Author Topic: Share Informative Articles Here - सूचनाप्रद लेख  (Read 282616 times)

shailesh

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« Reply #210 on: February 27, 2009, 06:54:40 PM »
clck the  link below to see an inspiring story of an IIT graduate ,who became a farmer. if the people in uttarakhand will take such initiative, then the face of agriculture in hills of uttarakhand would be changed  and would be more productive.

http://specials.rediff.com/money/2008/dec/23slide1-an-engineer-from-iit-now-a-farmer.htm


shailesh

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« Reply #211 on: February 27, 2009, 10:51:36 PM »
an article worth reading to know about the true face of so called administration of india

http://www.tehelkahindi.com/editorial/211.html

अरुण भंडारी / Arun Bhandari

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« Reply #212 on: February 28, 2009, 10:36:08 AM »
उत्तराखंड में ट्रक और जीप की टक्कर, तीन की मौत

अल्मोड़ा।।  उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में लोहाली के चमरिया के पास सेना के एक ट्रक और बारातियों से भरी एक जीप के बीच हुई टक्कर से तीन लोगों की मौत हो गई और आठ अन्य घायल हो गए।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि सेना का ट्रक अल्मोड़ा जा रहा था, तभी सियालबाडी से लौट रही जीप से उसकी टक्कर हो गई। इससे दो व्यक्तियों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई और एक अन्य ने बाद में अस्पताल में दम तोड़ दिया। घायलों को हल्द्वानी के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

अरुण भंडारी / Arun Bhandari

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« Reply #213 on: February 28, 2009, 11:01:25 AM »
मंदी का लैपटॉप लेकर आई विप्रो

बेंगलुरु: विप्रो ने पहली बार लैपटॉप की एक ऐसी प्रीमियम रेंज मार्केट में उतारी है, जिसकी कीमत 20,000 रुपए से कम से शुरू होती है। ये लैपटॉप विप्रो इंफोटेक ने लॉन्च किए हैं। विप्रो इंफोटेक भारत और गल्फ कंट्री में बिजनेस करती है। इन लैपटॉप्स को एक रंगारंग कार्यक्रम में यहां लॉन्च किया गया। इस रेंज का नाम ‘e.go’ रखा गया है। ये लैपटॉप सस्ते हैं लेकिन इनके फीचर्स कंप्लीट और फुली फंक्शनल लैपटॉप की तरह ही हैं।

इन नोटबुक में 12 इंच और 14 इंच की स्क्रीन, 2 जीबी रैम, 2 मेगापिक्सेल कैमरा और विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम है। इस मामले में कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं किया गया है। इसकी कीमत 20,000 रुपए से कम है, लेकिन ये हर तरह के इस्तेमाल के लिए फिट और स्टाइलिस्ड भी ही। इसके तीन मॉडल हैं - 7F3800, EM471X और BM2700. इन लैपटॉप में 3 घंटे का बैटरी बैकअप है।

अरुण भंडारी / Arun Bhandari

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« Reply #214 on: March 03, 2009, 11:36:03 AM »
बीस साल बाद, चलो कॉलिज चलें

डीयू ने ऐसे लोगों को अपनी पढ़ाई पूरी करने का मौका दिया है, जिन्हें किन्हीं वजहों से पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। ऐकडेमिक काउंसिल की स्टूडंट स्टैंडिंग कमिटी ने ऐसे 300 से ज्यादा स्टूडंट्स को ग्रैजुएशन पूरा करने की परमिशन दी है। खास बात यह है कि इनमें 20 से 25 साल पहले पढ़ाई अधूरी छोड़ने वाले कई स्टूडंट्स भी शामिल हैं। आमतौर पर डीयू में ग्रैजुएशन पूरा करने का पीरियड अलग-अलग कोर्सेज़ में 5 से 6 साल है। यह पीरियड पूरा होने के बाद केस स्टैंडिंग कमिटी के पास आता है।

इन स्टूडंट्स ने अपना ग्रैजुएशन पूरा करने के लिए स्टैंडिंग कमिटी के पास गुहार लगाई थी। कमिटी के सदस्यों का कहना है कि डीयू ऑर्डिनंस 10(सी) के अनुसार ऐसे ड्रॉपआउट स्टूडंट्स को अपनी पढ़ाई पूरी करने की इजाजत दी जा सकती है, लेकिन स्टूडंट्स में इस नियम को लेकर जागरूकता नहीं है। स्टूडंट्स ने जो पेपर पहले क्लियर कर लिए थे, उन्हें दोबारा देने की जरूरत नहीं होगी। स्टूडंट जिस कॉलिज में पढ़ता था, उसे उसी कॉलिज में अप्लाई करना होगा। इसी तरह अगर कॉरेस्पॉन्डेंस या नॉन कॉलेजिएट का स्टूडंट है तो उसे वहां जाकर अप्लाई करना होगा।

