Author Topic: Funny Incidents - हास्य घटनाये  (Read 154988 times)

खीमसिंह रावत

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #130 on: June 11, 2008, 12:42:04 PM »
एकदम सच्ची है :-

यह किस्सा हमारे गाँव का है श्री कुताल सिंग की जागर थी  देवता उनकी घरवाली पर आता था जागर शुरू हुई देवता नाचने लगा तो  कुताल सिंग को बोला गया की आओं देवता के लिए हाथ जोडो और माफी मागो की जो कुछ गलती हुई है उसको शमा करो जो दंड होगा उसे खुशी से दूंगा जो कहोगे वह करूँगा /श्री कुताल सिंग जी एक सीधे साधे व्यक्ति थे उन्होंने तुरंत जवाब दिया की किले कव की मैं सब कुछ द्युल जब य देवताल हाथी माग्दी तो मैं कहाँ बै ल्युल हाथी /
उनके इस उत्तर से सभी लोग जोर से हस पड़े /


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #131 on: June 11, 2008, 01:38:41 PM »

Great...



एकदम सच्ची है :-

यह किस्सा हमारे गाँव का है श्री कुताल सिंग की जागर थी  देवता उनकी घरवाली पर आता था जागर शुरू हुई देवता नाचने लगा तो  कुताल सिंग को बोला गया की आओं देवता के लिए हाथ जोडो और माफी मागो की जो कुछ गलती हुई है उसको शमा करो जो दंड होगा उसे खुशी से दूंगा जो कहोगे वह करूँगा /श्री कुताल सिंग जी एक सीधे साधे व्यक्ति थे उन्होंने तुरंत जवाब दिया की किले कव की मैं सब कुछ द्युल जब य देवताल हाथी माग्दी तो मैं कहाँ बै ल्युल हाथी /
उनके इस उत्तर से सभी लोग जोर से हस पड़े /



खीमसिंह रावत

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #132 on: June 12, 2008, 01:14:26 PM »
ये हास्य बन गया हमारे सीधेपन से :- छात्गुला द्वाराहट के मेरे मित्र श्री गिरीश जोशी जी ने बताया की उनके गाव मे श्री तारा दत्त जी रेडियो लाये उसको सुनने के लिए उनके वहा भीड़ लग जाती / तारा दा रेडियो के स्टेशन बदलते रहते कभी नज़िमाबाद कभी लखनु , पहाडी गीत सुनते एक दिन की बात है की काफी लोग बैठे थे रेडियो सुन रहे थे इतने मे एक लड़का (२२-२५ साल का ) बोला ओ तारा दा जरा अल्मोड लगे दियोक भोत दिन बे दीदी क के ख़बर नि आ रहेय जरा मेरी ले दिदिक ख़बर पूछी दियो क /

khim

हेम पन्त

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #133 on: June 12, 2008, 01:29:17 PM »
एक घटना मुझे भी याद आ रही है..

हमारे गांव के पास ही आर्मी की भर्ती हो रही थी... भारी भीड के बीच  गांव का एक अक्खड लडका भी था. शारीरिक प्रशिक्षण के लिये सभी से कपडे उतारने को कहा गया तो ये भाई साहब अड गये. ओफिसर के पास जाकर बोले - स्यूं कोट नापो, स्यूं बूट तोलो (कोट सहित सीना नापो, बूट सहित भार तोलो).

ओफिसर के समझ में तो कुछ नहीं आया लेकिन भाई साहब का फौजी बनने का सपना हकीक्त नही बन पाया.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #134 on: July 01, 2008, 05:19:33 PM »


अभी मे घर जा रहा था, जैसे की हमारी गाडियों मे लोग सूर्य अस्त होते ही लगा लेते है ! मेरे सीट से आगे और पीछे दोनों भाईयो ने गाजियाबाद से आगे से लगा ली थी, फिर क्या.. जैसे -२ दिन ढला,  दोनों ने शुरू कर दी पहाडी गानों के झडी.

एक भाई ने पूरी जागर गाई हल्द्वानी तक और दुसरे भाई, आधे मे गुल हो गए !  लोगो का सोना कहाँ. !!!!

ये है हाल ...

खीमसिंह रावत

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #135 on: July 09, 2008, 04:28:31 PM »
फैमिली

अकसर जब दो पहाडी भाई मिलते है सेवा सलाम के बाद पूछते हैं तुम्हर नन दगडे छै या घर (पहाड से मतलब) मा छै । आज अग्रेजी का मिश्रण से कहते है कि फैमिली साथ मा छा या घर मा। यह घटना तो नही है अग्रेजी के फैमिली पर एक हास्य सा हैः-

चनीदा दिल्ली मे नोैकरी कनेर हय दिवाई टैम पर उनर गौवक भौया घर जाहुय। चनीदा सोच कि घर जणम ज्याधै डबल खर्च हैल तहाॅ त म्यर फैमिली यक दगड आ जाली। चनीदा ल एक चिठी लेखी आपण बाज्यू हुणी कि हयून लगण हौच य पौरे बाखईक भईया दिवाई हू घर आहूर तो तुम मेरी फैमिली कै यक हात भेज दिया। बाबूल चिठी पडी और य सोचण लाग कि चनी घर क्य भूल गोय जो हयून हूणी मंगा हू।

