हीरा सिंह राणा जी की लोकप्रिय कविता जो उत्तराखण्ड आन्दोलन के दौरान हम सभी के लिये एक प्रेरणा थी
लश्का कमर बांधा,हिम्मत का साथा,
फिर भुला उज्याली होली,
कां लै रौली राता लश्का कमर बांधा.....
य नि हूनो ऊ नि होनो,कै बै नि हूंनो के ,
माछी मन म डर नि हुनि चौमासै हिलै के
कै निबडैनि बाता, धर बै हाथ म हाथा,
सीर पाणिक वै फुटैली जां मारुलो लाता
लश्का कमर.....
जब झड़नी पाता डाई हैं छ उदासा,
एक ऋतु बसंत ऐछ़ पतझडा़ का बाद
लश्का कमर बांधा........