Author Topic: Uttarakhand Suffering From Disaster - दैवीय आपदाओं से जूझता उत्तराखण्ड  (Read 102770 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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  संभल करबादल फटने से रायपुर ब्लाक के कार्लीगाड गांव का संपर्क देहरादून से पूरी तरह कट गया है,  लेकिन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ने मुसीबत की परवाह न कर चार किमी की दूरी पैदल ही नापी। रास्ते में पड़ते उफनते नाले को लांघते हुए वह गांव पहुंचे और पीडि़त परिवारों का हालचाल जाना।
निशंक साहब संभल कर चलिए,देखो कैसे बन्दर की तरह छलांग लगा रहे हैं निशंक साहब,क्यों न लगायें अभी भ्रस्टाचार भूतनी इनके पीछे भी पड़ने वाली तो प्रेक्टिस  कर रहे हैं भागने ,ओत वैसे भी २०१२ में वोट के लिए भीख मांगने भी तो जाना है,समय आने वाला है वोट की भीख माँगने के २०१२ में,कुछ दिखने के लिए तो भागना पडेगा,भागने में चाहे फट रही होगी लेकिन फिर भी छलांग लगा रहे हो


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बादल फटने से चमोली व उत्तरकाशी में तबाही
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शुक्रवार की रात हुई मूसलाधार बारिश ने चमोली व उत्तरकाशी जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में तबाही मचा दी। बादल फटने से गदेरों में आए उफान में एक दर्जन से अधिक मकान व गोशालाएं, 11 पुल ध्वस्त हो गए और 17 मवेशी मर गए। साथ ही कई गांवों के पैदल रास्ते बंद हो गए और प्रभावित गांवों में बिजली व पानी की व्यवस्था भी ध्वस्त हो गई। थराली में पिंडर नदी में एक बच्चा बह गया, जिसका कोई पता नहीं चल पाया। वहीं, गंगोत्री राजमार्ग 21 वें दिन भी नहीं खुल पाया।

उत्तरकाशी जनपद मुख्यालय से करीब 15 किमी दूरी पर स्थित बादल फटने से बौन गाड में आए उफान के चलते बौन, पोडियाला, जुगुल्डी, गेंवला में 10 पुलिया, पांच घराट व 150 नाली उपजाऊ भूमि मलबे में बदल गई। मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित धौतरी में एक आटा चक्की, एक मकान ध्वस्त हो गया। एक ट्रक मलबे में दब गया और एक कार बहकर खेत में फंस गई। भटकोट गांव में दो बैल गदेरे के तेज बहाव में बह गए। इन गांवों में संपर्क मार्ग समेत, बिजली व पानी की व्यवस्था ध्वस्त हो गई। टिहरी जनपद के घनसाली प्रखंड के अंतर्गत सारपुल गांव में बादल फटने से पैदल मार्ग व पेयजल, सिंचाई योजनाएं ध्वस्त हो गई।

चमोली जनपद के थराली क्षेत्र के कुलसारी में अपने रिश्तेदार के यहां आया आरिफ (पांच साल) पुत्र सादिर अहमद निवासी ग्राम बेडा जिला बिजनौर उत्तर प्रदेश सांय चार बजे अन्य साथियों के साथ पिडर नदी के किनारे शौच के लिए गया था। अचानक पांव फिसलने से पिंडर नदी की तेज धारा में बह गया। समाचार लिखे जाने तक पुलिस व स्थानीय लोगों लोग बालक की तलाश में जुटे थे।

चमोली के देवर कंडेरी, रांगतौली, खैनुरी गांव में बादल फटने से आठ गोशाला व मकान क्षतिग्रस्त हो गए। साथ ही 15 मवेशी मलबे में दबकर मर गए। घाट क्षेत्र के रामणी गांव में छह घरों में मलबा घुस गया। साथ ही एक पुल ध्वस्त हो गया।

उधर, उत्तरकाशी में भूस्खलन के चलते सुक्की व नालूपानी में अवरुद्ध गंगोत्री राजमार्ग 21 वें दिन भी अवरुद्ध रहा। वहीं चमोली में कर्णप्रयाग से जोशीमठ के बीच दयूलीबगड़, नंद्रप्रयाग, भीमतला, छिनका, बिरही, पांगलनाला, पातालगंगा, टंगणी आदि स्थानों पर मलबा आने से बदरीनाथ राजमार्ग दिन भर अवरुद्ध रहा। इस मार्ग को दोपहर दो बजे के बाद यातायात के लिए सुचारु कर दिया गया।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6348325.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड में भारी बरसात से 30 की मौत 

उत्तराखंड में हो रही भारी बरसात के कारण 30 लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य में पिछले 72 घंटों से हो रही 850 मिमी की लगातार बारिश से बाढ़ की स्थित पैदा हो चुकी है.

