Author Topic: Uttarakhand Suffering From Disaster - दैवीय आपदाओं से जूझता उत्तराखण्ड  (Read 103018 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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ग्रामीणों को सताने लगी बेघर होने की चिंता




  चम्बा, लगातार हो रही बारिश के कारण कई ग्रामीणों के मकानों क ो खतरा पैदा हो गया है। लोगों को बेघर होने की चिंता सताने लगी है। बारिश से कई मकानों में दरारें आ गई है, तो कइयों के आंगन ढहने से वह खतरे की जद में है।


चम्बा प्रखण्ड के कोटीगाड़ में चार लोगों के मकान खतरे की जद में है। इनमें बचन सिंह, गजेन्द्र सिंह, उपेन्द्र सिंह के मकानों में दरारें आ गई है। मकानों के पीछे से मलबा आ रहा है। कु छ के आंगन धंसने से नीचे के मकानों को खतरा पैदा हो रहा है। प्रभावितों का कहना है कि यदि  बारिश इसी तरह जारी रही और सुरक्षा के इतंजाम नहीं किये गये तो और नुकसान हो सकता है।


ग्राम प्रधान रेखा पुण्डीर ने बताया कि कुछ परिवारों के रहने की व्यवस्था अन्यत्र कर दी गई है। वहीं, दूसरी ओर मुड़यागांव में विजय सिंह राणा ध्वस्त हो गया है। कोट गांव में नौरती देवी का मकान भी टूट गया है। उन्होंने बताया कि कुछ नुकसान तो गत वर्ष की बारिश हो गया था, रही सही कसर इस बार की बारिश ने पूरी कर दी है। प्रभावितों ने शासन-प्रशासन से मदद की मांग की है


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7983742.html

Anil Arya / अनिल आर्य

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प्रदेश में जानलेवा हो गई बारिश
नदी-नाले में बहने से छात्रा सहित तीन की मौत, बच्ची लापता
• अमर उजाला ब्यूरो
देहरादून। प्रदेश में शुक्रवार को बारिश जानलेवा हो गई। जोरदार बरसात के कारण कई नदी-नाले उफान पर आ गए, जिसमें बहकर छात्रा समेत तीन लोगों की मौत हो गई और एक बच्ची लापता है। भूस्खलन और मलबा आने से प्रदेश की अधिकतर सड़कों पर यातायात बाधित है। चार धाम यात्रा राजमार्ग अवरुद्ध हैं, जिससे सैकड़ों यात्री फंस गए हैं। रुद्रप्रयाग के जखोली तहसील के किमाणा गांव में बृहस्पतिवार रात बादल फटने से करीब100 नाली कृषि भूमि बर्बाद हो गई। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में उत्तरकाशी और चमोली में भारी बरसात की चेतावनी दी है।
कंडीसौड़ (टिहरी) में भारी बारिश के कारण मलोगी गदेरे में उफान आ गया। उसे पार करते समय लवाणी निवासी 12वीं कक्षा की छात्रा पूजा बह गई, जिससे उसकी मौत हो गई। राजधानी दून में गांधी ग्राम स्थित एक घर बिंदाल नदी में बह गया। घर में मौजूद महिला भी बह गई। घटना के दो घंटे बाद महिला का शव मिला। क्लेमनटाउन में ओगलभट्टे के नाले में तेज बहाव में दो युवक बह गए। लोगों ने किसी तरह उनकी जान बचाई। विकासनगर की कालसी तहसील के व्यासभूड़ निवासी पंचायत सदस्य की 9 साल की पुत्री खड्ड में बह गई। खबर लिखे जाने तक उसका पता नहीं लग पाया था। गरुड़ में उफनाई गोमती नदी को पार करते वक्त दुदिला निवासी युवक बह गया। आठ घंटे बाद उसका शव मन्यूड़ा के पास मिला। देवप्रयाग में बछेलीखाल के पास शुक्रवार शाम छह बजे मलबा और बोल्डर आने से बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हो गया। पुलिस प्रशासन ने देर रात तक मार्ग खुलने की आशा जताई है। नई टिहरी में ऋषिकेश-चंबा, टिहरी, घनसाली व धरासू मोटर मार्ग मलबा आने से बाधित रहे। घनसाली-टिहरी मोटर मार्ग शुक्रवार को तीसरे दिन भी नहीं खुल पाया।
उत्तरकाशी में मूसलाधार बारिश से हुए भूस्खलन के कारण यमुनोत्री और गंगोत्री राजमार्ग कई जगहों पर बंद हो गया है। धरासु बैंड पर यमुनोत्री और गंगोत्री दोनों राजमार्ग बंद होने से सैकड़ों यात्री फंस गए हैं। रुद्रप्रयाग में केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग कई स्थानों पर बंद हो गया। शुक्रवार दोपहर बाद मार्ग पर यातायात बहाल हो पाया। कुमाऊं में शारदा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया। बैराज पर रेड अलर्ट घोषित कर पूर्वाह्न 11 बजे तक बैराज से वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित रही।
दून में बिंदाल में समाया घर, महिला की मौत
कंडीसौड़ में मलोगी गदेरे में बही छात्रा, मौत
गरुड़ में गोमती में बहने से युवक की जान गई
किमाणा में बादल फटने से 100 नाली भूमि बर्बाद
उत्तरकाशी-चमोली में भारी बारिश की चेतावनी

