पैदल पहाडी रास्तों पर जाता एक युगल दूर कहीं से आती हुयी बांसुरी की मधुर ध्वनि सुन कर मंत्रमुग्ध हो जाता है.... युवती उस ग्वाले के बारे में जानने को उत्सुक है जो इतनी दिल को छूने वाली बांसुरी की धुन बजा रहा है... युवक को वह बांसुरी बजाने वाला अपनी ही तरह किसी रूपवती के प्यार में डूबा हुआ प्रेमी प्रतीत होता है….
नेगी जी के सुरसागर का एक और अनमोल मोती है यह युगल गीत
पुरूष स्वर नारी स्वर
कू भग्यान होलू डांड्यू मां, यनि भली बांसुरी बजाणु
बजाणु रे…… कू भग्यान होलू डांड्यू मां….. कू भग्यान…
होलू क्वी बिचारू मैं जनू, नखर्याली बांद रिझाणु
रिझाणु रे….. होलू क्वी बिचारू मैं जनू…. होलू क्वी
फूल हमथें देख-देखि, पोतलो सन कांडा छीन
पोतलो सन कांडा छीन
भौंरा दीखा दिजा कैंमा, छुई हमरि लगाना छीन
को बेशर्म होलू तो सणी तेरि-मेरि माया बिगाणू
बिगाणू रेsssss.....
होलू क्वी बिचारू मैं जनू…. होलू क्वी
ये डांडी बचानि होली कि, डालि बोटी गाणि होली
डालि बोटी गाणि होली
रसीला गीतों की भांण, कख बटि आणि होली
को घस्यार होली रोल्यू मां, अपना सौंजर्या थे बत्याणि
बत्याणि रेsssss….
होली क्वै बिचारी मैं जनी…. होली क्वै
मन मां बसायी मेरी, क्व होली दुन्या से न्यारी
क्व होली दुन्या से न्यारी
आंख्यूं मां लुक्याई बोल, को होली हिया की प्यारी
कू बेमान होलू बोला जी, लगदू जो आखूं से भी स्वाणूं
स्वाणूं रेsssss…..
होलू क्वी बिचारू मैं जनू…. होलू क्वी
कू भग्यान होलू डांड्यू मां, यनि भली बांसुरी बजाणु
बजाणु रेsssss……
होलू क्वी बिचारू मैं जनू…. होलू क्वी