एक बार कनालीछीना मै रामलीला हो रही थी, रामलीला से वापस जाते हुए कुछ लोगु ने कीसी के खेत से अदरक चुरा दीयी. तों उसने आके रामलीला कमेटी मै सीकायत कर दीयी. अब रामलीला कमेटी वाले परेशान थे की क्या कीया जाय, क्युकी रामलीला बीच मै रोकी नही जा सकती और अगर लोग यही करते रहे तों अलग अलग गाव मै झगरा होने का डर था, क्युकी कनालीछीना की रामलीला को देखने के लीये आसपास के बहुत गाव से लोग आते है, झगरा होने का डर इसलिए भी ज्यादा था की सब एक दूसरे गाव मै आरोप लगा रहे थे की फलाफला गाव वाले चोरी करते है, और ये चोरी के शिकायतऐ बहुत दीनु से आ रही थी, तों उन्होंने सोचा वहा एक पर्शिद कथा वाचक थे उन्हें बुलाया जाय और उनसे लोगु को चोरी न करने का उपदेश दील्वाया जाय.
तों दूसरे दिन कथावाचक जैसे ही मंच मै आये, तों सबने तालिया बजायी और कथावाचक जोर से बोले "सज्जनो" पीछे से कीसी ने उतनी ही जोर से उत्तर दिया "उऊऊ" (जैसे पहाड़ मै कीसी को आवाज लगाओ और वो दूर हो तों वो वहा से जोर से लंबा ऊ बोल कर उत्तर देते है, जैसे कोए बच्चा अपनी मम्मी को आवाज लगता है "इजजजा" और माँ दूर से कहती है "उऊऊ")
खेर वाकये मै लौटता हू - तों उसी तरह कीसी ने पीछे से उत्तर दिया "उऊऊ". तों वो कथावाचक कुछ देर तक चुप रहे अपने दुबारा बोले "सज्जनो", अपने उस आदमी ने भी दुबारा वैसे ही बोला "उऊऊ", कथावाचक जी कुछ देर फ़िर से चुप रहे और अपने गुस्से को दबाते हुए फ़िर बोले "सज्जनो", उस आदमी ने फ़िर से बोल दिया "उऊऊ" , कथावाचक जी से रहा नही गया और बोले "अन्न खाते हो या गू"
उस दिन से उस आदमी ने शायद कीसी को भी "उऊऊ" करके उत्तर नही दिया होगा. (अन्न means अनाज)