Devbhoomi,Uttarakhand

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उत्तराखंड में भारी बारिश,14 मरे, दो धामों के मार्ग बंद

 




  देहरादून। उत्तराखंड में गत दो दिनों से जारी वर्षा के चलते राज्य के विभिन्न हिस्सों में पहाड़ों की ऊंचाई से मलबा आने से कई मार्ग बंद हो गए हैं, जबकि अब तक पांच महिलाओं सहित 14 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है।
 आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यहां बताया कि उत्तरकाशी जिले के नालूपानी के पास सड़क पर मलबा आने से ऋषिकेश-गंगोत्री मार्ग को अस्थाई रूप से बंद करना पड़ा है, जिससे मार्ग के दोनों ओर सैंकड़ों वाहन तथा यात्री फंसे हुए हैं।
 आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इसी तरह हिंदुओं के सवाचर््च्च तीर्थ बद्रीनाथ मार्ग पर लामबगड, चमोली तथा पीपलकोटी के पास मलबा आने से बद्रीनाथ मार्ग को भी बंद करना पड़ा है। यहां भी भारी तादाद में यात्री फंसे हुए हैं।
 सूत्रों के अनुसार दोनों मार्गो पर मलबे को साफ करने का कार्य शुरू कर दिया गया और संभावना है कि जल्द ही मलबा साफ कर लिया जाएगा।
 राज्य में भारी वर्षा के चलते कल देहरादून के लक्ष्मण चौक के पास एक बांध की दीवार ढह गई, जिससे 46 वर्षीय महिला नसीम बानो की मौत हो गई।
 सूत्रों के अनुसार टिहरी जिले के छाम में शुक्रवार को बादल फटने से 19 वर्षीय पूजा बह गई, जिससे उसकी मौत हो गई। देहरादून के विकासनगर क्षेत्र के कालसी में भी भारी वर्षा के चलते नौ वर्षीय रीना हरिपुर नाले में बह गई। इसके शव को अभी तक बरामद नहीं किया जा सका है।
 सूत्रों ने बताया कि वर्षा के चलते भूस्खलन और नदी में बहने से दो महिलाओं सहित 11 व्यक्तियों की मौत पहले ही हो चुकी है।
 राज्य में इस वर्ष जारी वर्षा के चलते के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आपदा राहत से संबधित कर्मचारियों की सभी प्रकार की छुट्टियों को रद्द करने का निर्देश पहले से ही दे रखा है।
 सूत्रों के अनुसार पिछले दो दिनों से फिर से हो रही वर्षा के चलते चार धाम यात्रा, मानसरोवर यात्रा तथा दुर्गम क्षेत्रों में भूस्खलन की संभावनाओं के चलते पूरे राज्य में 'रेड अलर्ट' घोषित किया गया है।
 सूत्रों के अनुसार इन क्षेत्रों में जिला प्रशासन, चिकित्सा, बिजली, पेयजल, पुलिस, तथा लोक निर्माण विभाग के कर्मचारियों को छुट्टियों पर रोक जारी है।
 सूत्रों ने बताया कि द्वादश शिवलिंगाें में सबसे ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ जाने वाले मुख्य मार्ग पर रूद्रप्रयाग थोडी दूर पहले सिरोबगड के पास आए भारी मलबे को साफ कर मार्ग को यातायात के लिए खोल दिया गया है।
 सूत्रों के अनुसार ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर शनिवार सुबह नालूपानी के पास मलबा आ गया, जिससे लोग फंस गए। हालांकि, मलबे को साफ करने का काम युद्धस्तर पर जारी है।
 राज्य के विभिन्न हिस्सों में पिछल तीन दिनों से जारी वर्षा के चलते आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। जलजमाव के चलते लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
 सूत्रों ने बताया कि देहरादून जिले के ग्रामीण क्षेत्र पछवादून में भूस्खलन से अलग-अलग स्थानों पर 26 संपर्क मार्ग बंद हो गए हैं।
 सूत्रों के अनुसार राज्य में मुख्यमार्गों को छोड़कर संपर्क मार्गों पर पहाड़ी से गिरकर भारी मात्रा में मलबा आ गया है, जिससे इन मार्गों को अस्थाई रूप से बंद करना पड़ा है।
http://in.jagran.yahoo.com/news/national/mishap/Heavy-rains-Uttarakhand_5_23_8025391.html

