Author Topic: Uttarakhand Suffering From Disaster - दैवीय आपदाओं से जूझता उत्तराखण्ड  (Read 102770 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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                     बारिश की आहट, कांपती रूह

 
आषाढ़ में बेचैन रहा अमरपुर सावन में सहमा हुआ है और भादौ से भयभीत। चमोली जिले के इस गांव के लिए बरसात बेबसी के सिवाए कुछ नहीं है। आसमान ताकती निगाहें बादलों को देखते ही सतर्क हो जाती हैं। ग्रामीण तुरंत बिस्तर के साथ जरूरी सामान बांध सुरक्षित ठिकाने की तलाश में गांव छोड़ देते हैं। इसके बाद पसर जाता है भयावह सन्नाटा। वे तभी लौटते हैं जब आसमान साफ हो जाए। दो साल पहले सावन की एक काली रात ने न केवल गांव का भूगोल बदल डाला, बल्कि तीन माह खानाबदोशों जैसा जीवन जीने का अभिशाप भी दे डाला। बाइस परिवारों वाले अमरपुर गांव को इंतजार है  विस्थापन का। कब इन हालात से निजात मिले और वे भी चैन से गुजर बसर करे सकें।इसे आप खूबसूरत पहाड़ों की विद्रूप तस्वीर कह सकते हैं। अमरपुर के लोग अपने ही आशियानों के अंधेरे से खौफ खाने लगे हैं। गांव की राजमती देवी और दरमान सिंह 6 अगस्त 2009 की रात को आज तक नहीं भुला पाए हैं। आधी रात के बाद गांव के समीप अचानक भारी गड़गड़ाहट हुई। नींद खुलते ही गांव वाले घरों से बाहर आए तो सामने का दृश्य रोंगटे खड़े करने वाला था। पास की पहाड़ी से बहने वाला पानी विकराल रूप धारण कर चुका था। किसी तरह ग्रामीणों ने भागकर जान तो बचा ली, लेकिन खेत खलिहान और मकान जमींदोज हो गए। गांव का नक्शा पूरी तरह बदल गया। खेतों की जगह नाला बहने लगा। उन यादों को ताजा करते हुए राजमती आज भी सिहर जाती हैं। वह कहती हैं 'हादसे के बाद से गृहस्थी पटरी पर नहीं आ सकी।' पीड़ित दरमान सिंह बताते हैं कि उस वक्त प्रशासन ने तात्कालिक राहत देते हुए प्रभावितों को 25-25 हजार रुपये दिए थे। इसके बाद मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने दिसम्बर 2010 में पीपलकोटी पहुंचकर गांव के विस्थापन का आश्वासन भी दिया था। मायूस स्वर में वह कहते हैं 'देखें क्या होता है'।

Source dainik jagran

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सातवें दिन भी नहीं खुला गंगोत्री मार्ग
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उत्तरकाशी।  सैंज भटवाड़ी के पास सात दिनों से बंद गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग न खुलने पाने से गंगोत्री क्षेत्र में के कई गांवों के लोगों के साथ ही यात्रियों मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। राजमार्ग पर  यातायात बहाली की अनिश्चिता के चलते भटवाड़ी, हर्षिल, गंगोत्री क्षेत्र में खाद्यान्न समेत अन्य जरूरी वस्तुओं की किल्लत गहराती जा रही है।

 हर्षिल छावनी तथा सीमा चौकियों की ओर तैनात सेना एवं आईटीबीपी की दूध और सब्जी की सप्लाई चेन टूटने के साथ ही रसोई गैस की आपूर्ति डेढ़ माह से ठप होने लोगों ने चूल्हे फूंकने शुरू कर दिए हैं।

