अभी मे घर जा रहा था, जैसे की हमारी गाडियों मे लोग सूर्य अस्त होते ही लगा लेते है ! मेरे सीट से आगे और पीछे दोनों भाईयो ने गाजियाबाद से आगे से लगा ली थी, फिर क्या.. जैसे -२ दिन ढला, दोनों ने शुरू कर दी पहाडी गानों के झडी.
एक भाई ने पूरी जागर गाई हल्द्वानी तक और दुसरे भाई, आधे मे गुल हो गए ! लोगो का सोना कहाँ. !!!!
ये है हाल ...