Devbhoomi,Uttarakhand

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भूस्खलन से पलायन को मजबूर
दुरूह होने लगे हालात, प्रशासन ने खाली कराए 22 घ

नई टिहरी/उत्तरकाशी/पौड़ी। पहाड़ों में हो रही बारिश से हालात अब दुरूह होने लगे हैं। भूस्खलन, भू-धंसाव और मलबे की वजह से लोगों ने अब सुरक्षित ठौर की ओर रुख करना शुरू कर दिया है। हालात की गंभीरता को नई टिहरी के जाखणीधार प्रखंड मेंसैण-मंदार मोटर मार्ग के नीचे बसे ढुंग गांव के ऊपर सड़क धंसने की वजह से बढ़ते खतरे को देखते हुए 22 परिवारों के घर खाली कराए गए।

 उधर, उत्तरकाशी जिले में भारी वर्षा से स्याबा गांव के नीचे एक किमी के दायरे मे भूधंसाव होने से एक मात्र बिशन पुर-स्याबा पांच किमी पैदल मार्ग अवरुद्ध हो गया है। ऐसे में गांव के भी भूधंसाव की चपेट में आने के आसार लगने लगे हैं। छिनका(चमोली) के पास हुए भूस्खलन से बदरीनाथ हाइवे पर 20 घंटे वाहनों की आवाजाही ठप रही। इससे बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

 दोपहर बाद मार्ग खुलने तक पुलिस ने यात्रा वाहनों को गौचर, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग और चमोली में ही रोके रखा। सैण-मंदार मोटर मार्ग पर लुस्सी बैंड पर सड़क धंसने से नीचे ढुंग गांव के 22 परिवारों को खतरा पैदा हो गया। शुक्रवार शाम एक परिवार का बाथरूम मलबे में दब गया। ऊपर से लगातार मलबा गिरने से सात परिवारों को बृहस्पतिवार को अन्यत्र ले जाया गया था। जबकि, एहतियाती तौर पर गांव के 15 और परिवारों को शुक्रवार को प्रशासन ने दूसरे घरों में शिफ्ट कराया। उधर, घुत्तू जल विद्युत परियोजना से प्रभावित देवलिंग गांव में भी भूस्खलन की वजह से दो परिवारों घर छोड़कर अन्यत्र शरण लेनी पड़ी है।

 उत्तरकाशी के स्याबा गांव में जिला मुख्यालय जाने के लिए एक मात्र बिशन पुर-स्याबा पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त होने से खेत तथा जंगल से होकर ग्रामीण चलने को विवश हैं। भूवैज्ञानिकों ने इस गांव को बेहद संवेदनशील करार देते हुए मानवीय गतिविधियों के लिए प्रतिबंधित करने की सिफारिश की थी। पर विस्थापन की कार्यवाही ठंडे बस्ते में है। 22 परिवार ही सुरक्षित क्षेत्र सिलाई तोक में विस्थापित किए जा सके हैं। 109 परिवार अभी खतरे में रहने को विवश हैं। गांव के नीचे की ओर 1 किमी क्षेत्र में धंसाव शुरू होने से यहां बांज, बुरांश, देवदार आदि के पेड़ उखड़ने शुरू हो गये हैं।