अवरुद्ध राजमार्ग के चलते वैल्डिंग मशीन समय पर न पहुंचने से उरेडा की क्षतिग्रस्त गंगोत्री लघु जल विद्युत परियोजना की मरम्मत का काम ठप पड़ा है।  विद्युत उत्पादन शुरू न होने पाने से तीर्थधाम में  पांच दिनों से अंधेरे में डूबा है। उपला टकनौर क्षेत्र में तुड़ान कर रखी गई सेब की अगेती फसल बाजार तक न पहुंच पाने से बागीचों में ही खराब होने को है। इस क्षेत्र में उत्पादित ब्रोकली, बंदगोभी और खेतों से निकालकर रखे गए आलू मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।

किराए के वाहनों में सवार होकर गंगोत्री की यात्रा से लौटते समय सैंज भटवाड़ी में फंसे तीर्थयात्री तो अवरुद्ध हिस्से को जैसे-तैस पैदल पारकर घर लौट गए हैं,  लेकिन अपनी गाड़ियों के साथ फंसे यात्रियों के समक्ष मुश्किल हालातों में मार्ग खुलने का इंतजार करने क े अलावा कोई विकल्प नहीं है।बीते सात दिनों से अवरुद्ध सामरिक महत्व की इस सड़क पर यातायात बहाल करने में हो रहे विलंब पर सवाल उठने लगे हैं।पगडंडी के रास्ते बाइक निकाल  कर लाए यात्री

उत्तरकाशी। हरियाणा से बाइक सफारी के साथ गंगोत्री से गंगाजल लेकर लौटते समय सैंज में फंसे सात बाइक के 14 सवार यात्री पांच दिनों तक तो सड़क खुलने का इंतजार करते रहे।

इस दौरान पास के पैसे खत्म होने की स्थिति आने पर               आज उन्होंने स्थानीय लोगों की सलाह पर मल्ला से सौरा की बरसात में ऊबड़-खाबड़ और मलबे से पटी सड़क तथा स्याबा पुल से अपनी बाइकें


पोखरी/गोपेश्वर। पोखरी और निजमुला घाटी में कई संपर्क मार्ग अभी भी अवरुद्ध पडे़ हुए हैं। इस कारण ग्रामीणों को मीलों दूरी पैदल नापनी पड़ रही है। गत रात्रि को हुई भारी बारिश से बिरही-निजमुला मोटर मार्ग फिर अवरुद्ध हो गया है। मार्ग पर भारी मात्रा में मलबा और बोल्डर आ गए हैं। पोखरी-गोपेश्वर मोटर मार्ग रैंसु और सलना के पास अवरुद्ध पड़ा हुआ है।

 ग्रामीणों का कहना है कि लोनिवि की निष्क्रियता के चलते मार्ग अभी तक वाहनों के जाने लायक भी नहीं बन पाया है।रुद्रप्रयाग-पोखरी मार्ग पर थली नामक स्थान पर लगातार भूस्खलन हो रहा है। कर्णप्रयाग-पोखरी मार्ग कई स्थानों पर जानलेवा बन गया है। इधर, लोनिवि के अधिकारियों का कहना है कि जिले में अभी भी 38 संपर्क मोटर मार्ग बंद पडे़ हुए हैं। इनमें से एक दर्जन मोटर मार्गों को खुलने में वक्त लगेगा।


जोशीमठ। भारी बारिश से जोशीमठ में जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। जोशीमठ अपर बाजार स्थित देवेंद्र पंवार का आवासीय भवन और दुकान क्षतिग्रस्त हो गई है। मुख्य बाजार के किनारे नालियों के चोक होने से गंदा पानी मार्ग पर बह रहा है। इससे व्यापारियों के साथ ही पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को दिक्कतें झेलनी पड़ रही है।आवासीय भवन, दुकान क्षतिग्रस्तगोपेश्वर-पोखरी मोटर मार्ग पर रैंसू के पास आए मलबे को साफ करता लोनिवि का डोजर।