Devbhoomi,Uttarakhand

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                       बारिश के कहर से चम्बा नगर भी नहीं महफूज



   भूस्खलन




- बारिश से कई मकान व दुकान क्षतिग्रस्त
- मसूरी व चम्बा रोड पर मकान खतरे की जद में
बारिश के कहर से नगर क्षेत्र भी अछूता नहीं है। यहां दुकानों के अलावा कई आवासीय मकान भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसके अलावा कुछ भवन खतरे की जद में आए गए हैं।
गत वर्ष जहां चम्बा-धरासू रोड़ स्थित मठियाण गांव गुल्डी में कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए थे तथा प्रभावित परिवारों को अन्यत्र शिफ्ट किया गया था वहीं इस बार कालेज में राजेन्द्र सिंह, दिनेश सिंह व मसूरी रोड़ में शीशराम सकलानी, गोपाल सिंह के मकान खतरे के जद में हैं।



आलम यह है कि बारिश शुरू होते ही प्रभावित परिवारों के आंखों की नींद गायब हो जाती है। वह मकान को बचाने के लिए प्लास्टिक की सीट बिछाकर पानी की निकासी कर रहे हैं। कालेज रोड़ में भी लगभग यही स्थिति हैं। यहां सड़क से नीचे मकान और ऊपर से चट्टान दरक रही है।



मठियाण गांव में भू-धसांव के कारण लोगों के मकानों के पीछे मलबा इकट्ठा हो रहा है जो कभी भी विकराल रूप ले सकता है। प्रभावितों ने जिला प्रशासन व नगर पंचायत से सुरक्षा के इंतजाम किए जाने की मांग की है।
   

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_8136925.html

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               यहां खतरों पर चलती है जिंदगी

 यहां खतरों पर जिंदगी सफर तय करती है। सर्वाधिक आबादी की आवाजाही का मार्ग जोशियाड़ा झूला पुल इन दिनों बदहाली की हालत में है। लगातार हो रहे भूस्खलन से यह पुल खतरे की जद में है। प्रशासन की ओर से भी इस ओर कोई ध्यान नहीं देने पर कोई बड़ी दुघर्टना घट सकती है।  जिला मुख्यालय से जोशियाड़ा को जोड़ने वाले एकमात्र झूला पुल बारिश से बढ़ रहे भूस्खलन के कारण खतरे की जद में है। नदी का जलस्तर बढ़ जाने से पुल के निचले हिस्से में कटाव हो रहा है।  पुल पर लगी काफी पुरानी टीन शेड पर जंक लगने से पुल के बीचोंबीच बड़े-बड़े खड्डे बन गए हैं।
नगर क्षेत्र से लेकर जोशियाड़ा, कंसैण, लदाड़ी, ज्ञानसू, डांग और मनेरा जाने वाले लोगों रोजना इसी पुल से आवागमन करते है। झुला पुल की देखरेख कर रहा विभाग लोनिवि इस पुल को दुरुस्त करने के नाम पर केवल लीपापोती ही करता आ रहा है। अगर झुला पुल के भूस्खलन वाले हिस्से का शीघ्र उपचार नहीं किया जाता, तो इस पर कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है। 
पुल को ठीक करने की मांग 
उत्तरकाशी : पुल पर बने गड्डे और पुल के जोशियाड़ा वाले छोर से शुरू हुए भूस्खलन के बारे जोशियाड़ा की ग्राम प्रधान बिजेंद्री भट्ट, क्षेत्र पंचायत सदस्य सुशीला पंवार, उप प्रधान विशाल कलूड़ा, मोहन लाल डबराल आदि ने जिला प्रशासन और लोनिवि को पुल की बदहाल स्थिति के लिखित एवं मौखिक रूप से गुहार लगाई है, लेकिन प्रशासन ने अभी तक ध्यान नहीं दिया है।
' पुल पर बने गड्डों को शीघ्र ही ठीक किया जा रहा है, लेकिन पुल के नीचे से हो रहे कटाव से हो रहे भूस्खलन वाले हिस्से का उपचार जल विद्युत परियोजना की ओर से किया जाना है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_8156531.html

