Author Topic: Uttarakhand Suffering From Disaster - दैवीय आपदाओं से जूझता उत्तराखण्ड  (Read 102768 times)

Anil Arya / अनिल आर्य

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आफत में 700 से ज्‍यादा यात्री
यमुनोत्री, गंगोत्री हाईवे ठप होने से जरूरी वस्तुओं की किल्‍लत, महंगाई चरम पर
अमर उजाला ब्यूरो
उत्तरकाशी। बीते दो दिनों मूसलाधार बारिश के कारण हुए भूस्खलन से अवरुद्ध यमुनोत्री राजमार्ग पर जानकीचट्टी और गंगोत्री राजमार्ग पर सैंज, लाटा भटवाड़ी में फंसे तीर्थयात्रियों को भारी मुसीबतें उठानी पड़ रही हैं। भटवाड़ी टकनौर और गीठ यमुनोत्री क्षेत्र में खाद्यान्न सहित जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति बाधित होने से महंगाई चरम पर पहुंच गई है।
सैंज में 11 दिनों से अवरुद्ध होने के साथ ही बीते दो दिनों की बारिश में गंगोत्री राजमार्ग भाटुकासौड़, सुक्की, हेलगू आदि स्थानों पर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। सुक्की गदेरे में उफान आने से यहां राजमार्ग के पांच स्थानों पर ध्वस्त हो गया है। सैंज में सड़क अवरुद्ध होने से 11 दिनों से इस क्षेत्र में फंसे 500 से अधिक यात्रियों के अलावा 36 गांवों के बाजार भटवाड़ी और हर्षिल, धराली क्षेत्र में लोगों को अब खाद्यान्न सहित अन्य जरूरी वस्तुएं महंगे दामों पर खरीदने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है।
जानकीचट्टी में अपने ग्रुप के साथ दो दिनों से फंसे अहमदनगर, पूना के श्रीकांत, इलाहबाद के सुरेश सिंह, नईदिल्ली के विजय, आगरा के प्रदीप अग्रवाल, समस्तीपुर बिहार के सुरेंद्र नायक जयपुर राजस्थान के भवानी सिंह आदि का कहना है कि यहां पर एक समय 50 रुपये का खाना खाने पर भी भूख नहीं मिट रही है। चाय भी 10 रुपये कप है। महंगाई ने उनका बजट बिगाड़ दिया है।
सीमा सड़क संगठन ने देवीधार-धरासू के बीच 10 किमी क्षेत्र में मलबे से पटे राजमार्ग पर यातायात बहाली के लिए चार जेसीबी लगा 18 अगस्त से यातायात चालू करने का भरोसा दिलाया है।
यहां फंसे हैं यात्री
परेशानी
बिजली गुल
पुलिस सूचना के अनुसार 13 अगस्त को 604, 14 को 714 और 15 अगस्त को 626 तीर्थयात्री यमुनोत्री धाम की यात्रा पर गए। इसमें 700 से अधिक यात्री अभी जानकीचट्टी में फंसे हैं, जबकि पहले लौटकर आए यात्री धरासू, ब्रह्मखाल की ओर फंसे हैं। गंगोत्री राजमार्ग 11 दिनों से सैंज में अवरुद्ध होने से बीते तीन दिनों में सिर्फ 78 यात्रियों ने ही इस ओर रुख किया।
उत्तरकाशी। सुक्की, झाला, जसपुर के लोग 27 जुलाई से बिजली की लाइन ठीक न होने के कारण अंधेरे में रहने को मजबूर हैं। ईंधन की कमी सेबीएसएनएल दिन में सिर्फ एक घंटे सेवाएं ही दे पा रहा है।