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15 घंटे तक अटकी रही सांसें
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टनकपुर: उफनाई शारदा नदी से घाट क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आ गया है, वहीं इस क्षेत्र में रह रहा एक मजदूर का परिवार उफनाई शारदा नदी में पूरे 15 घंटे जिंदगी और मौत से जूझता रहा। बाद में तैराक पुलिस टीम व स्थानीय तैराकों ने जान जोखिम में डालकर इस परिवार के सभी सदस्यों को बचा लिया।

पहाड़ व क्षेत्र में हो रही लगातार भारी वर्षा से उफनाई शारदा नदी से शारदा घाट क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। वहीं पुराने शमशान घाट में नदी के किनारे रह रहा एक मजदूर गुड्डू , उसकी पत्नी कल्पना(26), पुत्री शिवानी (9), मुस्कान (5) व काजल (1) सोमवार की 12 बारह बजे से शारदा नदी की चपेट में फंस गये। सुबह लोगों व प्रशासन को मालूम होने पर अफरा-तफरी मच गई। बाद में तैराक पुलिस टीम के जवान रविन्द्र कुमार पहलवान, दिनेश प्रसाद, प्रताप गड़िया, अतुल राठी व स्थानीय तैराक मुकेश गुप्ता, रामकुमार, मुकेश गुप्ता, रामकुमार, बबलू ,सोनू व सूरज ने चार ट्यूबों के सहारे पांचों को मंगलवार को अपराह्न तीन बजे नदी से निकाल कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इस नजारे को देखने के लिए काफी भीड उमड़ पड़ी। वहीं घटना पर मौजूद एसडीएम शिवचरण द्विवेदी व सीओ रेनू लोहनी ने जवान तैराकों व स्थानीय तैराकों की पीठ थपथपाई।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6290978.html

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बारिश::-800 में आधी सड़कें बंद
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नैनीताल: पिछले 48 घंटे से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से जिला मुख्यालय को जोड़ने वाली सारी सड़कें जगह-जगह भूस्खलन व मलबा आने से मंगलवार देर सायं तक यातायात के लिए पूरी तरह बंद रही और सैंकड़ों यात्री जहां-तहां फंसे रहे। इसके साथ ही शहर की विद्युत, पेयजल व संचार सुविधाएं बुरी तरह लड़खड़ा गई है। लगातार बारिश से सड़कों को खोलने में दिक्कत पैदा हो रही है। उधर पानी के तेज बहाव के चलते नैनीताल में चिड़ियाघर मार्ग रोखड़ में तब्दील हो गया।

बारिश का सर्वाधिक असर परिवहन सेवाओं पर पड़ा है और यात्री जहां-तहां फंसे रहे। लगातार मूसलाधार बारिश से भवाली-नैनीताल मार्ग पाइंस के समीप भूस्खलन से कई घंटो तक बंद रहा। जबकि हल्द्वानी-नैनीताल मार्ग नैना गांव, गुलाबघाटी, दोगांव तथा मटियाली में भूस्खलन के चलते मंगलवार सायं 5 बजे तक यातायात के लिए बंद रहा। मलबा हटाने के बाद हल्द्वानी मार्ग पर देर सायं पांच बजे से यातायात बहाल हो सका। इधर कड़ी मशक्कत के बाद कालाढूंगी-नैनीताल मार्ग पर अपराह्न तीन बजे बाद अस्थायी रूप से खोल दिया गया। इस मार्ग में घटगढ़, नारायणनगर, बजून आदि स्थानों पर लगातार भूस्खलन से खतरा बना हुआ है। लोनिवि अधीक्षण अभियंता राजेंद्र भट्ट के अनुसार जिले में 800 सड़कों में से अधिकांश यातायात के लिए बंद है। विभाग की प्राथमिकता पहले मुख्य मार्गो को खोलने की है। उधर शहर के चिड़ियाघर रोड में पानी के तेज बहाव के चलते पूरी सड़क रोखड़ में तब्दील हो गई।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6293876.html

