Author Topic: Organizations - उत्तराखंड के सभी संगठनों को आत्म मूल्यांकन की जरूरत !  (Read 10519 times)

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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बहुत अच्छा वार्तालाभ हो रहा है खिम्दा ने भी बहुत अच्छी बात कही है पर कही न कही एसा लगता है की हम अपने रस्ते से भटक रहे हैं जिसका शीधा अशर उत्तराखंड के विकाश मैं भी दिख रहा है क्यों हम परस्पर प्रतिस्पर्धा  कर रहे हैं नेम  & फेम के लिए कुछ भी जनता के बीच प्रस्तुत कर रहे हैं जिससे पत्र-पत्रिकाओ को भी मजाक उडाने का मौका मिल जाता है मैं तो यही कहूँगा की हम टूकुडो मैं ही सही एक होकर अच्छा काम करैं  ताकि ये पत्र-पत्रिकायां भी उपहास के बजाय तारीफ करै.

पंकज सिंह महर

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किसी भी संगठन को शुरु किये जाने के पीछे अच्छा मकसद होना चाहिये, mission & vission होना चाहिये और उसी पर काम करना चाहिये। इसी प्रकार से उत्तराखण्ड से संबंधित सभी संगठनों को यह प्रयास करना चाहिये कि हम कैसे अपने संगठन के द्वारा उत्तराखण्ड राज्य के लिये कुछ कर पांये।
प्रवासी उत्तराखण्डी संगठनों का रोल इसमें बहुत ज्यादा अपने आप हो जाता है। क्योंकि जो भी प्रवासी उत्तराखण्डी होगा और इस कंडीशन में होगा कि वह अपना संगठन बना सके तो उसके पास निःसंदेह विभिन्न क्षेत्रों के अनुभवी, ज्ञानी, विज्ञ व्यक्तियों की वृहद संख्या होगी, वह इन सभी व्यक्तियों के अनुभव और ज्ञान का लाभ अपने संगठन के जरिये उत्तराखण्ड राज्य को दे सकता है।
लेकिन अक्सर देखने में आया है कि यह संगठन शुरु तो बड़े जोश और जुनून के साथ होते हैं, लेकिन एक-दो सफलताओं के बाद यह आत्म मुग्ध हो जाते हैं और यही आत्म मुग्धता इनके विघटन का कारक बनती है। फिर वर्चस्व की जंग शुरु हो जाती है, "स्व" (मैं, क्योंकि यह संगठन मैने बनाया या इसमें मेरा इतना योगदान रहा, उसका प्रतिफल मुझे मेरी जय-जयकार करके मिले) की भावना आ जाती है। हम सभी को यह समझना चाहिये कि हमने एक संगठन बनाया है, जिसमें सभी की भागीदारी जब तक होगी, तभी वह सफल हो पायेगा। क्योंकि इसका नाम ही संगठन है, जो अनेक से मिलकर बना है, इसमें एक का कोई स्थान नहीं है, अगर एक के पीछे पड़े रहेंगे तो कुछ दिनों बाद फिर आप अकेले एक ही रह जायेंगे।
जहां तक कला और संस्कृति को बढ़ावा देने की बात है तो हर संगठन को इसे अपने यहां जरुर प्रदर्शित करना चाहिये, ताकि वहां के लोगों में हमारी एक आइडेंटिटी बन सके। लेकिन मैं इस बात का पक्षधर कभी नहीं रहूंगा कि आधुनिकता के वर्क में इसे लपेटा जाय। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का अयोजन संगठन के लिये शान की बात न होकर संस्कृति के फैलाव की भावना होनी चाहिये। कि प्रवास में रह रहे या अपनी संस्कृति को न जानने वाले लोग इसके बारे में जानें। कि हुड़का क्या है, डौंर क्या है, नरसिंगा क्या है, इसे कब और कैसे बजाया जाता है। आदि........जारी

पंकज सिंह महर

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मैं तो यह भी कहूंगा कि प्रवासी संगठन माह में एक दिन एक ऐसी कार्यशाला का भी आयोजन करें, जिसमें बच्चों को पहाड़ी बोली के टर्म सिखायें जांय, उनको उनकी मूल संस्कृति का बोध कराया जाय, जो लोग पहाड़ी बोलना सीखना चाहते हैं, उन्हें सिखाया जाये।
प्रवास में पैदा हुई, पली-बड़ी लड़कियों या बहुओं को विज्ञ मातायें-बहने उत्तराखण्डी व्यंजन बनाना सिखलायें। इसी बीच में पहाड़ों की यादें ताजा की जांय, गीत गुनगुनाये जांय, पहाड़ी खेलों का आयोजन हो, अड्डू, कंचा गुल्लीडंडा आदि से भी बच्चों को रुबरु कराया जाय।
मतलब यह कि ऐसे मोटिव के साथ हमारे संगठन काम करें कि हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को वह सब सिखाना है, जो हम लोगों को आता है। ताकि हमारी यह गौरवमयी संस्कृति को हमारी आने वाली पीढ़ी भी आत्मसात कर सके। हम बच्चों को नमस्ते, गुड मार्निंग सिखायें तो समन्या और पैलाग भी सिखायें।

Dinesh Bijalwan

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Maharji, acche vichar hain.  aap log kuch aisa kariye ki auro ke liye udhaharan bane.  Charity begins at home.    koi ye aatm mulyakan bhi kare ki  is thread par 17 page aur bhi the  jo ab hata diye gaye hain.   - agar ye site un  logon ki vyaktigat site hai  to mujhe koi aapati nahi hai. apke sarv adhikaar surakshit  hai.    vaag vilaas  accha shagal hai  - par jab  abhivyakti ki swatantrta aur  rachnatmak prtikriya  ka jhandbardar bankar  ye sab kiya  jaata hai to khinnta hoti hai.   asuvidha ke liye khed hai- aap sabko bhavishya ki subhkaamnayen.