Anil Arya / अनिल आर्य

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जरूरी सामान के िलए मीलों चल रहे पैैैदल
गढ़वाल मंडल में 388 सड़कें अब भी बंद
• अमर उजाला ब्यूरो
पौड़ी। गढ़वाल मंडल में बारिश के कारण बंद सड़कें सुचारु न हो पाने से लोगों की दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं। यातायात से कटे होने के कारण लोगों को अपने जरूरी सामान के लिए मीलों पैदल चलना पड़ रहा है। मंडल के कई क्षेत्रों में बारिश थम गई है, लेकिन बरसात से बंद होने वाली सड़कों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।
गढ़वाल मंडल में बारिश से बंद सड़कों की संख्या बुधवार को 388 हो गई है। मंडल में टिहरी जिले में सर्वाधिक 130 सड़कें अवरुद्ध हैं। इसके अलावा पौड़ी जिले में 67, उत्तरकाशी में 46, चमोली में 62, रुद्रप्रयाग में 28, देहरादून में 47 और हरिद्वार में सबसे कम 8 सड़कें बंद हैं।
पौड़ी जिले में पौड़ी-कोटद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग, बुआखाल-रामनगर राष्ट्रीय राजमार्ग समेत 67 सड़कें बंद पड़ी हुई हैं। एनएस के सहायक अभियंता धीरेंद्र कुमार ने बताया पौड़ी-कोटद्वार मार्ग पीपलीपानी के समीप बंद है। फिलहाल कोटद्वार को आने-जाने वाले वाहनों को कांसखेत होकर निकाला जा रहा है। बुआखाल-रामनगर मार्ग को सुचारू करने में कई दिन लग सकते हैं। लोनिवि के अधीक्षण अभियंता दयानंद ने बताया कि जिले में बंद हुई सड़कों को वरीयता के आधार पर सुचारू किया जा रहा है। कोट ब्लाक के पूर्व कनिष्ठ उप प्रमुख वीरेंद्र नयाल ने बताया ब्लाक में कई सड़कें बंद होने से कई वाहन रास्तों में ही फंसे हुए हैं।
पौड़ी में सब्जी का संकट गहराया
पौड़ी। सड़कें बंद होने के कारण पौड़ी में सब्जियों का संकट गहराने लगा है। बारिश के कारण सड़कें अवरुद्ध होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से सब्जी नहीं आ पा रही है। पौड़ी कोटद्वार मार्ग बंद हो जाने के कारण मैदानी क्षेत्रों से भी कम सब्जी आ रही है, जिससे सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं।
किरसाल में कई खेत बहे, सड़क धंसी
पौड़ी। राठ क्षेत्र की ढाईज्यूली पट्टी के किरसाल बारिश से लोगों को कई खेत बह गए हैं, जिससे फसलें भी चौपट हो गई है। मजरा महादेव से किरसाल के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग की कई सौ मीटर सड़क भी धंस गई है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य और थलीसैण के कांग्रेस ब्लाक अध्यक्ष दलीप सिंह गुसाईं ने बताया कि ढाईज्यूली और बाली कण्डारस्यूं पट्टी में बारिश से लोगों को काफी नुकसान हो गया है। क्षेत्र में मजरा महादेव से किरसाल के बीच में 200 मीटर तक राष्ट्रीय राजमार्ग धंस गया है। लोगों के दर्जनों खेत भूस्खलन से बह गए हैं। फसल बरबाद हो गई है। उन्होंने प्रशासन से प्रभावितों को मुआवजा देने की मांग की है।
हैरान हैं प्रभावित
पौड़ी। आपदा राहत के नाम पर गई जिला प्रशासन की टीम ने चौबट्टा से ढाई किमी दूर जीआईसी खिर्सू और संकुल केंद्र के चौकीदारों को कक्ष खोलने के निर्देश दिए थे। जिस पर प्रभावितों ने प्रशासन के इस रवैए पर हैरानी जताई। दरारों ढहते पुश्तों को पानी से बचाने को जैसे-तैसे तिरपाल का इंतजाम भी प्रभावितों ने किया।
सुरक्षित स्थानों पर ली पनाह
पौड़ी। लगातार बारिश से खतरे की जद में आए चौबट्टा के प्रभावितों ने फिलहाल अपने रिश्तेदारों के घरों में पनाह ले रखी है। वहीं पालतू पशुओं के लिए भी जैसे तैसे व्यवस्था कर रखी है। बीते तीन दिनों से हो रही लगातार बरसात के कारण खिर्सू के निकट चौबट्टा क्षेत्र के करीब एक दर्जन गांव खतरे की जद में आ गए थे। जिसमें प्रीतम सिंह, श्याम सिंह रावत, सोबन सिंह, मदन सिंह, भूपाल सिंह रावत, गुलाब सिंह रावत, मनवर सिंह, राधेश्याम, ईश्वर सिंह, वजीर चंद्र गुलाटी, देवेश्वरी देवी, रूपा देवी, कीर्ति रावत आदि शामिल हैं। वहीं एसडीएम सादिया आलम ने कहा कि अधिक जोखिम वाले भवनों से लोग फिलहाल अन्यत्र शिफ्ट हो गए हैं। तिरपाल फिलहाल उपलब्ध नहीं है। मिट्टी युक्त पानी निकलने की जांच कराई जाएगी।
जोर के कंपन से सहमे चौबट्टावासी
पौड़ी। चौबट्टा क्षेत्र के प्रभावितों के मुताबिक लगातार बरसात के बाद जब भवनों के नीचे भूस्खलन शुरू हुआ तो जोर से कंपन के साथ भवनों पर दरारें आ गई हैं। इससे अफरा तफरी मच गई। महिलाओं और बच्चों की चीख पुकार के साथ प्रभावित क्षेत्र के सभी लोग जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थानों पर आए। गोशाला में बंधे जानवरों को पीछे की दीवार तोड़कर सुरक्षित स्थान पर लाया गया।
जमीन से निकल रहा पानी
पौड़ी। चौबट्टा में दो जगहों पर जमीन के नीचे से निकल रहा पानी कौतूहल का विषय बना रहा। गुलाब सिंह, संजय आदि ने बताया कि भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र से जमीन के भीतर से पानी निकला।
बारिश ने बढ़ाई मुश्किलें

