Author Topic: "Tile Dharu Bola": Connecting Line - उत्तराखंडी गानों का सूत्र: "तिले धारु बोला"  (Read 39349 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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But is clear that UK's Folk Singers are using this "Teele Dharu Bola" sentence for connecting the lines nothing else.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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I have just contact Meena Rana ji and Preetam Bhartwaan. But of them could not give the satisfactory reply of this "Teele Dharu Bola". Rana ji told that it is "Thuka" of folk songs. However, Preetam Bhai told something else related to Sarulee but he further told me that he should be contacted later on this issue.

Negi ji away from India. He is only person who is left to be asked on this issue.

दिनेश मन्द्रवाल

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मुझे लगता है कि इस बारे में हमें वाद-विवाद तो नहीं करना चाहिये, क्योंकि पंकज जी ने पहले ही इसे हमारी बोली के आधार पर स्पष्ट कर दिया है। मैंने भी इस बारे में कई लोगों से पूछा तो वहीं जबाब मिला, जो पंकज जी ने बताया है।
      अब मेहता जी को ठोस सबूत चाहिये, वो तो शायद मिलने से रहा ;D  ;D  बुरा न मानें।

इसका आकलन हमें अपनी बोली के आधार पर करना चाहिये, कुमाऊं का इतिहास का यह पार्ट मैंने अभी पढ़ा, उसमें भी "कहते हैं" लिखा है, जो कि  प्रमाणिक नहीं है।
   मुझे लगता है कि यह एक आम वाक्य रहा, जिसे लोगों ने "तुमने मेरे वचनों की लाज रखी" के लिये पहाड़ी भाषा में रुपांतरण किया।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Mandral Ji,

Actually, i am not satsified with way this line is being used in our songs. 

Yah line hamare gaano ke bole mai jarur use hota hai par uska koi tuk nahi hai jaise ki maine kuchh gaane neeche bhi nekhe hai agar aap "तुमने मेरे वचनों की लाज रखी" के in gaano ke saath jodte hai to yah bilkul bhi fit nahi hota hai.

secondly, daju. isme naaraj waali koi baat nahi hai. Ye to kewal ek debate hai.. Koi is baat mai sahmat hai or koi nahi..

But actual fact has not been established so far.

मुझे लगता है कि इस बारे में हमें वाद-विवाद तो नहीं करना चाहिये, क्योंकि पंकज जी ने पहले ही इसे हमारी बोली के आधार पर स्पष्ट कर दिया है। मैंने भी इस बारे में कई लोगों से पूछा तो वहीं जबाब मिला, जो पंकज जी ने बताया है।
      अब मेहता जी को ठोस सबूत चाहिये, वो तो शायद मिलने से रहा ;D  ;D  बुरा न मानें।

इसका आकलन हमें अपनी बोली के आधार पर करना चाहिये, कुमाऊं का इतिहास का यह पार्ट मैंने अभी पढ़ा, उसमें भी "कहते हैं" लिखा है, जो कि  प्रमाणिक नहीं है।
   मुझे लगता है कि यह एक आम वाक्य रहा, जिसे लोगों ने "तुमने मेरे वचनों की लाज रखी" के लिये पहाड़ी भाषा में रुपांतरण किया।


Hem Bahuguna

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तीले धारो बोला के विषय में हमारी बहस सकारात्मक है .हमारा मकसद किसी की भी भावनाओ को आहत करना नही है .सच्चाई हमेशा कड़वी होती है ,उसे छुपाया नही जा सकता ,उसे स्वीकार करना चाहिए ...
जहाँ भी गीतों में 'तीले धारो बोला 'का प्रयोग हुआ है क्या कोई मुझे बता सकता है वहां उसका मतलब "तूने मेरे बचनो की लाज रखी "      ही है ..इसका प्रयोग हमेशा निरर्थक किया गया है ..गीत में सम्पुट के लिए ...
इतिहास सम्मत जानकारी आपके सामने है ,और अन्तिम कत्युरी राजाओं के कुकृत्य से ही 'तीले धारो बोला शब्द की उपत्ति हुयी है ...यह अन्तिम भी है और सर्वमान्य भी ......................

