शेखर पाठक जी श्रद्धांजली सभा को संबोधित करते हुए.
पाठक जी और त्रिपाठी जी काफी अच्छे मित्र थे. और पहाङ की दशा-दिशा पर बेहद गम्भीर बहस किया करते थे. पाठक जी ने बताया कि एक बहस के दौरान नैनीताल में बाजार के बीच वह दोनों इस कदर उत्तेजित हो गये कि आपस में ही जोर-जोर से बोलने लगे. लोग वहां पर यह सोच कर जमा हो गये कि वहां कुछ झगङा हो गया है.
इसके अलावा पाठक जी ने स्वास्थ्य, शिक्षा तथा जल-जंगल के मुद्दे पर सरकार से कुछ ठोस काम करने की अपील की.