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काल बनी बाढ़, थपेड़ों में युवक के टुकड़े
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भीमताल: पहाड़ों में मूसलाधार वर्षा से क्षेत्र की नदियों ने रौद्र रूप ले लिया है। काल बनकर आई बाढ़ ने जहां युवक को लहरों में फंसा दिया, वहीं थपेड़ों के बीच चट्टानों से टकरा-टकरा कर उसके शरीर के दो हिस्से हो गए। देर शाम युवक का धड़ 40 किलोमीटर दूर स्यूगाढ़ जबकि एक पांव कलसा नदी से बरामद हुआ। मृतक की शिनाख्त कर ली गई है।

दिल को दहला देने वाली घटना गुरुवार की है। बताते हैं कि धानाचूली निवासी रमेश सिंह का पुत्र वीरेंद्र सिंह 13 अगस्त को संदिग्ध हालात में घर से लापता हो गया था। परेशान परिजनों ने ग्रामीणों के साथ उसकी ढूंढखोज भी की मगर कोई सुराग न लग सका। इधर गुरुवार को कुछ लोगों ने धारी ब्लॉक के सरना देवनगर से गुजरने वाली कलसा नदी के पास ही रेत पर किसी व्यक्ति का पांव दबा देखा।

 इससे हड़कंप मच गया। ग्रामीण राजस्व पुलिस को इत्तला दे घटना का पता लगाने में जुटे ही थे कि पता लगा कि एक व्यक्ति का धड़ करीब 40 किलोमीटर दूर पनियाली के पास स्यूगाढ़ नदी में फंसा पड़ा है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6304114.html

adhikari harish dhoura

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Aug 18, 08:24 pm


जागरण कार्यालय,अल्मोड़ा: पिछले 5 दिनों की अतिवृष्टि से जनपद में कुल 132 मकान पूर्ण व आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। जबकि तहसील भनोली में 32 व जैंती में 2 पशु हानि हुई है। जिलाधिकारी डीएस गब्र्याल ने अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यो में तेजी लाने के साथ ही प्रभावित लोगों को तुरंत सहायता पहुंचने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं।

