Author Topic: Uttarakhand Suffering From Disaster - दैवीय आपदाओं से जूझता उत्तराखण्ड  (Read 70138 times)

विनोद सिंह गढ़िया

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कर्मी और सुमगढ़ हादसे की यादें ताजा हुई

बागेश्वर। बुधवार की रात बादल फटने के कारण हुई अतिवृष्टि ने भारी तबाही मचाई है। इससे उबरने में ग्रामीणों को लंबा वक्त लग सकता है। पिंडारी मार्ग बंद हो जाने के कारण क्षेत्र के 20 हजार ग्रामीण शेष दुनिया से कट चुके हैं। जिससे भविष्य में आवश्यक वस्तुओं की किल्ल्त पैदा हो सकती है। इस घटना ने लोगों को कर्मी और सुमगढ़ हादसे की याद दिला दी।
बादल फटने के बाद दो घंटे तक हुई तेज बारिश के कारण पोथिंग, चीराबगड़, सीरी, बमसेरा, नौकोड़ी, पनौरा, भराड़ी, दुलम, असों, खार बगड़, परमटी, किरौली, खड़लेख, तुड़तुड़िया, हरसिंग्याबगड़, खैरखेत, रैथल, गोलूना, बड़ेत, देवलचौंरा आदि गांवों सहित सरयू के किनारे हजारों नालों भूमि पर खरीफ की फसलें या तो दब गई हैं अथवा भूमि रेगिस्तान का रूप ले चुकी है। मवेशियों के मरने से किसान परेशान हैं। इसके अलावा पुलिया, पंचायत घर, विद्यालय भवन, सिंचाई पंप, सिंचाई नहर तथा पेयजल योजनाओं सहित तमाम सरकारी संपत्तियों को व्यापक क्षति पहुंचने की खबर है। कई स्थानों पर रास्ते टूट जाने से स्कूलों का संपर्क भंग हो चुका है। जिला मुख्यालय सहित शेष इलाकों को जोड़ने वाले भराड़ी, पिंडारी ग्लेश्यिर मोटर मार्ग का एक बड़ा हिस्सा तल्ली थानी पर बह जाने के कारण नौकोड़ी घाटी के खाईबगड़, फुरमुला, हरसिंग्याबगड़, सीरी, शामा, सरयू घाटी के दुलम, रीठाबगड़, बांसे, भानी, सिलिंग, सौंग, मुनार, सूपी, तरसाल, पतियासार आदि क्षेत्र अलग-थलग पड़ गए हैं। इन सुदूरवर्ती इलाकों में संचार, विद्युत तथा परिवहन सेवाएं पहले से ही बदहाल हैं। उच्च हिमालय से लगे इन गांवों में परिवहन का कोई दूसरा जरिया भी उपलब्ध नहीं है। जिलाधिकारी डा. वी षणमुगम का कहना है कि सुदूरवर्ती क्षेत्रों में सितंबर तक के राशन का कोटा पहले ही भेज दिया गया था। पिंडारी सड़क को छोटे वाहनों के संचालन के लिए खोलने के प्रयास किए जाएंगे। कहना है कि अधिक समय तक संपर्क भंग रहा तो इलाके में आवश्यक चीजों की किल्लत पैदा हो सकती है। ऐसी ही तबाही कर्मी और सुमगढ़ हादसे के दौरान भी हुई थी। सौभाग्य से जनहानि टल गई।

स्रोत : अमर उजाला

विनोद सिंह गढ़िया

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चिरपतकोट में बादल फटा, तबाही
« Reply #261 on: September 14, 2012, 02:30:29 AM »
चिरपतकोट में बादल फटा, तबाही



