'आखिरी मुनादी' लघु फिल्म समारोह में नामांकित लघु फिल्म ''आखिरी मुनादी'' को 'छठें अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म समारोह डेटमोल्ड' व 'जर्सी शोरे फ़िल्म समारोह' २०१० के लिए फिल्म और वीडियो प्रतियोगिता श्रेणी में चुना गया है. पहले भी 15 मिनट की इस लघु फिल्म ''आखिरी मुनादी'' का चयन ''रिवर टू रिवर'' ''फ्लोरेंस भारतीय फ़िल्म समारोह २००८'' जैसे प्रतिष्ठित फिल्म समारोह में हुआ था व २००९ में फिल्म फेडरेशन समारोह भारत ( केरल) में इसका प्रदर्शन भी हुआ था.
इसके अलावा मुंबई अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म समारोह २०१० में भी इस लघु फ़िल्म ''आखिरी मुनादी'' को काफी सराहना मिली. इस फिल्म का निर्माण किया है एचएस कम्यूनिकेशन और ग्राफिसड्स ने. निर्देशन किया है एनएसडी के छात्र रहे
अहसान बख्श ने. अहसान बख्श अभिनेता व लेखक भी हैं जिन्होंने धारावाहिक ''अम्बर धरा'', ''माता की चौकी'' के अलावा अनेकों धारावाहिकों को लिखा है.
फिल्म
''आखिरी मुनादी'' की कहानी है नगर पालिका के सन्देश वाहक पूरन सिंह की, जिसे अपनी आवाज व ड्रम (नगाडा) पर गर्व है क्योंकि उसके अपने शहर के लोग पूरन सिंह द्वारा की गई घोषणाओं में विश्वास करते हैं और विश्वास करते हैं कि जो कुछ पूरन सिंह कहते हैं, वो ही सच है. फिल्म की खासियत यह है कि इसमें हिमालय के गावों की संस्कृति व परंपराओं का चित्रण किया गया है. १५ मिनट की अवधि वाली इस फ़िल्म पहाड़ के स्थानीय कलाकारों ने मझा हुआ अभिनय किया है.