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कहर बनकर बरसे मेघ, भारी तबाही
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पिथौरागढ़: 60 घंटे से हो रही भारी वर्षा से सीमांत जिले में भारी तबाही मची है। जिले भर में दर्जन भर मकान ध्वस्त होने की सूचना है। घाट पेयजल योजना का रॉ वाटर पंपिंग स्टेशन पानी में डूब गया है। काली नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। प्रशासन ने जिले में अलर्ट जारी कर दिया है। मंगलवार को जिले भर के स्कूल बंद करने के निर्देश दिए गए हैं। राष्ट्रीय व आंतरिक मार्ग बंद होने से पिथौरागढ़ का अन्य जिलों सहित विकास खंडों से संपर्क बंद हो गया है।

पिथौरागढ़ जिले में तीन से हो रही बरसात अब भी जारी है। बरसात से सीमांत को जोड़ने वाले पिथौरागढ़-अल्मोड़ा, पिथौरागढ़-टनकपुर, थल-सेराघाट मोटर मार्ग पर कई स्थानों में मलबा आ गया है। मार्ग बंद होने से जिले का शेष जगत से संपर्क बंद हो चुका है। यात्रा पर निकले सैकड़ों लाग जगह-जगह फंसे हुए हैं। रोडवेज ने फंसे यात्रियों का सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के लिए विशेष सेवाएं संचालित की हैं।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6291843.html

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पिपली गांव के छह परिवार किए शिफ्ट
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   नई टिहरी, जागरण संवाददाता: बारिश से ग्रामीण क्षेत्रों का जनजीवन प्रभावित हो गया है। जगह-जगह भूस्खलन होने व मलबा आने से कई करीब दस मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जबकि कईयों के मकान खतरे की जद में है। जिले भी प्रमुख सड़कों के अलावा सभी सम्पर्क मार्ग बंद पड़े है, जिससे ग्रामीणों को अन्य क्षेत्रों से सम्पर्क कट गया है।
जिला मुख्यालय में जिला कार्यालय से जोड़ने वाली सड़क पर मलबा आने से सड़क दब गई है। सड़क के नीचे निर्माण निगम के कालोनी में रहे रहे लोगों को वहां से हटा दिया गया है, जबकि विकास भवन के समीप बीती शाम को पेड़ बीच सड़क पर आ गिरा। जाखणीधार प्रखंड के सांदणा गांव में कलम सिंह, जसपाल सिंह, बलवीर सिंह, असरफी देवी, कुसा देवी, धर्म सिंह के मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं जबकि मदन सिंह, दयाल सिंह, मूर्ति सिंह, कुंदन सिंह, मोहन सिंह, जोत सिंह व धन सिंह के मकानों में मलबा घुस गया। ग्रामीण विनोद सिंह, बलवंत सिंह, त्रिलोक सिंह का कहना है कि गांव के ऊपर दरार आ गई है।


 दूसरी ओर, मुख्यालय से लगे पिपली गांव के ऊपर मुख्यालय का पानी जाने से गांव के ऊपर लगी सुरक्षा दीवार कभी भी क्षतिग्रस्त हो सकती है, जिससे गांव के परिवारों को खतरा बना हुआ है। प्रशासन ने गांव के छह परिवारों महिपाल सिंह, मंगली देवी, जोत सिंह, सुरेन्द्र सिंह, लक्ष्मी देवी व प्रेम सिंह को जिला पंचायत कालौनी, नगर पालिका के बारातघर, प्राइमरी स्कूल पिपली व आंगनबाड़ी केन्द्र पिपली में शिफ्ट कर दिया है। ग्राम प्रधान जोत सिंह रावत ने बताया कि गांव के ऊपर की सुरक्षा दीवार कभी भी ढह सकती है।