स्टूडेंट स्टैंडिंग कमिटी और ऐकडेमिक काउंसिल के मेंबर डॉ. राजीव कुमार वर्मा ने बताया कि इस बार जो 300 से अधिक केस आए थे, उनमें काफी पुराने मामले थे। कई ड्रॉपआउट स्टूडंट आर्थिक स्थिति या अपनी बीमारी के कारण पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए। किसी को परिवार की जरूरतें पूरी करने के लिए पढ़ाई छोड़कर नौकरी करनी पड़ी।

कई लड़कियों ने शादी के कारण पढ़ाई बीच में छोड़ दी थी, लेकिन अब पढ़ना चाहती हैं। कुछ ऐसे स्टूडंट्स हैं, जिन्हें नौकरी के लिए ग्रैजुएशन पूरा करना है। खास बात यह है कि बीस साल पहले जिस स्टूडंट ने पढ़ाई छोड़ दी थी, उसके लिए उसी समय के कोर्स के अनुसार पेपर तैयार किया जाएगा। हालांकि एग्जामिनेशन ब्रांच को इस पर कुछ आपत्ति थी लेकिन कमिटी मेंबर का कहना है कि डीयू को इसका प्रावधान करना चाहिए। कमिटी ने तो अधिकतर केस को मंजूरी दे दी है। अब इसे ऐकडेमिक काउंसिल में लाया जाएगा, जहां से मंजूरी मिलना भी लगभग तय है।

अरुण भंडारी / Arun Bhandari

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« Reply #215 on: March 09, 2009, 12:48:39 PM »
याहू, गूगल घटाएंगे आपका मेडिकल बिल

वह दिन दूर नहीं जब गूगल और याहू जैसे सर्च इंजन आपको मेडिकल बिल कम करने में मदद करेंगे। सरकार इन सर्च इंजन को आम तौर पर इस्तेमाल में लाई जाने वाली दवाइयों और उनके सस्ते वर्जन से जुड़ी जानकारी मुहैया कराने के लिए शामिल करने पर विचार कर रही है जिससे डॉक्टर और मरीज, दोनों सोच-समझकर फैसला कर सकें।

फार्मास्युटिकल विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस विचार के पीछे बाजार में उपलब्ध कम कीमत वाले गैर-ब्रैंडेड जेनेरिक दवाओं को बढ़ावा देने और बड़ी फार्मास्युटिकल कंपनियों पर लगाम लगाना है, जो बड़े प्रमोशनल खर्च के बूते अपने महंगे ब्रांड को आगे बढ़ाने में कामयाब रहती हैं। अधिकारी ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया, 'हम कई सर्च इंजन से बातचीत कर रहे हैं ताकि कम कीमत और बढ़िया गुणवत्ता वाली दवाओं को लेकर उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता पैदा की जा सके।'

विभाग ने इसके लिए पहले से एक सॉफ्टवेयर विकसित कर लिया है। यह सॉफ्टवेयर सभी लोकप्रिय दवाइयों की समग्र जानकारी उपलब्ध कराएगी। इससे आप ब्रैंडेड और उनके जेनेरिक समकक्ष दवाइयों की कीमतों की तुलना भी कर सकेंगे। जेनेरिक दवाएं बिना किसी ब्रैंड नाम के होती हैं लेकिन डोज, असर, सुरक्षा, प्रभाव क्षमता के मामले में ब्रैंडेड दवाओं के बराबर होती हैं। इनके दाम ब्रैंडेड दवाइयों के मुकाबले काफी कम होते हैं। मसलन, 10एमजी एंटी-एलर्जिक दवा सेट्रीजिन का 10 गोलियों का जेनेरिक वर्जन 2.75 रुपए में उपलब्ध है जबकि इसे ब्रैंडेड रूप में खरीदने पर आपको 37 रुपए देने होंगे। इसी तरह ऐंटी-बायॉटिक सिप्रोफ्लोक्सासिन 500 एमजी की दस जेनेरिक गोलियों की स्ट्रिप 21.50 रुपए में मिल जाएगी जबकि ब्रैंडेड दवा लेने पर 97 रुपए तक देने पड़ सकते हैं। जेनेरिक ऐटी-बैक्टीरियल सेफलेक्सिन का एक पत्ता आपको 31.50 रुपए में मिल जाएगा जबकि ब्रैंडेड दवा 117 रुपए में आएगी।

यह कदम सरकार के जन औषधीय अभियान का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य ऐंटिबॉयोटिक, एंटी-एलर्जिक, पेन किलर और कफ एंड कोल्ड के लिए लोगों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराना है।