कपकोट के चिरपतकोट में बुधवार की रात बादल फटने से भारी तबाही मच गई। पोथिंग के उच्छात गांव में मकान के अंदर मलबा घुस जाने से किशोर की दबने से मौत हो गई। उसे बचाने के प्रयास में उसका बड़ा भाई गंभीर रूप से घायल हो गया। कपकोट क्षेत्र में बादल फटने के कारण सरयू नदी में भारी उफान आ गया। रात में पुलिस प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने की सार्वजनिक अपील की। सरयू में उफान आने पर नदी किनारे बसे लोग घरों को छोड़कर बाहर आ गए। सरयू नदी का पानी पिंडारी मार्ग पर इंडोर स्टेडियम तथा बागनाथ गली की दुकानों और घरों तक घुस गया। जिससे रात भर वहां दहशत छाई रही। उधर, भारी बारिश के चलते शारदा नदी का जल स्तर काफी बढ़ गया है और शारदा बैराज पर छह घंटे तक रेड अलर्ट घोषित किया गया। हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों में दूसरे दिन कई घंटे बारिश हुई। ग्रामीणों के अनुसार बुधवार की रात लगभग 10 बजे चिरपतकोट में बिजली की तेज कड़क के साथ बादल फटा और लगातार दो घंटे तक मूसलाधार बारिश होती रही। जिससे सरयू सहित अन्य नदियों और नालों में भारी उफान आ गया। पोथिंग के उच्छात तोक में पुरुषोत्तम जोशी के घर के अंदर मलबा घुस गया। उसके पुत्र घनश्याम दबकर मौत हो गई। उसे बचाने के प्रयास में बड़ा बेटा दीपक (19) गंभीर रूप से घायल हो गया। पुरुषोत्तम जोशी और  कई ग्रामीणों के मवेशी भी मलबे से दबकर मर गए। बारिश के कारण पूरे क्षेत्र में पैदल रास्तों को व्यापक नुकसान हुआ है। सड़कें  जगह-जगह बंद हो गई हैं। भराड़ी में आनंद सिंह के मकान की दीवार तोड़कर मलबा अंदर घुस गया। भराड़ी से सौंग को जाने वाले मोटर मार्ग पर तल्ला थानी में कलमठ सहित सड़क का लंबा हिस्सा गधेरे में बह गया है। इस गधेरे में पैदल रास्ते की पुलिया भी ध्वस्त हो चुकी है।  सूचना के बाद जिलाधिकारी डा. वी षणमुगम बुधवार की रात ही कपकोट के लिए रवाना हो गए थे किंतु सड़क बंद होने के कारण उन्हे वापस लौटना पड़ा। आज सुबह डीएम डा. षणमुगम, एसपी निवेदिता कुकरेती कपकोट पहुंचे। एसडीएम कैलाश टोलिया तथा सीओ एनएस पांगती के साथ उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया। तहसीलदार मदन सिंह बिरोड़िया ने पोथिंग में बचाव और राहत कार्यों का निरीक्षण किया।

स्रोत : अमर उजाला

विनोद सिंह गढ़िया

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दिनांक 13 /09 /2012 की रात उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ में प्रकृति ने अपना कहर बरपाया। यहाँ कई घर और उनमें रहने वाले लोगों के दबने की संभावना है।



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Very -2 sad news.

Twelve people died and four others were injured as dozens of houses caved in following a cloudburst in Uttarakhand’s Rudraprayag district on Friday.

A large number of people are feared trapped in the debris and rescue operations have been launched, Disaster Management and Mitigation department officials in Dehradun said citing initial reports.

Incessant rains since on Thursday followed by a cloudburst in the wee hours on Friday have left a trail of destruction in Timada, Sansari, Giriya, Chunni and Mangali villages in the district, they said.

The local administration has sought the assistance of the Army and the Indo-Tibet Border Police (ITBP) in view of the large-scale destruction caused by the cloudburst in Rudraprayag district.

Communication and power lines are disrupted and traffic along several roads including national highways in the area is affected, officials said.

Rishikesh-Badrinath and Rishikesh-Gangotri highways have been closed due to landslips triggered by incessant rains.

http://www.thehindu.com/new

दिनांक 13 /09 /2012 की रात उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ में प्रकृति ने अपना कहर बरपाया। यहाँ कई घर और उनमें रहने वाले लोगों के दबने की संभावना है।





एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जोन 5 में स्थित कपकोट में बादल फटना व भूकंप आना नियति बन गई है। कपकोट के आंचल पर आपदा के कई जख्म हैं, जो कि शायद ही कभी भर पायेंगे। दैवीय आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील कपकोट जोन 5 में स्थित है। कपकोट में अक्सर बादल फटने और भूकंप आने से कई घटनाएं हो चुकी हैं। अब तक सैकड़ों ग्रामीणों और मवेशियों की जान जा चुकी है। वर्ष 1983 में आई दैवीय आपदा में लगभग 40 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें दर्जनों मवेशी जिंदा दफन हो गए थे। वर्ष 1993-94 में कन्यालीकोट में बादल फटने की घटना में भी कनलगढ़ घाटी में भारी तबाही मची थी। वर्ष 1991 में हड़बाड़ में भूस्खलन में गांव के कई परिवार मलबे में दब गए थे। वर्ष 2010 के सुमगढ़ हादसे में 18 बच्चों की मौत हो गई थी। रेवती घाटी में भी एक महिला दफन हुई थी। बुधवार की रात बादल फटने की घटना में भी एक किशोर की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि एक घायल हो गया। इस घटना में दर्जनों मवेशी जिंदा दफन हो गए हैं। सिलसिलेवार हो रही इन घटनाओं को देखकर लगता है कि दैवीय आपदा कपकोट की नियति बन गई है।



Source - Dainik jagran

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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C.S.Mehta

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रुद्रप्रयाग जिले की ऊखीमठ तहसील के पांच गांव आपदा से कहर में तबाह हो गए। यहां मध्यरात्रि अलग-अलग इलाकों में बादल फटने के कारण आए उफान में 31 लोग मारे गए, जबकि 36 लोग लापता बताए जा रहे हैं।

 

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