Author Topic: Questions & Answers in Jod-चार आंखर (जोड़ में सवाल जवाब) लोक संगीत की विधा  (Read 30798 times)

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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Re: चार आंखर:
« Reply #10 on: September 15, 2010, 03:49:27 PM »
जरा ये पढो पत्नी का पती रे लिए जोड़.

भुत भुत भात पाकों, लुवै की जांतिम,
घुर-घुर नींन ऐंछ, स्वामी की छातिम.

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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Re: चार आंखर:
« Reply #11 on: September 15, 2010, 04:15:26 PM »
पिरुवा बुनियाँ सुवा, पिरुवा बुनियाँ
दुखा दुखा झंन कये,दुखी छू दुनियां
ओ बुरिशी को वोटा सुवा,बुरिशी को वोटा
ओ तेरो मुख देखुला कुछी, यो डाई लागी ओटा
धार मैं देवी को थाना, दुधिलाई नवाय,
तेरो जूता(jutha) में नि खाछी माया लै खवाई
मनुवा का मुना भागी, मनुवा का मुना
रिवाडा का धुंग डाई आपण नि हुना
दो तरी को तारा हवाक मैं की खारा
बोली लै दुनियां मरी तू बोली न मारा
माछी लगो वीडा, माछी लगो वीडा
तेरो खुटा काना बूडो म्योर खुटा पीड़ा
 

 

हलिया

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Re: चार आंखर:
« Reply #12 on: September 15, 2010, 04:41:36 PM »
    गोठ भरी गोरु छान,
भैंसी गोठ काली
  |
तेरी नामै की चिठ्ठी द्युन्लो
   
आंसू ढाली ढाली
  ||


आसमानी जहाज उड़ो
    ,
रंगून डा
  कै  को
पंछी हनी उडी ऊनी
  ,
मै बिना
  पांखै को ॥
   

सौ जुंगा को लाल घोड़ो
  ,
दुबो चर
  ग्यो
तू पूरबा
  , मै पच्चिमा,
धो  मिलना  भ्योछ
 



बाटा
    गडा धाना  बोयो,
मुठ्ठी को
  ब्यू  जाछ ।
साली को जोभाना देखि
  ,
भि
  ना को ह्यू जाछ 



भात पकौन्या तामा तौली
    ,
पसक
  न्या  चमचा
तौ तेरी उम्र न्हैगाई
  ,
नै आई समझा
 

   

 आजा भैसी कां जा  रैछ:गाज्यो कुमरी मैंतसा दुखा किलै पड्या,बाली  उमरी    मै

दीपक पनेरू

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Re: चार आंखर:
« Reply #13 on: September 15, 2010, 05:11:44 PM »

रहत की ताना, घट कुड़ी बाना,
  घटले पनायी लग्या, पनायी ले काना,
  रुद्रपुर घाट जोत्वो, फतेहपुर बाना,
  जा तेरो लटक जान्छो, वां मेरयो पराना.

सत्यदेव सिंह नेगी

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Re: चार आंखर:
« Reply #14 on: September 15, 2010, 05:17:45 PM »
जींस पैंट तेरी सुवा
किले इतगा टैट

जांदि कख छै सुवा
व्हेकि रैट पैट

खूब बिराज दीन्द
ते फार काली टॉप
 
त्यार अगनी सुवा
सबी छोरी फिलोप

गोरु रंग तेरो लागू
खूब भालू उज्यालू

काली रात म जनु
होलू जल्युं मुछ्यलू

देखुंदु जब सुवा
तेरी पतली कमर

जुवान व्हे गे सुवा
तेरी बाली उम्र

दीपक पनेरू

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Re: चार आंखर:
« Reply #15 on: September 15, 2010, 05:26:53 PM »
बहुत सुंदर रचना है नेगी जी

सत्यदेव सिंह नेगी

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Re: चार आंखर:
« Reply #16 on: September 15, 2010, 05:31:07 PM »
दीपक जी रचना को तो समय देना पड़ा होगा हम तो तुक बाज हैं इश्वर का करम है कि आप ऐसा कह रहे हैं

जय हो

सत्यदेव सिंह नेगी

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Re: चार आंखर:
« Reply #17 on: September 15, 2010, 06:30:31 PM »
न कैर मेरी फिकर हे माँ
मी यख ठिक सिकी रौलू

सिनी रैली तू तख़ रूणी
यख मि कसिकैकी खौलू

लगी जाली नौकरी भी हे माँ
नि कैर अब तू बौलू

द्वी चार दिन की बात
मन्योडर तीखानी भी भी औलू

न कैर मेरी फिकर हे माँ
मी यख ठिक सिकी रौलू

सिनी रैली तू तख़ रूणी
यख मि कसिकैकी खौलू

नि खै तू से कोदा झुन्गरू
बाजार भाटी ल्हें ले गोभी अलू

अब आला हमारा भी दिन
सदनी एक्सनी नि रालू

न कैर मेरी फिकर हे माँ
मी यख ठिक सिकी रौलू

सिनी रैली तू तख़ रूणी
यख मि कसिकैकी खौलू

न खोज मीकु ब्वारी हे माँ
झणी कन मीलालू ससुरालू

नि छि अज्काल ते नौनी जनि
हद से भी छि यु ज्यादा चालु

न कैर मेरी फिकर हे माँ
मी यख ठिक सिकी रौलू

सिनी रैली तू तख़ रूणी
यख मि कसिकैकी खौलू

न कैर तू अब ज्यादा जिद
न भेज सीं थै न हो मयालु

क्या पाई तिल ब्वारी कैरिकी
खैरि खाणी जाणी छै खाल्युं

न कैर मेरी फिकर हे माँ
मी यख ठिक सिकी रौलू

सिनी रैली तू तख़ रूणी
यख मि कसिकैकी खौलू

मोरी गे तू यखुली मेरी माँ
कैमा समणी जौं मि रूलू

छवटू भलु कनु भली छै मि
किले मि थै तिल झी पालूँ

न कैर मेरी फिकर हे माँ
मी यख ठिक सिकी रौलू

सिनी रैली तू तख़ रूणी
यख मि कसिकैकी खौलू

मेरी माँ को ये गाना भेंट जो मुझे इस दुनिया में इस तरह छोड़ गई

Devbhoomi,Uttarakhand

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Re: चार आंखर:
« Reply #18 on: September 15, 2010, 06:44:10 PM »
नेगी जी बहुत खूब कास अह्गर ऐसी भावनाएं अपने माँ-बाप के प्रति हर बेटे की होती तो सायद ही कोई माँ-बाप आज की दुनिया में दुखी होते,बहुत खूब पक्तियां लिखी है अपने लगे रहो !

सत्यदेव सिंह नेगी

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Bahut dhanybad Jakhi  Ji hausala badhane hetu
नेगी जी बहुत खूब कास अह्गर ऐसी भावनाएं अपने माँ-बाप के प्रति हर बेटे की होती तो सायद ही कोई माँ-बाप आज की दुनिया में दुखी होते,बहुत खूब पक्तियां लिखी है अपने लगे रहो !

 

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