पैली सारे भतेर चहाय के नी मिल फिर ब्वारी हूई कय ब्वारी तकैणी खबर छा चनी फैमिली घर छोड गो । ब्वारी लै कय ना हो सौरज्यू मकणी नीछ खबर। फिर मनम सोच कि हयून में जाड लागण हनल तो षायद खाॅतड (रजाई) कैे फैमली कहनल वाॅ। त खांतड मंगाण हनल। 

चनीदा बाज्यू चिठी लेखी च्यला यक फैमली हय उकै पार हती (हयातसिंह) आपण पहौणों (मेहमान) लिजीक लिगो, एक महैन तक वोती हय और जब वापिस दी आधुक जवै (जलाना) दी । तू एक दूसरी फैमली बजार बै आजी खरीद ले।

खीमसिंह रावत

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #136 on: July 10, 2008, 05:04:01 PM »
एक बार की बात है कि डहह (मछी मारने का मेला) मे हमारे गाॅव के मदनसिंह मंछी मारने गये उनके पास मछी मारने वाला जाल नही था वे नदी मे जाकर हाथ से ही मछी मार रहे थे । उन्हे 1 मछली मिली उसे उसे दाॅतो से दबाकर रखा दुसरी मछली के लिए हाथ पानी में डाला मछली हाथ में आकर फिसल गयी तो उनके मुहॅ से अचानक निकला हाय। हाय कहते ही दाॅतो से दबाकर रखी मछली भी पानी मे गिर गयी। अब उन्हे खिसाणी सी लग गयी।

पंकज सिंह महर

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #137 on: July 18, 2008, 03:10:48 PM »
एक घटना याद आ रही है-

हमारे पहाड़ों में मसाण आदि पूजने का रिवाज है, मेरे एक मित्र के घर में मसाण की कुछ समस्या थी, तो उन्होंने उसे पूजना था। तय हुआ कि सब लड़के ही जायेंगे। मैं भी बड़ी मुश्किल से शामिल हो गया, सब लोग चले मसाण पूजने, नदी की ओर। सुनसान नदी का किनारा १०० मीटर पर कब्रे(जिनका जनेऊ न हुआ हो, उनको यहीं पर दफना दिया जाता था)। हमारा नेतृत्व कर रहे थे, प्रसिद्ध मसाण पूजक उम्मेद दा (उम्मेद राम इनका पूरा नाम, पेशे से ढोली) सबको उन्के द्वारा निर्देशित किया गया कि हम लोगों के अलावा किसी की आवाज का कोई उत्तर नहीं देना है, भूत-मसाण आवाज बदलकर या पशु की आवाज में आवाज लगाते हैं, इसलिये कोई इधर-उधर नहीं देखेगा। सब सहमत, पहला मौका था, ऎसी सुनसान जगह जाने का, मेरे मन में कुछ कौतूहल तो था, लेकिन डर नहीं था। थोड़ी देर में उम्मेद दा की पूजा प्रारम्भ हो गई और बीच-बीच में वह हमसे भी बतियाते कि "भाया डरना की क्वे बात नि भै, मै छूं, जस-कस मसाण-भूत त मेस देखी बेरे भाजी जान भ्या" "कस-कस साधिन भ्या" ऎसे ही उनकी गप्प चलती रही....ज्यों-ज्यों पूजा होती जाय, उम्मेद दा की गप्प बढ़्ती जाय, क्योंकि उम्मेद दा मसाण को पिलाने के बहाने खुद पिये जा रहे थे।
      खैर पूजा संपन्न हो गई १-२ बजे होंगे। उम्मेद दा ने मसाण को काफी डराया-धमकाया और चले जाने को कहा और उम्मेद दा ने बताया कि वह चला गया है और अब आयेगा नहीं, गप्पें चालू थीं, कि मैने कैसे-कैसे भगाये, ये तो कुछ भी नहीं था, वगैरा-वगैरा.....। अब बारी आयी वापस चलने की...उम्मेद दा ने सभी को आगाह कर दिया कि कोई पीछे नहीं देखेगा और कैसी भी आवाज हो ध्यान नहीं देगा। सहमत होकर हम सब चलने लगे, उम्मेद दा अपने कथनानुसार सबसे पीछे थे।   थोड़ी देर में उम्मेद दा की आवाज...ओ ईजा...ओ ईजा। हमारे रोंगटे खड़े हो गये कि भूत उम्मेद दा की आवाज में बोल रहा है। सबके सिट्टी-पिट्टी गुम। हमने पलट के नहीं देखा.. तो फिर चिल्लाने की आवाज...ओ ईजा, मैसे लागी गिछ मसाण, पकड़ि हाल्यू, ओ बबा, आज भटे नै ऊ.....। हमने हिम्मत करके पीछे देखा तो उम्मेद दा काफी दूर खड़े चिल्ल रहे थे और रो रहे थे। हम भाग कर गये तो उम्मेद दा ने बताया कि उन्हें किसी भूत ने पकड़ लिया है और मान-विनती करने पर भी नहीं छोड़ रहा है। हमने टार्च लगाकर देखा तो उम्मेद दा का कुर्ता घिंघारु की झाड़ी में फंसा था  :D  ;D  :D  ;D