पंकज सिंह महर

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आदरणीय बिजल्वाण जी,
कुछ पोस्ट हटाई गई हैं, क्योंकि उन पोस्ट ने इस टापिक की सारगर्भिता को चोट पहुंचाई, बात समझने के बजाय बात को उलझाने का प्रयास किया गया।

हमें पोस्ट हटानी पड़ी, क्योंकि हमारे कुछ अति उत्साही साथी स्पष्टीकरण लेने पहुंचे, कुछ खुद सामने आये कुछ पुरुष होते हुये भी महिला बनकर, जैसे यहां महाभारत हो रहा हो और उन्हें भीष्म पितामह को मारना हो।

लेकिन तर्कपूर्ण, औचित्यपूर्ण चर्चा किये जाने के वे कतई पक्षधर नहीं थे, वे सिर्फ और सिर्फ हंगामा करने आये थे, जब वे अपनी मंशा में सफल नहीं हुये तो अपनी सारी पोस्ट डिलीट करके चले गये। हमने सनद रखने के लिये उन सभी को रि-स्टोर भी किया। लेकिन उसके बाद वे सदस्य अपनी-अपनी पोस्ट को माडीफाई करके चले गये, जिनमें अब thank you और bahut-bahut dhanyabad मात्र ही लिखा हुआ है। वह सुरक्षित है और इस लिंक पर है-

http://www.merapahadforum.com/archives/re-organizations-!/

Dinesh Bijalwan

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YU cine awards mai peform by me, dheeraj and Leela

http://www.youtube.com/watch?v=iNMBAK2qbVY&feature=player_embedded
« Last Edit: May 14, 2010, 02:32:04 PM by Mohan Bisht -Thet Pahadi/मोहन बिष्ट-ठेठ पहाडी » Report to moderator    Logged
Mohan Bisht -THET PAHADI

+91-9310999960
http://www.myoruttrakhand.com
http://www.merapahad.com

 Re: UPCOMING CUTURAL AND OTHER EVENTS OF UTTARAKHAND AT DIFFERENT PLACES ?
« Reply #348 on: May 11, 2010, 01:01:02 PM »Quote  बहुत अच्छे मोहन जी.  इस शानदार परफार्मेंस के लिए बधाई. 
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 Re: UPCOMING CUTURAL AND OTHER EVENTS OF UTTARAKHAND AT DIFFERENT PLACES ?
« Reply #349 on: May 11, 2010, 01:38:35 PM »Quote dhanyawad ho dajyu...




Quote from: Rajen on May 11, 2010, 01:01:02 PM
बहुत अच्छे मोहन जी.  इस शानदार परफार्मेंस के लिए बधाई. 

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Mohan Bisht -THET PAHADI

+91-9310999960
wah mohanda kya gajab dha raho
bade fudak fudak kar naach rahe ho,
Congretulation.................
                        ................ keep it up
« Reply #351 on: May 11, 2010, 03:53:18 PM »Quote मोहन दा मजा एगो,
आपकी शुरीली आवाज सुणिक....
विरह गीत सुणि...
लग्युं छ रंगीलु मैनु चैत,
न जा न जा...
हे लठ्याळि मैत...

अतीत की झलक दिखि,
जब मैं जवान था,
अब जमाना बदल गया,
सब कुछ है आज नया......

कवि: "जिज्ञासु"



Quote from: Mohan Bisht -Thet Pahadi/मोहन बिष्ट-ठेठ पहाडी on May 11, 2010, 12:15:51 PM
YU cine awards mai peform by me dheeraj and Leela
http://www.youtube.com/watch?v=iNMBAK2qbVY&feature=player_embedded
 Reply #355 on: May 13, 2010, 06:07:04 PM »Quote Modify Mohan Bhai. wahan bhi aapko suna aur yahan bhi.. keep it up.   Programm me accha laga mera pahad poore wajood ke saath moujood tha.


ye sab aap ke hi thread par hai doston,  ek bar phir gaur karen.

खीमसिंह रावत

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पेज क्यों गायब हो गए |  पूरे टापिक को ही  हटा दो |       न रहेगा बांस न बजेगी  बासुरी|  8)

Dinesh Bijalwan

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Ye to pata chale sir,  is kaliyug mei  bhism   koun  hai--- ek the bechare bhism kukreti... unki aarti jo logon ne  ke wo bhi thread par moujod hai- Rami Boraani-- kaafi sargarbhita hai usme.  khair  aap log samjhdaar hain jo kar rahe hain soach samaj kar  rahe honge. 

पंकज सिंह महर

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Ye to pata chale sir,  is kaliyug mei  bhism   koun  hai--- ek the bechare bhism kukreti... unki aarti jo logon ne  ke wo bhi thread par moujod hai- Rami Boraani-- kaafi sargarbhita hai usme.  khair  aap log samjhdaar hain jo kar rahe hain soach samaj kar  rahe honge.

मैने तो एक उद्धरण दिया था, आप तो बाल की खाल निकालने लगे।
कुकरेती जी की आरती क्यों उतारी गई? क्या जिस चीज के लिये उनकी आरती उतारनी पड़ी, उससे आप सहमत हैं?
 

पंकज सिंह महर

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ye sab aap ke hi thread par hai doston,  ek bar phir gaur karen.

इसमें आपको क्या गलत दिखाई पड़ रहा है, एक सदस्य ने अपनी परफारमेंस से फोरम को अवगत कराया और सबने उसे एप्रीसियेट किया।

 

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