 वहीं, लम्बगांव में जलकुर नदी का जलस्तर बढ़ने से नौघर के जगमोहन, वीरेन्द्र रावत खेतों को नुकसान हुआ है, वहीं बिजपुर गदेरा ऊफान पर होने के कारण कपूर, वीरेन्द्र सिंह, अर्जुन सिंह, सुमेर सिंह की सिंचित भूमि बह गई है। वहीं, घनसाली में सरस्वती शिशु मंदिर के दो कमरे क्षतिग्रस्त हो गया है जबकि कोटगा गांव में पंचायत भवन ध्वस्त हो गया। वहीं, चम्बा के जाजल हडीसेरा व नागणी में हेंवल नदी में बाढ़ आने से नदी के दोनों किनारें ग्रामीणों के सिंचित खेत बह गए हैं। ग्रामीणों का लगभग 500 नाली कृषि भूमि तबाह हो गई। जबकि नागणी में तीन पुल व 6 आवासीय भवन खतरे की जद में आ गए हैं।



उधर, छाम के थौलधार के ग्राम रमोलसारी में बारिश से भूस्खलन के खतरे को देख गांव के 10 परिवारों ने अपने घर खाली कर दिये हैं। वहीं, कीर्तिनगर में प्रखण्ड के चौरास क्षेत्र में सुपाणा गांव के 15 मकानों में गदेरे का पानी व मलबा घुसने से घर में रखा सामान खराब हो गया। तहसीलदार बीएस रावत ने बताया कि अलकन्दा व भागीरथी नदी के जल स्तर में वृद्धि होने से देवप्रयाग संगम सहित आस पास लोगों को सचेत किया गया है। उधर, नैनबाग में बारिश से विकास खंड जौनपुर में कई हेक्टेयर धान की क्यारियां, घराट एंव मकान क्षतिग्रस्त हो गये। चार पुल बह जाने से आवागमन की विकट समस्या पैदा हो गई है।
   
Source Dainik jagran

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बारिश से तबाही, भाई-बहन समेत तीन बहे
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हल्द्वानी। विगत दो दिन से हो रही बारिश ने कुमाऊं में भारी तबाही मचा दी है। उफनाए गधेरों में भाई-बहन समेत तीन लोग बह गए, जबकि रुद्रपुर में दीवार ढहने से एक व्यक्ति की मौत हो गई।

लोहाघाट की लिधिया नदी में एक व्यक्ति का शव बरामद हुआ है। भूस्खलन से पर्वतीय क्षेत्रों के सभी प्रमुख मार्ग बंद हैं। भारी वर्षा से कई मकान ध्वस्त हो गए हैं। पहाड़ों में विद्युत व फोन सेवा भी ध्वस्त हो गई है। काली नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। गौला, कोसी, सूखी आदि नदियों का जलस्तर भी बढ़ गया है। मार्ग बंद होने से नैनीताल में दर्जनों सैलानी फंसे हुए हैं। टनकपुर के पास शारदा नदी के पानी से एक श्रमिक का परिवार 15 घंटे तक फंसा रहा।

पर्वतीय क्षेत्रों में शनिवार रात से ही मूसलाधार बारिश शुरू हो गई थी। सोमवार को रानीखेत के बटुलिया गांव निवासी राजेंद्र सिंह का बेटा पूरन व बेटी संजना प्राइमरी पाठशाला दलमोटी गए हुए थे। झंडा रोहण के बाद सभी बच्चे घर चले गए। पूरन व संजना भी अपने चचेरे भाई के साथ जा रह थे। रास्ते में बान गधेरा अचानक उफान पर आ गया और तीनों तेज बहाव में बहते चले गए। चचेरा भाई जैसे-तैसे किनारे आ गया, लेकिन दोनों बच्चों का कोई पता नहीं चल सका। सूचना मिलते ही दर्जनों ग्रामीण मौके पर पहुंच गए, कुछ समय बाद राजस्व टीम भी पहुंची। काफी खोजबीन के बाद भी दोनों का अभी तक पता नहीं चल सका है। पूरन कक्षा तीन व संजना दो में पढ़ती थी।

