कामनापरक गीतों में ‘‘औछन’’ गीत गाये जाते हैं। गर्भिणी की स्थिति का मनोवैज्ञानिक
चित्राण इन गीतों में मिलता है -
खै लियो बोज्यू, मनै की इछिया जो,
खै लियो बोज्यू, बासमती को भात।
उरद की दाल, घिरत भुटारो, दाख दाड़ीमा।
छोलिघ बिजौरा, कैली कचौरी, लाखी को सीकारा।।