके में आगामी दो अक्टूबर को प्रस्तावित उत्तराखंड कैबिनेट की बैठक अब नौ नवंबर को होगी.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 10 अक्टूबर को होने वाले टिहरी लोकसभा उपचुनाव के कारण लागू आदर्श आचार संहिता के कारण दो अक्टूबर को प्रस्तावित मंत्रिमंडल बैठक की तिथि को बदल दिया गया है.
सूत्रों के अनुसार, उत्तराखंड सरकार ने चुनाव आयोग से पूर्व प्रस्तावित कार्यक्रम के तहत गैरसैंण में मंत्रिमंडल की बैठक करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन आयोग ने आचार संहिता लागू होने का हवाला देते हुए उसे नामंजूर कर दिया.
सूत्रों ने कहा कि 10 अक्टूबर को होने वाले टिहरी लोकसभा उपचुनाव के बाद अब मंत्रिमंडल की बैठक गैरसैण में नौ नवंबर को राज्य गठन की बरसी पर होगी.
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने राज्य की सत्ता संभालने के बाद पिछड़े इलाकों के विकास के लिये अपनी सरकार की प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते हुए गैरसैंण में दो अक्टूबर को मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित करने की घोषणा की थी. 
गैरसैंण उत्तराखंड के कुमांउ और गढ़वाल मंडलों के बीचोंबीच स्थित है और राज्य की जनता के लिये ‘भावनात्मक मुददा’ रहा है.
उत्तराखंड क्रांति दल जैसे क्षेत्रीय दल शुरू से ही वहां राजधानी बनाये जाने की मांग करते रहे हैं.

http://www.samaylive.com/regional-news-in-hindi/uttarakhand-news-in-hindi/170139/ec-reshuffles-uttrakhand-cabinet-meet.html

 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देव भूमि बद्री-केदार नाथ देर सबैर
 
 देर सबैर हो भी जली
 गढ़ राजधानी गढ़ मा आली
 कब तक प्याली नलकों को पानी
 पंतेद्र ऐकी ही वा.....तिस बुझली
 देर सबैर हो भी जली
 गढ़ राजधानी गढ़ मा ही आली
 
 देर हुंद सब दुरुस्त हुंदू
 ऐ मण मील पैल क्ख्क सुणयाली
 अब पुरी करण की बारी ऐई
 म्यार भुल्हा तेण क्ख्क मोक लुकाई
 देर सबैर हो भी जली
 गढ़ राजधानी गढ़ मा ही आली
 
 देर देर क्दगा दूँण हुंदू
 गढ़ देश तिल क्दगा फुंणडा होणों
 आपरा हक अब मंगीले दी
 गीच सील्युं क्या अब बोली लेदी
 देर सबैर हो भी जली
 गढ़ राजधानी गढ़ मा ही आली
 
 देर सबैर हो भी जली
 गढ़ राजधानी गढ़ मा आली
 कब तक प्याली नलकों को पानी
 पंतेद्र ऐकी ही वा.....तिस बुझली
 देर सबैर हो भी जली
 गढ़ राजधानी गढ़ मा ही आली
 
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
 मेरा ब्लोग्स
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