याहू, गूगल घटाएंगे आपका मेडिकल बिल
वह दिन दूर नहीं जब गूगल और याहू जैसे सर्च इंजन आपको मेडिकल बिल कम करने में मदद करेंगे। सरकार इन सर्च इंजन को आम तौर पर इस्तेमाल में लाई जाने वाली दवाइयों और उनके सस्ते वर्जन से जुड़ी जानकारी मुहैया कराने के लिए शामिल करने पर विचार कर रही है जिससे डॉक्टर और मरीज, दोनों सोच-समझकर फैसला कर सकें।
फार्मास्युटिकल विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस विचार के पीछे बाजार में उपलब्ध कम कीमत वाले गैर-ब्रैंडेड जेनेरिक दवाओं को बढ़ावा देने और बड़ी फार्मास्युटिकल कंपनियों पर लगाम लगाना है, जो बड़े प्रमोशनल खर्च के बूते अपने महंगे ब्रांड को आगे बढ़ाने में कामयाब रहती हैं। अधिकारी ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया, 'हम कई सर्च इंजन से बातचीत कर रहे हैं ताकि कम कीमत और बढ़िया गुणवत्ता वाली दवाओं को लेकर उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता पैदा की जा सके।'
विभाग ने इसके लिए पहले से एक सॉफ्टवेयर विकसित कर लिया है। यह सॉफ्टवेयर सभी लोकप्रिय दवाइयों की समग्र जानकारी उपलब्ध कराएगी। इससे आप ब्रैंडेड और उनके जेनेरिक समकक्ष दवाइयों की कीमतों की तुलना भी कर सकेंगे। जेनेरिक दवाएं बिना किसी ब्रैंड नाम के होती हैं लेकिन डोज, असर, सुरक्षा, प्रभाव क्षमता के मामले में ब्रैंडेड दवाओं के बराबर होती हैं। इनके दाम ब्रैंडेड दवाइयों के मुकाबले काफी कम होते हैं। मसलन, 10एमजी एंटी-एलर्जिक दवा सेट्रीजिन का 10 गोलियों का जेनेरिक वर्जन 2.75 रुपए में उपलब्ध है जबकि इसे ब्रैंडेड रूप में खरीदने पर आपको 37 रुपए देने होंगे। इसी तरह ऐंटी-बायॉटिक सिप्रोफ्लोक्सासिन 500 एमजी की दस जेनेरिक गोलियों की स्ट्रिप 21.50 रुपए में मिल जाएगी जबकि ब्रैंडेड दवा लेने पर 97 रुपए तक देने पड़ सकते हैं। जेनेरिक ऐटी-बैक्टीरियल सेफलेक्सिन का एक पत्ता आपको 31.50 रुपए में मिल जाएगा जबकि ब्रैंडेड दवा 117 रुपए में आएगी।
यह कदम सरकार के जन औषधीय अभियान का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य ऐंटिबॉयोटिक, एंटी-एलर्जिक, पेन किलर और कफ एंड कोल्ड के लिए लोगों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराना है।