This is one of the Hit Chahchari of Old days.
मांछी न बगनी, दादू लपटना
हौसिया पराणि, मेरी लपटना!
रेई न सकनी, दादू लपटना!
ओ दोलकी कामक, भूलू गावरला!
खुट कान छना बूड़ा, भूलू गावरला!
यो छोड़ी छ कामक, भूलू गावरला!
पडी झन फूटा, दादू लपटना!
राम लक्ष्मण, कसी लपटना!
जोड़ी जहाँ टूटी, दाजू लपटना!
तू हे कुलो उंछ, कट लपटना!
तिमुली का पात, भूलू लपटना !
संग हैजा सोवती, का गावरला!
लम्भी है जो रात, भूलू गावरला!
सूपा भरी धाना, दाजू लपटना !
झिट घडी, झिट घडी लपटना!
चाचरी में ध्यान, दादू लपटना!
सानड़ की रौली, भूलू गावरला!
कॉनोजय जै रौली, भूलू गावरला!
इसाई क रेट, भूलू गावरला!
इसाई क रेट, दाजू लपटना !
काक तुमि काक हामी, लपटना!
आज है रे भेट दाजू, लपटना!
हिंदी में-
जैसे मछली नहीं बहती, जवानी की उम्र मेरी, रह नहीं सकती, ओ ढोलकी काम की, पैर पर कांटे है चुभे, राम लक्ष्मण की जैसी जोड़ी, जो न टूटे,
Copyright - merapahadforum.com