पंकज सिंह महर

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इतिहास सम्मत जानकारी आपके सामने है ,और अन्तिम कत्युरी राजाओं के कुकृत्य से ही 'तीले धारो बोला शब्द की उपत्ति हुयी है ...यह अन्तिम भी है और सर्वमान्य भी ......................

प्रमाणिक ऎतिहासिक जानकारी नही है, बहुगुणा जी, बद्री दत्त जी ने भी "ऎसा कहते हैं" जोड़ा है। अर्थात वे भी sure नहीं थे, तो आप कृपया यह जानकारी देने की कृपा करें कि आप किस ऎतिहासिक प्रमाणिकता के आअधार पर इसे सही ठहरा रहें है।?

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Jahan tak maine dekha hai Badridutt ji ne bhi maximum info Atkinsons ji ke Gazateer se hi uthai hai to woh bhi pramaanik nahi hai.


इतिहास सम्मत जानकारी आपके सामने है ,और अन्तिम कत्युरी राजाओं के कुकृत्य से ही 'तीले धारो बोला शब्द की उपत्ति हुयी है ...यह अन्तिम भी है और सर्वमान्य भी ......................

प्रमाणिक ऎतिहासिक जानकारी नही है, बहुगुणा जी, बद्री दत्त जी ने भी "ऎसा कहते हैं" जोड़ा है। अर्थात वे भी sure नहीं थे, तो आप कृपया यह जानकारी देने की कृपा करें कि आप किस ऎतिहासिक प्रमाणिकता के आअधार पर इसे सही ठहरा रहें है।?

पंकज सिंह महर

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इतिहास सम्मत जानकारी आपके सामने है ,और अन्तिम कत्युरी राजाओं के कुकृत्य से ही 'तीले धारो बोला शब्द की उपत्ति हुयी है ...यह अन्तिम भी है और सर्वमान्य भी ......................

बहुगुणा जी आपके वक्तव्य के इस अंश पर मुझे घोर आपत्ति है, यह अंतिम और सर्वमान्य आपके विचार से हो सकता है। लेकिन वास्तविकता और धरातल में इस कथन की प्रमाणिकता को आप सिद्ध करें। यह सर्वमान्य और अन्तिम कैसे हो गया? क्या आप अपने विचार को निर्णय बनाकर उत्तराखण्ड के जनमानस पर थोपना चाहते है?

Dinesh Bijalwan

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सरजी,

मैने  पढा है कि विरमदेव कत्युर ने अपनी मामी तिलोत्मा को  धान की रोपाइ के वक्त खेतो से उठ्वा लिया था / इसका तिल घारू बोला से सम्बन्ध है या नही  शोध का विसय है.  वैसे तिलू रौतेली  ने अपने पित्रो का तर्पण  कत्यूरो के रक्त से करने का वचन अपनी माता मैना वती को दिया था और उस्ने उसे निभाया भी था / और यह तिलू  तिलोत्मा से निस्चित रूप से अलग थी.  

Meena Pandey

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TILE DHARO BOLA nischit rup se jaha b use hua hai vaha uska arth hamesha TUMNE MERE BACHNO KI LAZ RAKHI nahi fit baithta.
Kyonki pahle pahal jab ye phrase use hua hoga to nischit rup se arthpurn (meaningful) rup se hua hoga. lakin samay bitne k sath sath yah kewal ek SAMPUT k rup me use hone laga.
KYONKI YADI TILE DHARO BOLA KA ARTH GEETO ME tune mere vachno ki laz rakhi NAHI NIKALTA TO  PARAMPARAGAT STORY K ARTH ME BHI GEETO ME USE PRIYOG NAHI KIYA GAYA HAI.


 

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