http://in.jagran.yahoo.com/news/national/mishap/5_23_6292178.html

Anil Arya / अनिल आर्य

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हफ्ते भर न आएं तीर्थयात्रा पर  देहरादून। मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बाहर से आने वाले तीर्थयात्रियों से अपनी चारधाम यात्रा हफ्ते भर के लिए टालने की गुजारिश की। उन्होंने भारी बारिश के कारण प्राकृतिक आपदा की आशंका को देखते हुए रेड अलर्ट का जिक्र भी किया। कहा कि प्राकृतिक आपदा की आशंका के चलते जिला प्रशासन को हर समय तत्पर रहने के निर्देश दिए गए हैं। तीर्थयात्रियों को एक हफ्ते तक चारधाम यात्रा पर न आने की गुजारिश की जा रही है। यात्रा मार्ग पर फंसे लोगों को निकालने के लिए प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यात्रा मार्गों को खोलने के लिए सीमा सड़क संगठन को मशीनरी और श्रम शक्ति बढ़ाने के लिए कहा गया है। ग्रामीण स्तर पर बनी आपदा प्रबंधन समितियों की भी सहायता ली जाएगी। चार धाम सहित कई मार्ग बंद, नदियां खतरे के निशान से ऊपर, सरकार ने सेना की मदद मांगी प्रदेश में बारिश का बवंडर : 10 लोगों की मौत फिर भारी बारिश की संभावना, बर्फबारी भी होगी देहरादून। आगामी 24 घंटे के अंतराल में प्रदेश में फिर भारी बारिश की संभावना है। साथ ही प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ की पहाड़ियों पर बर्फबारी के भी आसार हैं। पिछले दो दिनों में राजधानी देहरादून में भारी बारिश दर्ज की गई है।15 अगस्त को पूरे दिन 139 मिमी और मंगलवार को दोपहर बाद तक 74.8 मिमी बारिश हुई। मौसम विभाग के निदेशक आनंद शर्मा ने बताया कि बारिश का यह सिलसिला अभी जारी रहेगा। पहाड़ के रास्ते पर लोगों को सावधानी से आवागमन की हिदायत दी गई है। गंगोत्री मार्ग पर कई मीटर सड़क भागीरथी में समाई  बदरीनाथ और गंगोत्री की तरफ कई तीर्थयात्री फंसे  प्रदेश भर के स्कूलों में आज तक छुट्टी की घोषणा  source - amar ujala

Anil Arya / अनिल आर्य

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 जलप्रलय लगातार दो दिन की बारिश ने पूरे प्रदेश मंे जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। एक ओर जहां पहाड़ में कई राष्ट्रीय और राजमार्ग बंद हो गए वहीं दूसरी ओर मैदानी इलाके जलमग्न हो गए। पहाड़ में कई मकान जमींदोज हो गए तो कई इसकी कगार पर खड़े हैं, वहीं मैदानी इलाकों में भी घरों तक पानी घुस आया। लोग सारी रात पानी िनकालने और उससे अपना सामान बचाने का प्रयास करते रहे। मंगलवार को भी हालात ये रहे िक हर चेहरे पर लगातार हो रही बरसात की िचंता साफ झलक रही थी।  बरसाती नदी का पानी हाईवे पर  • अमर उजाला ब्यूरो हरिद्वार। बहादराबाद क्षेत्र के ग्राम शांतरशाह में हरिद्वार-दिल्ली हाइवे पर आए बारिश के पानी में गैस सिलेंडरों से भरा एक ट्रक और यात्रियों से भरी एक बस बह गई। मौके पर तैनात पुलिस कर्मियों ने बमुश्किल ट्रक चालक, क्लीनर और यात्रियों को बचाया। दूसरी ओर औरंगाबाद स्थित योगग्राम में भी आए पानी के चलते एक वाहन रेत में समा गया।  ग्राम शांतरशाह और पतंजलि योगपीठ के निकट हाइवे पर बरसाती नदी का पानी आ गया। पानी का बहाव इतना तेज था कि आगरा से सिलेंडर लेकर सिडकुल जा रहा एक ट्रक उसमें बहकर खेतों में चला गया। मौके पर मौजूद पुलिस कर्मियों ने ट्रक चालक और क्लीनर को बचा लिया, लेकिन ट्रक में रखे करीब 275 सिलेंडर बह गए। पुलिस ने करीब 40 सिलेंडर तो पानी से निकाल लिए। बाकी बाकी का कुछ पता नहीं चला। वहीं आगरा डिपो की एक बस भी सड़क धंसने के कारण पानी में फंस गई। बस के एक ओर झुकते ही पुलिस ने बस में सवार करीब 25 यात्रियों को बाहर निकाला। काफी प्रयासों के बावजूद बस को क्रेन की सहायता से भी बाहर नहीं निकाला जा सका। फिलहाल बस को निकालने की कोशिश की जा रही है।  •ट्रक में भ्‍ारे करीब 245 सिलेंडर भ्‍ाी बारिश के पानी में बहे  •बस और ट्रक पानी में बहे यात्रियों को सकुशल निकाला  epaper.amarujala