गोपेश्वर में सैफ गेम्स की ढलानों और औली-नृसिंह मंदिर नाला जोशीमठ के लोगों के साथ ही सेना के लिए भी अभिशाप बनता जा रहा है। मूसलाधार बारिश के पानी के साथ मलबे ने एक बार निचले इलाकों में तबाही मचाई। लोगों के घरों और सेना छावनी में भी मलबा घुस गया।   संबंधित सामग्री पेज 2 पर

बारिश जारी रही तो धंस सकता है सैण-मंदार मोटर मार्ग भूधंसाव से उत्तरकाशी के स्याबा गांव को खतरा पौड़ी में खतरे के साये में जी रहे हैं 38 गांवों के लोग


 जिला मुख्यालय गोपेश्वर में लोनिवि गेस्ट हाउस के नीचे क्षतिग्रस्त पुश्ते से मार्ग पर गिरा मलबा। आवासीय भवन को बना खतरा।  अमर उजाला

http://epaper.amarujala.com//svww_zoomart.php?Artname=20110717a_001175005&ileft=-5&itop=527&zoomRatio=130&AN=20110717a_001175005
 

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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During rainy reason every year, uttarakhand has to incurr heavy loss of men & material.

Uttarakhand is only the state which has a separate Dept for Disaster Management. Therefore, our preparation should be adequate for these unforseen incidents.

Disaster Management Dept should have helicopter separate to combat in such situation.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This time my village area has also badly affected. 04 four houses have shifted in a safer places.

May God save us.


बागेश्वर में बादल फटने से भारी तबाही        Aug 01, 07:26 pm    बताएं            बागेश्वर [जागरण कार्यालय]। रीमा क्षेत्र में रविवार की रात बादल फटने से भारी तबाही मची है। क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक मकान ध्वस्त हो गए है वहीं एक महिला की मरने की भी सूचना है। कई मवेशी जिंदा दफन हो गये हैं। सैकड़ों हेक्टेयर भूमि मलबे में तब्दील हो गई है। पैदल रास्ते व पुलिया बाढ़ की भेंट चढ़ गई हैं। जिला प्रशासन ने राहत कार्य शुरू कर दिये हैं।
रीमा क्षेत्र के ग्राम उडियार, जारती, पपोली, रंगदेव, पचार, दियाली आदि गांवों में रविवार की रात करीब 11 बजे बादल फटने से भारी तबाही मच गई। उडियार गांव में मकान के पीछे से पहाड़ी दरक गई। जिससे मकान ध्वस्त हो गया। मलबे में दब जाने से देवकी देवी नामक एक महिला की मौत हो गई वहीं घर के अन्य सदस्यों ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई। आसपास के लोगों ने सोमवार की सुबह मलबे से बमुश्किल देवकी का शव निकाला।
जारती में खतरे की जद में आये 4 परिवारों को प्रशासन ने दूसरे स्थान पर शिफ्ट कर दिया है। रैखोला गांव में धन सिंह बाफिला के मकान व दुकान में मलबा घुस जाने से लगभग 50 हजार का सामान दब गया है। वडयूड़ा गांव में कई मकानों में दरारें आ गई हैं। जारती गांव में केशर सिंह मेहता सहित चार अन्य परिवारों के मकानों के पीछे से आये मलबे के कारण मकानों में दरारें आ गयी हैं। सभी परिवारों को प्रशासन ने शिफ्ट कर दिया है।
पचार गांव में भी कई घरों में मलबा घुस गया है। ललित लोहनी के घर में मलबा घुस जाने से घरेलू सामान दब गया है। पचार बाजार भी मलबे से पट गयी है तथा एक पुलिया बह गई है। जगह जगह आये मलबे के कारण बालीघाट- रीमा- धरमघर मोटर मार्ग  बंद हो गया है। लोनिवि ने मार्ग खोलने के लिए जेसीबी लगायी है।
विधायक शेर सिंह  गढिय़ा ने प्रभावित गांवों का भ्रमण कर नुकसान का जायजा लिया। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव से वार्ता कर नुकसान की जानकारी देते हुए प्रभावितों को हरसंभव मदद  देने की मांग की है। एसडीएम श्याम सिंह राणा के नेतृत्व में पटवारी व अन्य राजस्व  कर्मचारी नुकसान का जायजा ले रहे हैं। इधर कपकोट के नरगड़ा, गोलना, सीमा, बघर, भैसुड़ी कुटीर आदि गांवों में भी अतिवृष्टिं से भारी नुकसान हुआ है।