जिलाधिकारी ने जल संस्थान के अधिशासी अभियंता को निर्देश दिए हैं कि प्राथमिकता के आधार पर पेयजल आपूर्ति को सुचारु करने के लिए कार्रवाई करें। जिससे उपभोक्ताओं को दिक्कतें न हों। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को उन्होंने निर्देश दिए हैं कि वह बंद पड़े मोटर मार्गो को खोलने के कार्य में तेजी लाएं। जिलाधिकारी ने बताया कि अतिवृष्टि के कारण अब तक जनपद में 132 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। साथ ही तहसील भनोली में 32 व जैंती में 2 पशु हानि हुई है। उन्होंने बताया कि सभी उपजिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने संवेदनशील क्षेत्रों में पैनी निगाह रखें। अतिवृष्टि के कारण बंद हुए अल्मोड़ा-घाट-पनार मार्ग व सेराघाट-अल्मोड़ा मोटर मार्ग अब तक नहीं खुल पाया है। लोनिवि के अधीक्षण अभियंता बीके शर्मा ने बताया कि मौसम के अनुकूल होते ही इस मोटर मार्गो के यातायात के लिए खोल दिया जाएगा

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                 अनहोनी की आशंका से रात भर जागरण कर रहे हैं लोग

गत पांच दिनों से लगातार हो रही बारिश से समूचे तहसील क्षेत्र के ग्रामीणों में इस कदर भय और दहशत का आलम है कि दुर्गम पहाड़ी पर बसे गांवों के लोग रात भर जागरण कर रहे हैं। विकास खंड धौलादेवी के अन्तर्गत धार, अजा बस्ती मयोली, सेरी और सेलकनाला सहित दुर्गम पहाड़ी ढलान पर बसे तोकों का अस्तित्व खतरे में है। आसन्न खतरे को देखते हुए दर्जनों परिवार अन्यत्र शरण लेने को विवश हो गये हैं।

 14 अगस्त से लगातार हो रही बारिश ने क्षेत्र में इस कदर तांडव मचाया कि अब तक तीन दर्जन से अधिक परिवारों को अन्यत्र बसाया जा चुका है। इनमें एक दर्जन से अधिक ऐसे परिवार हैं जिनका सर्वस्व आपदा का ग्रास बन चुका है। गोठ में बंधे मवेशियों सहित घर में रखा सारा सामान जमींदोज हो गया है। दन्यां के समीप धार गांव के दीप चंद्र और आनन्द बल्लभ के परिवार के पास तन के कपड़ों के सिवा कुछ नहीं है। उन्होंने बताया कि तेज बारिश में आवासीय मकान में इस कदर मलवा घुसा कि घर में रखे कीमती सामान और मवेशियों को बाहर निकालने का अवसर ही नहीं मिल पाया।


 पंचायत घर में शरण लिये रूआसे परिजनों की आंखों में तबाह हुए मकान को देख कर आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इस तोक में रह रहे अन्य आधा दर्जन परिवारों के मकानों को भी खतरा बना हुआ है। कमोबेश यही हाल अजा बस्ती मयोली और सेलकनाला तोक में रह रहे लोगों का भी है। मारे डर के भले ही उन्होंने अन्यत्र शरण ली हो लेकिन ध्वस्त होने के कगार पर खड़े अपने अपने घरों को देख कर वे फफक रहे हैं।
मलबे में चार दिन बाद जिंदा मिली गाय


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                 टंगणी में भी पत्थरों की बरसात

  गोपेश्वर, जागरण कार्यालय: उत्तरकाशी जिले में वरुणावत और रुद्रप्रयाग में सिरोबगड़ के बाद टंगणी में भी पहाड़ से पत्थरों की बरसात शुरू हो गई है। इससे अब तक करीब 20 से अधिक बार बदरीनाथ हाईवे अवरुद्ध हो चुका है यहां पर लगातार हो रहे भूस्खलन से ग्रीफ का भी सिरदर्द बढ़ गया है।

इस वर्ष बारिश के शुरू होते ही बदरीनाथ हाईवे जगह-जगह क्षतिग्रस्त होकर आफत का हाईवे बन गया है। राहगीरों के अलावा सीमा सड़क संगठन की भी रातों की नींद हाईवे के चलते उड़ गई है। हालत यह है कि छिनका, टंगणी, पागलनाला, लंगसी, पातालगंगा, हेलंग, पैंनी, लामबगड़, कंचनगंगा, रड़ंाग बैंड भूस्खलन से आये दिन तबाही मचा रहा है। सीमा सड़क संगठन ने जिन संसाधनों से सड़क चौड़ीकरण का कार्य करना था वे संसाधन अब सड़क की मरम्मत के लिए भी कम पड़ रहे है।

