अपणु सी दिखेणु छै रे, लगणु भलो सिमो को छै,
कां बै ऐ रै पहाड़ी भुला, कै जिल्ला, कै गौं को छै।
गढ़वाली-कुमौ नि हुना, भुला ना, भोला भाला हूं,
मेरे को पहाड़ी मत बोलो, मैं देहरादून वाला हूं।
चुक्खूवालो छै कि धामा वालो छै, लच्छी वाला-जोगी वाला, हर्रावाला छै,
कखन ऐरे पहाड़ी भुला, कै जिला, कै गौं को छै।
पहाड़ मैं गया भी नै हूं, देश में ही राजधानी,
कोदा-झंगोरा चाक्खा भी नै कभी, पिया नहीं छूंयो का पानी,
न गोर चराये मैने, न हौल लगाया, मैं तो कोठी-बंगले वाला हूं,
मुझको पहाड़ी मत बोलो, मैं देहरादून वाला हूं॥
चूख