(Source - Dainik Jagaran)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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  सड़क के मलबे से मकान को खतरा      Jul 01, 09:42 pm    बताएं           बागेश्वर: ग्राम बैड़ा मझेड़ा से जारती की ओर बन रही पीएमजीएसवाई सड़क का मलबा घरों की तरफ डाल देने से मकानों को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। जारती निवासी केशर सिंह मेहता पुत्र पूरन सिंह ने बताया कि सड़क के मलबे से उनके मकान को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। लगातार हो रही बरसात के कारण दुर्घटना का भय बना हुआ है। मलबे से नहर भी ध्वस्त हो गयी है। कई बार विभागीय अधिकारियों को सूचित करने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने सुरक्षा दीवार लगाने की मांग की है। इधर गरुड़ विकास खंड में मन्यूड़ा पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है। जिस कारण जूहा मन्यूड़ा व प्राथमिक विद्यालय मन्यूड़ा को जाने वाले बच्चों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
   

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इस साल भी इतना नुक्सान हो रहा है लेकिन उत्तराखंड की ये भर्ष्ट सरकार इ इतना खा लिया है की अभी तक इनकी नींद नहीं खुली हैं ,जागो हराम खोरों बहार जाकर देखो उन लोगों को जो की इस आपदा से  प्रभावित हो रहे हैं !

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51 साल से मुआवजे का है इंतजार
चीनी हमले के दौरान बेदखल हुए थे जाढूंग-नेलांग के लोग
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देश के लिए घर-बार छोड़ने वालों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है। वर्ष1960 में चीनी आक्रमण की सुगबुगाहट होते ही अपनी जमीन-जायदाद सेना के हवाले करने वाले ग्रामीणों का सिर उस समय भले ही गर्व से ऊंचा हुआ हो, लेकिन सरकार के उपेक्षित रवैये से आज वे बेहद आहत हैं। देश की सुरक्षा के लिए अपने घर-गांव और खेती से बेदखल किए गए जाढूंग और नेलांग गांव के लोगों को 51 वर्ष बाद भी मुआवजे का इंतजार है। सरकारी मदद की उम्मीद लिए गांव से उजड़ी एक पीढ़ी दुनिया छोड़ चुकी है। सीमावर्ती नेलांग गांव चोरगाड, दुमकू, करमोली तक 10 किलोमीटर क्षेत्र में फैला था।

 यहां करीब 30 परिवारों की 1400 नाली खेती की जमीन थी। जाढूंग गांव के 16 परिवार सोनम तक 17 किमी क्षेत्र में 750 नाली नापभूमि पर काबिज थे। दोनों गांवों के 50 किमी से ज्यादा लंबे-चौड़े क्षेत्र में परंपरागत चारागाह थे। वर्ष 1960 में चीनी आक्रमण की आशंका को देखते हुए दोनों गांव भारतीय फौज के लिए खाली करा लिए गए थे। इन गांवों के बाशिंदों ने बगोरी हर्षिल में शरण ली। दोनों गांवों के करीब 135 परिवार यहां रह रहे हैं।

नेलांग में स्पेशल टास्क फोर्स और सेना के उपयोग वाली मात्र 160 नाली भूमि का ही ग्रामीणों को मुआवजा मिला जबकि शेष जमीन व खंडहर हुए मकानों के मुआवजे का मामला प्रशासन, सेना और आईटीबीपी के पास लटका हुआ है।मुआवजा निर्धारण की प्रक्रिया जारी

उत्तरकाशी। डीएम अक्षत गुप्ता के निर्देश पर भटवाड़ी के एसडीएम चंद्र सिंह धर्मशक्तु ने जाढूंग और नेलांग में आईटीबीपी के कब्जे वाली ग्रामीणों की भूमि का सीमांकन तो करा दिया अब सेना के कब्जे वाली जमीन के सीमांकन की तैयारी चल रही है। जाढूंग के सीमांकन में वन विभाग का विश्रामगृह भी अवैध रूप से नापभूमि पर बना पाया गया। सीमांकन के बाद प्रशासन मुआवजे को लेकर आईटीबीपी और सेना से वार्ता करेगा।



