जरूरी सामान के िलए मीलों चल रहे पैैैदल
गढ़वाल मंडल में 388 सड़कें अब भी बंद
• अमर उजाला ब्यूरो
पौड़ी। गढ़वाल मंडल में बारिश के कारण बंद सड़कें सुचारु न हो पाने से लोगों की दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं। यातायात से कटे होने के कारण लोगों को अपने जरूरी सामान के लिए मीलों पैदल चलना पड़ रहा है। मंडल के कई क्षेत्रों में बारिश थम गई है, लेकिन बरसात से बंद होने वाली सड़कों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।
गढ़वाल मंडल में बारिश से बंद सड़कों की संख्या बुधवार को 388 हो गई है। मंडल में टिहरी जिले में सर्वाधिक 130 सड़कें अवरुद्ध हैं। इसके अलावा पौड़ी जिले में 67, उत्तरकाशी में 46, चमोली में 62, रुद्रप्रयाग में 28, देहरादून में 47 और हरिद्वार में सबसे कम 8 सड़कें बंद हैं।
पौड़ी जिले में पौड़ी-कोटद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग, बुआखाल-रामनगर राष्ट्रीय राजमार्ग समेत 67 सड़कें बंद पड़ी हुई हैं। एनएस के सहायक अभियंता धीरेंद्र कुमार ने बताया पौड़ी-कोटद्वार मार्ग पीपलीपानी के समीप बंद है। फिलहाल कोटद्वार को आने-जाने वाले वाहनों को कांसखेत होकर निकाला जा रहा है। बुआखाल-रामनगर मार्ग को सुचारू करने में कई दिन लग सकते हैं। लोनिवि के अधीक्षण अभियंता दयानंद ने बताया कि जिले में बंद हुई सड़कों को वरीयता के आधार पर सुचारू किया जा रहा है। कोट ब्लाक के पूर्व कनिष्ठ उप प्रमुख वीरेंद्र नयाल ने बताया ब्लाक में कई सड़कें बंद होने से कई वाहन रास्तों में ही फंसे हुए हैं।
पौड़ी में सब्जी का संकट गहराया
पौड़ी। सड़कें बंद होने के कारण पौड़ी में सब्जियों का संकट गहराने लगा है। बारिश के कारण सड़कें अवरुद्ध होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से सब्जी नहीं आ पा रही है। पौड़ी कोटद्वार मार्ग बंद हो जाने के कारण मैदानी क्षेत्रों से भी कम सब्जी आ रही है, जिससे सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं।
किरसाल में कई खेत बहे, सड़क धंसी
पौड़ी। राठ क्षेत्र की ढाईज्यूली पट्टी के किरसाल बारिश से लोगों को कई खेत बह गए हैं, जिससे फसलें भी चौपट हो गई है। मजरा महादेव से किरसाल के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग की कई सौ मीटर सड़क भी धंस गई है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य और थलीसैण के कांग्रेस ब्लाक अध्यक्ष दलीप सिंह गुसाईं ने बताया कि ढाईज्यूली और बाली कण्डारस्यूं पट्टी में बारिश से लोगों को काफी नुकसान हो गया है। क्षेत्र में मजरा महादेव से किरसाल के बीच में 200 मीटर तक राष्ट्रीय राजमार्ग धंस गया है। लोगों के दर्जनों खेत भूस्खलन से बह गए हैं। फसल बरबाद हो गई है। उन्होंने प्रशासन से प्रभावितों को मुआवजा देने की मांग की है।
हैरान हैं प्रभावित
पौड़ी। आपदा राहत के नाम पर गई जिला प्रशासन की टीम ने चौबट्टा से ढाई किमी दूर जीआईसी खिर्सू और संकुल केंद्र के चौकीदारों को कक्ष खोलने के निर्देश दिए थे। जिस पर प्रभावितों ने प्रशासन के इस रवैए पर हैरानी जताई। दरारों ढहते पुश्तों को पानी से बचाने को जैसे-तैसे तिरपाल का इंतजाम भी प्रभावितों ने किया।
सुरक्षित स्थानों पर ली पनाह
पौड़ी। लगातार बारिश से खतरे की जद में आए चौबट्टा के प्रभावितों ने फिलहाल अपने रिश्तेदारों के घरों में पनाह ले रखी है। वहीं पालतू पशुओं के लिए भी जैसे तैसे व्यवस्था कर रखी है। बीते तीन दिनों से हो रही लगातार बरसात के कारण खिर्सू के निकट चौबट्टा क्षेत्र के करीब एक दर्जन गांव खतरे की जद में आ गए थे। जिसमें प्रीतम सिंह, श्याम सिंह रावत, सोबन सिंह, मदन सिंह, भूपाल सिंह रावत, गुलाब सिंह रावत, मनवर सिंह, राधेश्याम, ईश्वर सिंह, वजीर चंद्र गुलाटी, देवेश्वरी देवी, रूपा देवी, कीर्ति रावत आदि शामिल हैं। वहीं एसडीएम सादिया आलम ने कहा कि अधिक जोखिम वाले भवनों से लोग फिलहाल अन्यत्र शिफ्ट हो गए हैं। तिरपाल फिलहाल उपलब्ध नहीं है। मिट्टी युक्त पानी निकलने की जांच कराई जाएगी।
जोर के कंपन से सहमे चौबट्टावासी
पौड़ी। चौबट्टा क्षेत्र के प्रभावितों के मुताबिक लगातार बरसात के बाद जब भवनों के नीचे भूस्खलन शुरू हुआ तो जोर से कंपन के साथ भवनों पर दरारें आ गई हैं। इससे अफरा तफरी मच गई। महिलाओं और बच्चों की चीख पुकार के साथ प्रभावित क्षेत्र के सभी लोग जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थानों पर आए। गोशाला में बंधे जानवरों को पीछे की दीवार तोड़कर सुरक्षित स्थान पर लाया गया।
जमीन से निकल रहा पानी
पौड़ी। चौबट्टा में दो जगहों पर जमीन के नीचे से निकल रहा पानी कौतूहल का विषय बना रहा। गुलाब सिंह, संजय आदि ने बताया कि भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र से जमीन के भीतर से पानी निकला।
बारिश ने बढ़ाई मुश्किलें