अरुण भंडारी / Arun Bhandari

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« Reply #216 on: March 10, 2009, 01:12:54 PM »
कश्मीरी गेट से धौला कुआं नन स्टॉप

तीस हजारी स्थित सेंट स्टीफंस अस्पताल के सामने से रानी झांसी रोड तक बनने वाले फ्लाईओवर के लिए एमसीडी ने सारी बाधाओं को पार कर लिया है। 177 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह दो किलोमीटर लंबा फ्लाईओवर अगले साल सितंबर तक बन जाएगा। कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले इसे आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। फ्लाईओवर बन जाने से कश्मीरी गेट बस अड्डे से धौला कुआं के बीच ट्रैफिक जाम की दिक्कत कम हो जाएगी। फ्लाईओवर सेंट स्टीफंस अस्पताल से शुरू होकर बर्फखाना चौक, आजाद मार्किट चौक, डीसीएम चौक और फिल्मिस्तान को पार करता हुआ रानी झांसी रोड पर पहुंचेगा।

एमसीडी ने इसे अपने प्लान फंड से शुरू किया है। यहां से गुजरने वाला फ्लाईओवर दो-दो लेन का होगा, जबकि नीचे गुजरने वाली सड़क तीन-तीन लेन की। बर्फखाना चौक और डीसीएम चौक पर दो-दो लेन के क्लोवर लीफ होंगे, जिससे ट्रैफिक ऊपर और नीचे उतरेगा। नीचे की सड़क के दोनों ओर ढाई फुट चौड़े फुटपाथ भी होंगे। करीब दो किलोमीटर के प्रॉजेक्ट पर कोई रेड लाइट नहीं होगी।

इस प्रॉजेक्ट को शुरू करने में एमसीडी को जमीन अधिग्रहण से संबंधित खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। कयास लगाए जा रहे थे कि यह फ्लाईओवर कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद ही चालू हो पाएगा। असल में इस प्रॉजेक्ट के लिए एमसीडी को कुछ प्राइवट व सरकारी जमीन एक्वायर करनी थी और फ्लाईओवर के रास्ते में पड़ने वाले एक प्राइवट और दो सरकारी स्कूलों के अलावा आजाद मार्किट से टायर मार्किट को हटाना था। एमसीडी कमिश्नर के. एस. मेहरा के अनुसार, इसके लिए गंभीर कवायद की गई और स्कूलों को कहीं और जमीन दे दी गई।

सूत्र बताते हैं कि इस इलाके में ट्रैफिक स्पीड को लेकर एमसीडी ने एक सर्वे करवाया था, जिसके अनुसार व्यस्त समय में बर्फखाना पॉइंट पर वाहनों की स्पीड 2.1 किलोमीटर / घंटा, रोशनआरा रोड पर 3.2 और आजाद मार्किट इंटरसेक्शन पर 4.7 किमी / घंटा मापी गई थी। इसके बाद यहां फ्लाईओवर बनाना जरूरी हो गया।

हेम पन्त

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« Reply #217 on: March 10, 2009, 03:39:29 PM »
ऐसा लग रहा है कि दिल्ली 2-4 साल बाद फ्लाइओवरों से ही ढक जायेगी. इतने फ्लाइओवर बन रहे हैं लेकिन उसी तेजी से ट्रैफिक भी बढ रहा है...

अरुण भंडारी / Arun Bhandari

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« Reply #218 on: March 13, 2009, 10:45:31 AM »
पन्त जी आप ने बिलकुल सही कहा! 

अरुण भंडारी / Arun Bhandari

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« Reply #219 on: March 13, 2009, 10:46:09 AM »
डिग्री और डिप्लोमा होल्डर्स बराबर हैं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि अगर सरकार किसी प्रमोशन के लिए डिग्री और डिप्लोमा इंजीनियरों को समान माना जाता है तो यह असंवैधानिक नहीं है।

जस्टिस आर. वी. रवींद्रन और जस्टिस मार्कण्डेय काटजू की एक बेंच ने डिग्रीधारकों के इस तर्क को खारिज कर दिया कि इस प्रकार का व्यवहार संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन होगा। डिग्री धारकों ने तर्क दिया था कि असमानता का व्यवहार करने से ही अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं होता बल्कि के साथ समानता का व्यवहार करने से भी इसका उल्लंघन होता है।

दिलीप कुमार गर्ग और अन्य की विशेष अनुमति याचिका को खारिज करते हुए बेंच ने कहा कि निर्णय करने का अधिकार पूरी तरह प्रशासन पर है कि डिग्री और डिप्लोमा होल्डर्स के साथ जूनियर इंजीनियर से असिस्टंट इंजीनियर की पोस्ट पर प्रमोशन के लिए समान व्यवहार किया जाए या नहीं।

 

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