चार आंखर:
]मित्रो यहाँ पर मैं कुछ लोक गीतों की पंक्तियां लिख रहा हूं जिन को आप किसी भी लय में (झोडा, चांचरि या न्यौलि इत्यादि) में गा या खाली समय में गुनगुना सकते हैं। इस कडी को आगे बढाने में मेरी मदद भी कर सकते हैं हो महाराज ॥
व्वार वटि को पार देखि च,
काट्या को सेरो।
जिंदगी में ध्वाका दिछ,
पाप लागोलो म्येरो ॥ 1॥
रुख लागो औखौडा दानि,
खानि नै लागनि।
त्वे सुवा सूरत देखि,
जानि नै लागनि ॥ 2॥
रहट कि तान,
रहट की तान ।
कखा बटि आ पडैछ,
हसिया परान ॥ 3॥
सर्गा भरि तारा छन,
गणि न सकिना ।
जैको सुवा परदेशा,
उ करम हीना ॥ 4 ॥
हरिया घास क्याले सुको,
दोफरि घामा ले ।
आज तक ज्यूनो रयूं,
तुमरा नामा ले ॥ 5 ॥
बल्द मोटो बण चर्या ले,
घोडो मोटो जौं ले ।
रात काटछुं गीत गै भेरे,
दिन तुमारा नौं ले ॥ 6 ॥
घाघरि को घेर,
घाघरि को घेरा ।
मै गलति मानि ल्हिछु,
हाथ जोडि भेर
म्यर नौलि तुम सुणि ल्हिया,
ध्यान ल्गै भेर ॥ 7 ॥
हपुरा पनारि को छ:
चेलि खर्कवालै कि,
तेरा मेरा हैसिया दिन,
आजि फर्कालाक़ कि ॥ 8 ॥