Omkara, 1971, Shorya, Delhi 6, Gulaal, Mumbai Cutting, 13B, Maqbool and Blue Umbrella. Just a few examples of this actor's prowess. This actor is one of the very few actors in Indian Cinema, who actually shows what "acting" is. Amazing talent.
here is the Deepak Dobriyal's Feeling on Uttarakhand Q- आपके परिवार के बारे में कुछ बताएं?
Ans- मेरा जन्म पौडी गढ़वाल के एक छोटे से गाँव काबरा में हुआ , शुरुआत के 5
साल तक मैं गाँव में ही था. अभी भी याद है गाँव के स्कूल में आधी छुट्टी में दलिया मिलता था, पर गाँव के स्कूल में प्लेट्स नहीं थी, तो हम सब बच्चे भाग भाग के दूर से तिम्ला के पत्ते लाते थे और उनको तिल्ली से सिलकर उनकी प्लेट्स बनाकर दलिया खाते थे. मेरे पिताजी दिल्ली में सरकारी नौकरी में थे .. माँ चाची और दादी घर संभाला करती थी .. और कुछ समय के बाद हम दिल्ली आ गए , मेरा एक छोटा भाई भी है पंकज .
Q- सतपुली उत्तराखंड से जुडी किस तरह की यादें हैं?
Ans - बहुत ही खूब सूरत यादें है, कोटद्वार से हम अपने गाँव की बस लेते थे और हमारा अगला पड़ाव होता था सतपुली, जहां रुक कर हम भाग कर ब्रिज के नीचे बहती नदी में जल्दी से नहा कर
कर वापस बस में बैठ जाते थे.
Q- आप किस तरह से उत्तराखंड से अपना जुडाव महसूस करते है?
मैं गर्मियों की छुट्टियों में हर साल गाँव जाता था , जब सड़क के किनारे औरतों का काफिला गाडी के पास होने का इंतज़ार करती थी तो उन चेहरों में मुझे हमेशा अपनी दादी, चाची , माँ, बुआ, सब के चेहरे उनमे नज़र आते थे ,,और मैं भावुक हो जाता था , गाँव में बरसातों में हम हर साल चावल की फसल बोते समय हम घुटनों तक कीचड में सने होते थे , मेने भी दादी और अपने चाचा के साथः धान उगाया है.
मुझे आज भी याद है हम लोग बचपन में तोरी के सूखे पत्तो बीडी बना कर पीते थे और पकडे जाने पर दादी कनडाली से पिटती थी, जब हम चाचा और दादाजी के साथ खेत में काम करते थे तो दूर गाँव से आती चाची नज़र आती जो सर पे एक खाने की पोटली लेकर आती थी और हाथ में चाय की एक केतली ,,और उनको देखकर कर हमारी भूख और बड जाती , उस खाने का जो सुख होता था मैं आपको बयान नहीं कर सकता हूँ .
Q- अभिनय में आने का विचार केसे आया?
Ans- १२ के बाद सब दोस्त विचार कर रहे थे की क्या करे तो मुझे लगा मुझे कुछ रचनात्मक करना चाहिए जिसमे मै अपने आप को लोगों तक पंहुचा सकूँ जो कुछ भी योग्यता मेरे अन्दर है वो लोगों को पता लगे और मेरे एक्टिंग के बारे आने का सोच लीया.
Q- दिल्ली से जुडी कुछ बचपन की यादें ?
Ans - बचपन में, मै एक स्कूल भीमनगरी होज-खास के पास था, मे पढता था, जंहा मै हमेशा 1st ya 2nd आता था, लेकिन पिताजी ने एक दीन बोला की ये स्कूल ठीक नहीं है और मुझे दुसरे स्कूल मै डाल दिया, मुझे बहुत बुरा लगा कयोंकि ,मेरे सारे खास दोस्त छूट गए , मैं बहुत रोया ,,लेकिन पिताजी से बहुत डर लगता था.
और उसके बाद मेरा पढाई मै मन ही नहीं लगता था ..मुझे लगा की फ़ैल हो जाऊं ,,ताकि मा दुबारा उस स्कूल मै जाकर अपने दोस्तों से मिल सकूँ . लेकिन पिता जी की पिटाई से बहुत डर लागता था. मेरे जीवन मै 19 साल तक सिर्फ पिताजी की हुकूमत चलती रही उनकी मुझसे बहुत बड़ी उम्मीदें थी . .मेरी माँ मेरी सबसे बड़ी दोस्त थी. मेने १८ साल की उम्र मै पहेली बा अपना निरणे लीया थेएटर करने का उन्हें लगता था की मा अपनी जिन्दगी बर्बाद कर रहा हूँ कोई कंप्यूटर या कोई कोर्स क्यों नहीं कर लेता हूँ.
तब से मेने पढाई सिर्फ नाम के लिए ही की .
Q- लोग जब आपके काम की सरहाना करते है तो केसा लगता है?
Ans- बहुत ख़ुशी होती है, कयोंकि मै अभिनय मै जो कुछ भी करता हूँ पूरी सचाई और मेहनत के साथ करता हूँ यही कोशिश रहती है की 100% दूँ
Q- कभी सोचा था " ओमकारा" से बेस्ट फिल्म फेयर और और बेस्ट क्रिटिक अवार्ड मिलेगा?
Ans - हा हा, नहीं कभी नहीं सोचा था जब मै अवार्ड लेने गया तो आप मेरे चेहरे से पता लगा सकते है की मै काफी डरा हुआ था.