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नैनीताल332 मिमी (पिछले 24 घंटे में)
पंतनगर209.4 मिमी और 32.7 मिमी
मुक्तेश्वर243.3 मिमी और 29.2 मिमी
पिथौरागढ़106.2 मिमी (पिछले 24 घंटे में)
टिहरी132 मिमी और 43.4 मिमी।
हरिद्वार293 मिमी (पिछले 24 घंटे में)
सेना, वायुसेना, एनडीआरएफ से मांगी मदद
आईटीबीपी-सीआरपीएफ को अलर्ट
• अमर उजाला ब्यूरो
देहरादून। प्रदेश में लगातार और मूसलाधार बारिश के साथ आपदा की आशंका को देखते हुए राज्य सरकार ने सेना, वायुसेना, नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स के साथ ही आईटीबीपी और सीआरपीएफ से मदद मांगी है। प्रभारी सचिव (आपदा प्रबंधन) भास्करानंद जोशी ने कहा कि इस संबंध में केंद्र सरकार और सेना को चिट्ठी भेज दी गई है। मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने भी मंगलवार को आपदा के बारे में पूरी रिपोर्ट ली।
पिछले साल की आपदा को याद करते हुए राज्य सरकार इस बार पहले से ही सारी तैयारियां करने में जुटी है। पहाड़ों में जिस तरह कई दिनों से बारिश हो रही है उससे एक बार फिर भूस्खलन की आशंका बन गई है। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने सेना और रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर जरूरत पड़ने पर उसकी मदद करने के लिए तैयार रहने को कहा है। ऐसा ही खत वायुसेना को भी भेजा गया है। भास्करानंद जोशी ने कहा कि एनडीआरएफ से पांच कंपनी हरिद्वार के लिए तुरंत भेजने की मांग की गई है। जरूरत पड़ने पर इन कंपनियों को अन्य प्रभावित जिलों में भी भेजने का अधिकार राज्य सरकार के पास होता है।
अल्मोड़ा और श्रीनगर में एक-एक कंपनी की तैनाती की भी सिफारिश की गई है। आज मुख्य सचिव ने जोशी से प्रदेश के आपदा से प्रभावित इलाकों के बारे में पूरी रिपोर्ट ली। साथ ही संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों को भी सतर्क किया कि वे रात के वक्त ज्यादा ध्यान दें।
•अल्मोड़ा, श्रीनगर, हरिद्वार के लिए तुरंत मांगी तैनाती
•केंद्र को चिट्ठी, सीएस ने लिया हालात का जायजा
•िपछले साल की आपदा को याद कर अभी से तैयारी

 

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