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70 परिवारों ने छोड़ा गांव





कुदरत के कोप से अभिशप्त जैली गांव के 70 परिवारों ने गांव छोड़ दिया है। अब गांव में मात्र दस परिवार रह गए हैं। इसके अलावा गुरुवार रात भी मलबे की चपेट में आए चार भवन क्षतिग्रस्त हो गए।

 अब तक कुल तीस भवनों को नुकसान पहुंचा है। प्रभावित ग्रामीणों ने मिलन केन्द्र और प्राथमिक विद्यालय में शरण ले रखी है, जबकि कुछ टेंट में गुजर बसर कर रहे हैं।
विकासखंड जखोली के जैली गांव में बुधवार रात भारी बारिश के बीच हुए भूस्खलन के कारण मलबे की चपेट में आए 13 मकानों के ध्वस्त होने के बाद लोगों की हिम्मत जवाब दे गई और उन्होंने गांव छोड़ना ही उचित समझा।

विजयनगर तैला मोटर मार्ग का मलबा लगातार गांव में आ रहा है। गुरुवार की रात भी इस सड़क के मलबे से ललिता प्रसाद, भरोसी प्रसाद, भगवती, जीतमणि, गैरा सिंह के भवन क्षतिग्रस्त हो गए।


ग्राम के प्रधान विजय पाल बिष्ट, क्षेत्र पंचायत सदस्य निर्मला बहुगुणा, जिला पंचायत सदस्य विमला रावत ने कहा कि विजयनगर-तैला मोटर मार्ग के मलबे से गांव पर खतरा मंडरा रहा है।

ग्रामीणों का आरोप है कि हालात गंभीर होने के बावजूद प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। हालांकि उप जिलाधिकारी डॉ. एसके बर्नवाल ने कहा कि गांव के कई लोग पंचायत भवन व प्राथमिक विद्यालय में रह रहे हैं। प्रशासन द्वारा हर संभव सहायता मुहैया कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।



http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_8185524.html

   

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यमुनोत्री, गंगोत्री मार्ग पर यातायात बहाल

उत्तरकाशी। मौसम की मेहरबानी के चलते शनिवार को यमुनोत्री व गंगोत्री राजमार्ग पर यातायात बहाल हो गया। इससे यहां फंसे तीर्थयात्रियों ने राहत की सांस ली है। हालांकि गंगोत्री की ओर अभी तक भारी वाहनों की आवाजाही शुरू नहीं हो पाई है।

शुक्रवार को पालीगाड के पास अवरुद्ध यमुनोत्री राजमार्ग पर शनिवार पूर्वाह्न यातायात बहाल होने पर यहां फंसे तीर्थयात्रियों को राहत मिली है। अब यमुनोत्री यात्रा सुचारू ढंग से चल रही है।

इधर, बीआरओ ने नालूपाणी, थिरांग व सुनगर के पास अवरुद्ध गंगोत्री राजमार्ग पर भी वाहनों की आवाजाही शुरू कर दी है। हालांकि, उत्तरकाशी से गंगोत्री की ओर अभी तक भारी वाहनों का यातायात शुरू न होने पर तीर्थयात्री छोटे टैक्सी वाहनों में ही सफर करने को मजबूर हैं। शनिवार को दिनभर मौसम के मेहरबान रहने से यमुनोत्री व गंगोत्री धाम की यात्रा सुचारू ढंग से चल रही है।गंगोत्री राजमार्ग पर इस तरह जोखिम उठाकर निकालने पड़ते हैं वाहन।जगह-जगह अवरुद्ध गंगोत्री राजमार्ग को खोलने में ऐसे होती है मशक्कत।गंगोत्री की ओर अभी भारी वाहनों की आवाजाही नहीं हो पाई शुरू



Anil Arya / अनिल आर्य

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नरेंद्रनगर के डौर गांव में दर्दनाक हादसा
भूस्खलन से तीन भवन ध्वस्त,12 जिंदा दफन
शाम तक मलबे से नहीं निकाला जा सका था कोई
रात सवा आठ बजे रोक दिया गया बचाव कार्य