उस दिन के बाद उम्मेद दा जहां भी मिलते हैं, आज तक सिर झुका कर नमस्ते करते हैं, क्योंकि ये वादा हुआ था कि यह बात किसी को नहीं बताई जायेगी। क्योंकि यह काम उम्मेद दा की रोजे-रोटी से जुडा था। :o  ;D

Mohan Bisht -Thet Pahadi/मोहन बिष्ट-ठेठ पहाडी

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #138 on: July 18, 2008, 03:18:52 PM »
एक घटना याद आ रही है-

हमारे पहाड़ों में मसाण आदि पूजने का रिवाज है, मेरे एक मित्र के घर में मसाण की कुछ समस्या थी, तो उन्होंने उसे पूजना था। तय हुआ कि सब लड़के ही जायेंगे। मैं भी बड़ी मुश्किल से शामिल हो गया, सब लोग चले मसाण पूजने, नदी की ओर। सुनसान नदी का किनारा १०० मीटर पर कब्रे(जिनका जनेऊ न हुआ हो, उनको यहीं पर दफना दिया जाता था)। हमारा नेतृत्व कर रहे थे, प्रसिद्ध मसाण पूजक उम्मेद दा (उम्मेद राम इनका पूरा नाम, पेशे से ढोली) सबको उन्के द्वारा निर्देशित किया गया कि हम लोगों के अलावा किसी की आवाज का कोई उत्तर नहीं देना है, भूत-मसाण आवाज बदलकर या पशु की आवाज में आवाज लगाते हैं, इसलिये कोई इधर-उधर नहीं देखेगा। सब सहमत, पहला मौका था, ऎसी सुनसान जगह जाने का, मेरे मन में कुछ कौतूहल तो था, लेकिन डर नहीं था। थोड़ी देर में उम्मेद दा की पूजा प्रारम्भ हो गई और बीच-बीच में वह हमसे भी बतियाते कि "भाया डरना की क्वे बात नि भै, मै छूं, जस-कस मसाण-भूत त मेस देखी बेरे भाजी जान भ्या" "कस-कस साधिन भ्या" ऎसे ही उनकी गप्प चलती रही....ज्यों-ज्यों पूजा होती जाय, उम्मेद दा की गप्प बढ़्ती जाय, क्योंकि उम्मेद दा मसाण को पिलाने के बहाने खुद पिये जा रहे थे।
      खैर पूजा संपन्न हो गई १-२ बजे होंगे। उम्मेद दा ने मसाण को काफी डराया-धमकाया और चले जाने को कहा और उम्मेद दा ने बताया कि वह चला गया है और अब आयेगा नहीं, गप्पें चालू थीं, कि मैने कैसे-कैसे भगाये, ये तो कुछ भी नहीं था, वगैरा-वगैरा.....। अब बारी आयी वापस चलने की...उम्मेद दा ने सभी को आगाह कर दिया कि कोई पीछे नहीं देखेगा और कैसी भी आवाज हो ध्यान नहीं देगा। सहमत होकर हम सब चलने लगे, उम्मेद दा अपने कथनानुसार सबसे पीछे थे।   थोड़ी देर में उम्मेद दा की आवाज...ओ ईजा...ओ ईजा। हमारे रोंगटे खड़े हो गये कि भूत उम्मेद दा की आवाज में बोल रहा है। सबके सिट्टी-पिट्टी गुम। हमने पलट के नहीं देखा.. तो फिर चिल्लाने की आवाज...ओ ईजा, मैसे लागी गिछ मसाण, पकड़ि हाल्यू, ओ बबा, आज भटे नै ऊ.....। हमने हिम्मत करके पीछे देखा तो उम्मेद दा काफी दूर खड़े चिल्ल रहे थे और रो रहे थे। हम भाग कर गये तो उम्मेद दा ने बताया कि उन्हें किसी भूत ने पकड़ लिया है और मान-विनती करने पर भी नहीं छोड़ रहा है। हमने टार्च लगाकर देखा तो उम्मेद दा का कुर्ता घिंघारु की झाड़ी में फंसा था  :D  ;D  :D  ;D

उस दिन के बाद उम्मेद दा जहां भी मिलते हैं, आज तक सिर झुका कर नमस्ते करते हैं, क्योंकि ये वादा हुआ था कि यह बात किसी को नहीं बताई जायेगी। क्योंकि यह काम उम्मेद दा की रोजे-रोटी से जुडा था। :o  ;D

pankaj bhai tumne to kamal kar diya tha..

are bhai yesa hi humare yaha bhi huwa.... kuch per usme kahani kuch aur hai.. baad mai bataunga...

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #139 on: July 18, 2008, 03:25:41 PM »

Great Pankaj Da.

Kya koi Kheem Singh ji ka likha is font ko theek kar sakta hai ?
QSfeyh

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