विरासत पत्रिका का मुखपृष्ठ देखा-आनंद आ गया. कुछ क्षण को लगा की बागेश्वर का बगड़ मेरे घर में हे आगया हो! मेहता जी इतना सुंदर पोर्टल बनाने के लिए बहुत बहुत बधाई. मैं जल्दी ही आपके पोर्टल के लिए लिखूंगा. जैसा मैने बताया हिंदी टंकण में थोडा दिक्कत है. मैं एक फोनेटिक प्रोग्राम का प्रयोग करता हूँ जो आपके पेज पर नहीं चलेगा. इसलिए गूगल की मदद से ही काम चलेगा.
ही हैआप सबको और समस्त पाठकों को घुगुती की बधाई. इस बार आपकी पर्वतीय धारा की आवरण कथा भी घुगुती ही है.