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मलबे के ढेर में बालिका का शव बरामद
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डौंर गांव में भूस्खलन में जिंदा दफन हुए लोगों की तलाश के तीसरे दिन आज देर शाम डौंर निवासी अजय सिंह की 4 वर्षीय पुत्री ईशू का शव बरामद किया गया, जबकि अन्य पांच लोगों का कुछ पता नहीं चल पाया है। बालिका का शव घर से 300 मीटर दूर गदेरे की तरफ मलबे में पड़ा मिला। शव का मौके पर ही पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंप दिया गया। सेना, बीआरओ, आपदा प्रबंधन दल, पुलिस व राजस्वकर्मी छह जेसीबी मशीनों के जरिए मलबा हटाने में जुटे हुए हैं। जिलाधिकारी ने प्रभावित परिवारों को तत्काल अनुमन्य राहत राशि उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

गौरतलब है कि बीते रविवार को ऋषिकेश-गंगोत्री राजमार्ग से सटे डौर गांव में भारी भूस्खलन से तीन मकान जमींदोज हो गए थे, जबकि छह लोग मलबे में जिंदा दफन हो गए थे। घटना के बाद से लगातार मलबा हटाने का काम युद्ध स्तर पर जारी है। ग्रामीणों ने भूस्खलन के दौरान लापता लोगों के गांव के नीचे गदेरे तक पहुंच सकने की आशंका जताई थी। जिसके बाद मंगलवार को गदेरे के पास भी दो जेसीबी मशीनों से मलबा हटाया गया। देर शाम 4 वर्षीय ईशू का शव उसके घर से 300 मीटर दूर गदेरे की तरफ मलबे के ढेर में दबा पड़ा मिला।

सेना के 40 जवान, बीआरओ के 100 कर्मचारी, राजस्व विभाग के 60 कर्मचारी समेत पुलिस व आपदा प्रबंधन दल के लोग छह जेसीबी मशीनों के जरिए मलबा हटाने के काम में जुटे हुए हैं। मंगलवार को एसडीएम एमडी जोशी, तहसीलदार सोहन सिंह, लोनिवि के अधिशासी अभियंता आरसी अग्रवाल, बीआरओ के कमान अधिकारी राजेश सिंह, बीआरओ नरेन्द्रनगर यूनिट के प्रभारी रमेश यादव समेत कई अधिकारी पूरे दिन मौके पर डटे रहे। उधर, जिलाधिकारी राधिका झा ने एसडीएम नरेंद्रनगर को प्रभावित परिवारों को तत्काल अनुमन्य राहत राशि उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

Source dainik jagran

Anil Arya / अनिल आर्य

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आपदा प्रबंधन ने कहा आज अलर्ट रहें
भारी बारिश जारी रहने की संभावना
• अमर उजाला ब्यूरो
देहरादून।
प्रदेश में बृहस्पतिवार को खासी बारिश हुई। दूनघाटी में दिन भर में 89 एमएम बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग ने अगले कुछ घंटों के दौरान भी बारिश की संभावना व्यक्त की है। मौसम के मिजाज को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी जिलों को अलर्ट जारी किया है।
मौसम विभाग का पूर्वानुमान एक बार फिर सटीक बैठा है। बुधवार शाम से दून में तेज बारिश का दौर शुरू हो गया था, जो बृहस्पतिवार को पूरे दिन जारी रहा। मौसम विभाग के निदेशक डा. आनंद शर्मा के अनुसार, जम्मू-कश्मीर और नार्थ बंगाल में दो सिस्टम पहले से मौजूद हैं। ईस्ट यूपी के ऊपर भी एक सिस्टम बन गया है। इससे अगले कुछ घंटों में बारिश हो सकती है। हालांकि, शुक्रवार से बारिश में कुछ कमी आने की भी संभावना है। पहाड़ में जाने वालों को सतर्कता बरतनी चाहिए। आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव (स्वतंत्र प्रभार) भास्करानंद जोशी की ओर से भी जिलाधिकारियों को बरसात को देखते हुए जिलों में खास सतर्कता बरतने के लिए कहा गया है।
बारिश का हाल
दून 119 मिलीमीटर
हल्द्वानी 75 मिलीमीटर
चमोली 42 मिलीमीटर
पिथौरागढ़ 33 मिलीमीटर
पंतनगर 26 मिलीमीटर
बुधवार शाम 5:30 बजे से बृहस्पतिवार सुबह 8:30 बजे तक बारिश

 

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