क्रिएटिव उत्तराखंड द्वारा रचित व शैलेश उप्रेती द्वारा गाया गया ये गीत सुनने मैं बेहद सरल और नृत्य के लिए भी अच्छा है.
कमला ओ कमला कमाल देखि छे ,
तू ज्युनेली रातों की चाँद देखि छे.
बसंत एई गो छो बुरुस खिली गे,
बुरुसी का फूलों जै बान देखि छे,
तू ज्युनेली रातों .......................कमला ओ कमला.................................
नाखे की नथुली, तेरी खुटो को छाबरा,
फूल छोडी तुकुनी कहानी सब भंवरा,
भंवरों ले एक दिन रात करी है ,
बिन कय्ये कदुके जे बात कई है.
कमला ओ कमला करी है , बिन कय्ये कदुके जे बात कई है.
कमला ओ कमला..........................................................................
आँखों को काजला तेरी गालों की गुलाबी,
कसिक बतउनु बिन पिय मी शराबी,
दिल तुकुनी दिबेर सवाल करी है,
आपु हाथ आपुहू बबाल करी है,
कमला ओ कमला करी है ,आपु हाथ आपुहू बबाल करी है,
कमला ओ कमला..........................................................................
ठुमक हिटन त्योर मिश्री जै बुलान,
बुलान सुनीबेर बुड है गयें ज्वाना,
ज्वानु का हाल बेहाल करी है,
जनि कदुका की नीना खराब करी है,
कमला ओ कमला कमाल करी है
जनि कदुका की नीना खराब करी है,
कमला ओ कमला...................................