खास बात तो यह है कि टंगणी में एक माह पूर्व उभरा भूस्खलन जोन दिन भर पत्थरों की बरसात कर रहा है। ऐसे में ग्रीफ के लिए टंगणी दूसरा सिरोबगड़ साबित हो रहा है। फिलहाल टंगणी के ट्रीटमेंट के लिए ग्रीफ ने भी हाथ खड़े कर दिये है क्योंकि भूस्खलन की रोकथाम के लिए कोई भी योजना कारगर साबित नहीं हो रही है। पहाड़ी में पत्थरों के साथ चिकनी खड़िया मिट्टी होने के कारण भूस्खलन रोकना एक समस्या बन गई है।

लगभग सिरोबगड़ जैसी मिट्टी होने के कारण फिलहाल ग्रीफ दिन भर मलबा साफ कर किसी तरह अपनी देख रेख में वाहनों की आवाजाही कर रहा है। अभी तक इस भूस्खलन जोन में एक दर्जन वाहन क्षतिग्रस्त होकर 18 से अधिक मुसाफिर चोटिल हो चुके है।



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                          सड़कें बंद, बिजली गुल, नल सूखे



 नई टिहरी, बारिश के कारण जिले में जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लगातार हो रही बारिश से कहीं पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त हो रखी हैं, तो कहीं लिंक मार्ग बंद पड़े हैं। बिजली की लाइनें टूटने से विद्युत आपूर्ति भी कई क्षेत्रों में बाधित चल रही है। इस कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।पानी को हाहाकार
तीन दिन से जिला मुख्यालय में पानी के लिए हाहाकर मचा हुआ है। बारिश के कारण लाइन क्षतिग्रस्त होने से यह समस्या पैदा हुई है। लोगों को पानी के लिए जगह-जगह भटकना पड़ रहा है। इस संबंध में जल संस्थान के ईई जीबी डिमरी का कहना है कि भारी बारिश के कारण बीपुरम, जीरों बैंड व भैंतोगी में लाइन क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिसके मरम्मत कर कार्य चल रहा है।भरना पड़ रहा बारिश का
नई टिहरी: जिला मुख्यालय में पानी का संकट इस कदर गहरा गया है कि शुक्रवार तड़के जैसे ही बारिश शुरू हुई लोग बिस्तरों से उठकर बर्तनों को लेकर बाहर निकल आए। उन्होंने बर्तनों को छत के नीचे लगाकर बारिश का पानी भरा।दुग्ध संघ को नुकसान
नई टिहरी: जनपद की सड़कें दैवीय आपदा के चलते बंद होने से दुग्ध संघ को अब तक पांच लाख रुपये का नुकसान हो चुका है।विद्युत लाइन टूटी
चम्बा: प्रखण्ड की सकलाना पट्टी के एक दर्जन से अधिक गांवों में विद्युत आपूर्ति ठप हो गई है। यहां कई विद्युत लाइनें टूटी है जिस कारण यहां के हवेली, उनियाल गांव, पुजारगांव, नवागांव, मरोड़ा आदि गांव में पिछले कई दिनों से विद्युत आपूर्ति ठप है। वहीं, थौलधार प्रखण्ड में बौरगांव, रत्‍‌नों, कोट, क्यूलांगी, बौंसारी आदि गांवों में 13 अगस्त से विद्युत आपूर्ति बाधित है।बारिश ने छीना आशियाना
चम्बा: प्रखंड में अब तक दर्जनों लोगों के मकान ध्वस्त हो चुके है। जिस कारण ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ गयी है। भारी बारिश से सिलोगी गांव के रविन्द्र सिंह गुंसाई का चार कमरों वाला मकान ध्वस्त हो गया। वहीं, जड़धार गांव के कुंवर सिंह का मकान आंगन सहित ध्वस्त हो गया है।भूस्खलन का खतरा
नई टिहरी: टिहरी बांध की झील के कारण धारमंडल के ग्राम खांड गांव को खतरा बना हुआ है। भूस्खलन के कारण ग्रामीण भयभीत हैं। ग्रामीणों के मकानों में दरारें आ गई है। इस संबंध में पूर्व राज्यमंत्री विक्रम सिंह नेगी ने जिलाधिकारी को ज्ञापन भेजा है ।नए भवन बनाने की मांग
चम्बा: राइंका नागणी की विभिन्न समस्याओं को लेकर अभिभावक संघ ने जिलाधिकारी को ज्ञापन भेजकर विद्यालय का नया भवन बनाने की मांग की है।  बिजली गुल, उपभोक्ता परेशान
चाका:चाका क्षेत्र के दर्जनों गांवों को देवप्रयाग सब स्टेशन से बिजली आपूर्ति की जाती है, लेकिन विभाग की लापरवाही से छह दिन से क्षेत्र में बिजली नहीं आई। लोगों को पूरी रात अंधेरे में काटनी पड़ रही है।

