नमस्कार, इस विषय पर चर्चा शुरू कर के बहुत ही अच्छा काम हो रहा है.
मैं इस विषय पर दो बिन्दु रखना चाहूँगा. एक, यदि आप भारत के विभिन्न भागों मैं भ्रमण करें तो पायेंगे कि चाह वो गोवा हो या कि कोलकाता हो या कि तमिल नाडू, सही जगह स्थानीय लोग बहुत ही आलसी हैं अपने घर मैं और इसीलिए इन सभी जगहों पर बाहर से आए हुए लोग व्यापार पर कब्जा कर पाये हैं. गोवा मैं गोअनीस दिन मैं दूकान बंद कर लेते हैं और शाम तक मस्त रहते हैं. इस लिए व्यापार मलयाली लोगों के कब्जे मैं है. इसी तरह का हाल बंगालियों का हैं और व्यापार पर मारवारी काबिज हैं. लेकिन यही गोअनीस और बंगाली अपने प्रदेश से बाहर आ कर सफल हैं. यही सिद्धांत पहाडियों पर लागू होता है.
दूसरी बात, मेरा व्यक्तिगत मत है कि पहाड़ मैं रिज़र्वेशन न मिलने से मेरिटो-क्रेसी व्याप्त है. यही वजह है कि पड़ी हर क्षेत्र मैं और लोगों के मुकाबले सफल हैं. क्या ख़याल है?
नमस्कार