 जाढूंग गांव में ग्रामीणों के खंडहर हुए भवनों में काबिज है आईटीबीपी।

Amarujala news

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लोगों की सांसें अटका रहा मार्ग
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अतिवृष्टि के चलते गोपेश्वर-मंडल-चोपता मोटर मार्ग जानलेवा बना हुआ है। स्थानीय लोगों के साथ ही यात्रियों और पर्यटकों को जानजोखिम में डालकर इस मार्ग पर सफर       करना पड़ रहा है।

बदरीनाथ और केदारनाथ धामों को जोड़ने वाला यह मार्ग अतिवृष्टि के चलते इन दिनों खासा जानलेवा बना हुआ है। मार्ग कई स्थानों पर धंस गया है। पुश्ते क्षतिग्रस्त होने के साथ ही मार्ग पर जगह-जगह पर मलबा जमा होने से यात्रियों को इन स्थानों पर सांसे रोककर रास्ता पार करना पड़ रहा है।

पिछले छह माह से इस मार्ग पर गोपेश्वर से मंडल के मध्य पेयजल लाइन बिछाने का कार्य भी चल रहा है। कार्यदायी संस्था जल निगम ने जगह-जगह सड़क खोदकर छोड़ दी है, इससे यात्रियों की मुश्किलों में और इजाफा कर रहा है।

ग्राम प्रधान  राजेंद्र नेगी, स्थानीय निवासी गोविंद सिंह बिष्ट, पुष्कर सिंह बिष्ट, मनवर सिंह, जगत सिंह, सत्य प्रसाद, दुर्गा            प्रसाद व लक्ष्मण सिंह राणा का कहना है कि  मार्ग सुधारीकरण कार्य में जुटी एडीबी को अवगत कराया गया, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया      जा रहा है। इधर, एडीबी के अधिकारियों का कहना है कि मार्ग पर बरसात के चलते सुधारीकरण कार्य नहीं हो पा रहा है। बरसात के बाद भी मार्ग पर डामरीकरण का कार्य किया जाएगा।  बदरीनाथ और केदारनाथ धामों को जोड़ता है मार्ग

अतिवृष्टि से कई जगहों पर धंसा, लगे मलबे के ढेरगोपेश्वर-मंडल मोटर मार्ग पर अतिवृष्टि से क्षतिग्रस्त हुआ पुश्ता। इससे जिला मुख्यालय को आ रही पेयजल लाइन भी क्षतिग्रस्त हो गई है।क्षेत्र में रसोई गैस और खाद्यान्न संकट बढ़ा


गोपेश्वर। घाट प्रखंड के अंतर्गत चट्टान खिसकने के कारण पिछले दो माह से बंद पड़े मोलागाड़-मटई मोटर मार्ग को खुलवाने को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने पीएमजीएसवाई के अधिकारियों को एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि सड़क अवरुद्ध होने से ग्राम पंचायत मटई, बैरों, सेमा के साथ ही समीपवर्ती गांवों में रसोई गैस और खाद्यान्न संकट गहरा गया है। उन्होंने इस संबंध में जिलाधिकारी और संबंधित विभाग के अधिकारियों से भी भेंट की।


क्षेत्र पंचायत प्रमुख ममता गौड़, बीडीसी सदस्य भास्करानंद पुरोहित, ग्राम प्रधान बैरों जगदीश प्रसाद, प्रधान मटई विनीता कंडारी, मोहन सिंह, भवान सिंह, राकेश पुरोहित, रणजीत राणा, हरेंद्र आदि ने डीएम को सौंपे ज्ञापन में कहा कि क्षेत्र में हो रही बारिश से मार्ग पर जगह-जगह मलबा आ गया है जो मोलागाड़ के पास अवरुद्ध पड़ा हुआ है। क्षेत्रीय लोग रसोई और खाद्यान्न के लिए भटक रहे हैं।


कहा गया कि उक्त सड़क का निर्माण कार्य अभी भी अंतिम गांव तक नहीं हुआ है। मार्ग पर न तो नाली का निर्माण किया गया है और ना ही पुश्ते लगाए गए हैं।  जनप्रतिनिधियों ने ऐलान किया कि यदि एक सप्ताह के अंदर सड़क नहीं खोली गई तो जिला मुख्यालय पर आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।



http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20110802a_002175006&ileft=573&itop=603&zoomRatio=183&AN=20110802a_002175006

 

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