 उधर, इस संबंध में देवप्रयाग सब स्टेशन के अवर अभियंता संजीव कुमार का कहना है कि बारिश होने से लाईन में फाल्ट आने व खनाना फणिका में पोल गिरने से विद्युत आपूर्ति में दिक्कतें आई है


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भूस्खलन के चलते गंगोत्री, बदरी-केदारनाथ यात्रा ठप



  उत्तरकाशी/गोपेश्वर/रुद्रप्रयाग,  : लगातार हो रही बारिश के चलते गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग 14 वें दिन भी नहीं खुल पाया। वहीं, श्रीनगर- रुद्रप्रयाग के बीच चमधार में मलबा आने से ऋषिकेश- बदरीनाथ राजमार्ग फिर से अवरुद्ध हो गया। इससे गंगोत्री, बदरी- केदारनाथ यात्रा ठप हो गई है। साथ ही श्रीनगर, चिन्यालीसौड़, डुण्डा व उत्तरकाशी में  करीब डेढ़ हजार यात्री फंसे हुए हैं।



गंगोत्री राजमार्ग उत्तरकाशी के भटवाड़ी व नालूपानी में 14 वें दिन भी नहीं खोला जा सका। वहीं, गत रातभर हुई बारिस से नाकुरी, बंद्रकोट, चुंगी बड़ेथी, मैणागाड आदि स्थानों पर भारी मात्रा में मलबा आ गया। इससे यह मार्ग बंद रहा। दोपहर बाद इन स्थानों से मलबा हटा दिया गया। विभिन्न स्थानों पर मार्ग अवरुद्ध होने से उत्तरकाशी व अन्य स्थानों पर करीब ढाई सौ यात्री फंसे हुए हैं। बीआरओ के कमांडर उमाकांत पांडे न बताया राजमार्ग को खोलने के पूरे प्रयास किये जा रहे।



शनिवार तड़के करीब चार बजे श्रीनगर से दस किमी रुद्रप्रयाग की ओर चमधार में ऋषिकेश बदरीनाथ राजमार्ग बंद हो गया। यहां पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा व पत्थर आने से सड़क का करीब पचास मीटर लंबे हिस्सा टूट गया। शाम तक इस मार्ग को नहीं खोला जा सका। श्रीनगर में करीब साढ़े बारह सौ से अधिक यात्री फंसे हुए हैं। बीआरओ के अवर अभियंता एसके सिंह ने बताया कि रविवार दोपहर तक मार्ग को वाहनों की आवाजाही के लिए दुरूस्त कर दिया जायेगा।

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                 झील से सटे गांव दहशदजंदा



  नई टिहरी, जागरण संवाददाता : टिहरी बांध झील से सटे गांवों में बरसात शुरू होने से ग्रामीणों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई हैं। ग्रामीण पिछले साल की बरसात को याद कर सिंहर उठते हैं। झील से सटे करीब दो दर्जन गांवों में संकट गहराने लगा है। भूस्खलन आदि दैवीय आपदा के चलते यहां रहना खतरे से खाली नहीं रह गया है। बावजूद इसके इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।


टिहरी बांध झील से जनपद के करीब दो दर्जन गांव सटे हुए हैं। हर साल बरसात के समय झील का जल स्तर बढ़ने से इन गांवों के लोगों की दुश्वारियां बढ़ जाती हैं। बता दें कि पिछले साल सितंबर माह में बांध झील के आरएल 831 तक पहुंच जाने के बाद इन गांवों में ग्रामीणों के आवासीय भवन, संपर्क मार्ग व अन्य संपत्तियां जलमग्न हो गई थी। पिछले करीब एक दशक से यहां के ग्रामीण विस्थापन की मांग कर रहे हैं, लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है।


 बरसात के सीजन में इन गांवों के पास दलदली भूमि होने से उसमें कभी कोई भी जानमाल का नुकसान हो सकता है। दूसरी ओर इसके लिए जिम्मेदार टीएचडीसी प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इस संबंध में ग्रामीण कई बार विस्थापन की मांग कर चुके हैं, लेकिन उस पर कभी कोई अमल नहीं हुआ।


झील से सटे गांव
भल्डियाना, नकोट, रौलाकोट, गडोली, कंगसाली, जलवालगांव, सांदणा, खांड, भैंगा, चौंदार, मोटणा, पिलखी, सरोट, डोबन, स्यांसू, म्यूड़ा, घोंटी, पिपोला, तल्ला उप्पू, तिवाड़गांव, गडोलिया, कोटी, पटांगली, छोलगांव, कठुली आदि शामिल हैं।
प्रभावितों का तर्क
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6313640.html

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अतिवृष्टि से कई भवन क्षतिग्रस्त



   छाम,  अतिवृष्टि और निर्माणाधीन सड़क के भारी मलबे से थौलधार विकासखंड की ग्राम पंचायत क्यूलागी के भट्टगांव व ग्राम पंचायत कंडार गांव में खेतों व पैदल रास्तों को नुकसान पहुंचा है। इससे ग्रामीणों के समक्ष आजीविका की समस्या पैदा हो गई।


रत्नौगाड-थौलधार निर्माणाधीन मोटर मार्ग के मलबे से ग्राम क्यूलागी का पैदल मार्ग ध्वस्त हो गया, जिससे स्कूल व पनघट का आवागमन ठप हो गया है। इसी ग्राम पंचायत के भट्ट गांव में सड़क के मलबे से 40 नाली सिंचित खेत, बागीचे व डांग, बैलगांव, भटगांव की तीन पेयजल लाइनें क्षतिग्रस्त हो गई हैं।



गांव के कुशाल सिंह सिंह एवं ग्राम ढसांण के विशन सिंह का मकान क्षतिग्रस्त हो गया। इसके अतिरिक्त अतिवृष्टि से ग्राम पंचायत कमांद के गंभीर सिंह, रूप सिंह व रवि सिंह के आवासीय भवन व गांव की नेर्थी व ज्यूला नामें तों में सौ नाली सिंचित खेती व गूले क्षतिग्रस्त हो गई हैं।



ग्राम कैंछू में सरोप सिंह व कमल सिंह का भवन क्षतिग्रस्त हुए हैं। ग्राम कंडारगांव मल्ला में भारी भूस्खलन से 60 नाली भूमि तबाह हो गई। गांव के भगवान दास, ध्यान सिंह, दिवान सिंह, किशन, राजेन्द्र, चंदन सिंह के घरों में पानी निकल रहा है, जिससे लोग दहशत में है। ग्राम मंजल्वाल में कसरी देवी पत्नी गरीबदास का भवन ध्वस्त हो गया।


 प्रावि नकोट गुसांई में मलबा आने से विद्यालय के दोनों कमरे ध्वस्त हो गए। बेसिक पाठशाला बागी का आंगन ध्वस्त होने से विद्यालय भवन ढहने की कगार पर है। क्षेत्र के ग्राम प्रधानों अजीत सिंह, गोविन्द सिंह, संगीता देवी, रायसिंह पंवार आदि ने आपदाग्रस्त भवनों का निरीक्षण करने व प्रभावितों को राहत देने की मांग की है।
   
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6317094.html

 

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