Q- कभी संघर्ष करना पड़ा, या कभी ऐसा लगा की गलत जगह आ गया हूँ वापस जाकर कुछ और कर लूँगा?
Ans- बचपन से मुझे बोर्डिंग स्कूल मै पड़ने की तमन्ना थी जो मुंबई मै आ कर पूरी हो गई ,,सबसे बड़ा चमत्कार ये की मुझे खाना बनाना आ गया ..और अब मैं कुछ भी बना सकता हूँ वो भी कमाल का स्वादिष्ट. खाना
हाँ मुंबई के संघर्ष के दौर मै एक आध बार ऐसा लगा की शायद गलत शहर मै आ गए ,,ये वो शहर नहीं जिसके सपने हमने देखे थे .. हमने मज़ाक मज़ाक मै ये भी कहां की, हम आये थे बॉम्बे लेकिन पहुँच गए मुंबई ." शायद इसीलिए हमें ढंग का काम नहीं मिल रहा ,.लेकिन 1971 और ओमकारा के बाद कभी ऐसा लगा ही नहीं की लाइफ मै संघर्ष नाम की कोई चीज़ भी थी... भयंकर गर्मी और उमस के बाद बारिश का मज़ा कुछ और ही होता है .जब कुछ काम भी नहीं था तब भी मैं रियल लाइफ मै पेर्फोर्मंसस करता रहता था ,,मैंने इस शहर मै अपनी "ताजगी " और "जोश" को कभी भी फीका नहीं पड़ने दिया मुश्किल से मुश्किल दौर मै भी .
Q- उत्तराखंड की सबसे जादा क्या चीज पसंद है?
Ans- उत्तराखंड के विषय मै जो सबसे ज्यादा पसंद है वहां की सादगी, वहां के लोगों का निश्चल प्यार ,,उनकी शीशे की तरह साफ़ भावना, उनकी छोटी छोटी ज़रूरतें और उनकी छोटी छोटी नाराजगियां, उनका एक दुसरे पे अँधा विश्वास,मैं एक्टिंग मै चाहे कितने भी expression छुपा लूँ लेकिन रियल लाइफ मै जब मेरी दादी कोई बात करते करते रो पड़ती है तो आज भी मैं अपने आंसू नहीं रोक पता हूँ ,,मेरी दादी की आवाज़ मै एक जादू हा i..और कुछ बातें ऐसी हैं जहाँ सोच कभी नहीं पहुँच सकती जहाँ भावनाएं पहुँच जाती है .मुझे उड़द की डाल और चावल और घर के आँगन मै उगी हुई हरी मिर्च बहुत पसंद है ,, नदी मै मछली पकड़ना वंहा का संगीत, और अलग अलग घर का खाना खन्ना बहुत पसंद है ,,पंदेरों मै पानी पीना बहुत पसंद है .बच्चो को स्कूल से आते जाते देखना बहुत पसंद है ,,वहां रहना बहुत पसंद है. शादियों मै खेत मै खाना खाना बहुत पसंद है, सच्चा जीवन वहीँ है ,,यादों वाला जीवन वहीँ है ,,भावनाओं का जीवन वहीँ है ,,वहां की जो भी कमियाँ है वो भी पसंद है ,,वहाँ के जो वरदान हैं वो भी पसंद हैं.
Q- उत्तराखंडी संगीत सुनते हो?
Ans- बीलकुल लगभग आज भी हर रोज़ नरेन्द्र सिंह नेगी जी और गोपाल बाबु गोस्वामी जी को और खास तोंर पर अकेले होता हूँ या लॉन्ग ड्राइव पर जाता हूँ तो सिर्फ पहाडी गाने ही सुनता हूँ. नेगी जी के गाने सुनकर हम बड़े हुए हैं मै उनका बहुत बड़ा फेन हूँ.
Q- आपको केसा लगता है जब लोग आप को उत्तराखंडी बोलते है?
Ans - मुझे बहुत गर्व होता है की मै देव भूमि से हूँ
जो लोग अभिनय मै आना चाहते है उनके बारे मै आप क्या कहंगे?
Ans- जरुर आये लेकिन पूरी तयारी के साथ खली चमक धमक से प्रभावित हो कर ना ए कयोंकि से सबसे जादा सन्घर्ह भरा रास्ता है, हिम्मत कभी न हरे सच्चे मन से कोशिश करते रहे
कोई GODFATHER?
Arvind Gaur,Piyush Mishra, Vishaal Bhardwwaj,Amrit sagar,Pandit N.k.Sharma,Rakesh om prakash mehra,Anuraag Kashyap,Sammar khan. ये वो नाम हैं जिनकी वजह से मेरी एक्टिंग दुनिया भर के लोगों तक पहुंची है .. मेरा हर निर्देशक चाहे वो थिएटर मै हो या फिल्म्स मै वो मेरा Godfather है.
Q- आने वाली फिल्म " दायें या बाएं के बारे मै कुछ बताएं ?
दायें बाएँ -- मेरी आने वाली फिल्म है जो की उत्तराखंड पर आधारित है ,, भाषा हिंदी है लेकिन कल्चर और फील उत्तराखंड का है ,,ये मेरी पहली सोलो फिल्म है. इस फिल्म की निर्देशक बेला नेगी है जो खुद नैनीताल की हैं ..इसकी शूटिंग हमने अल्मोरा,नैनीताल,चोकुडी, बागेश्वर,और मुन्शियारी मै की है ,,फिल्म के जादातर कैरेक्टर अल्मोरा के ही हैं ..जिससे से फिल्म मै एक सच्चाई आ गयी है ,,बेला नेगी फिल्म इंस्टिट्यूट पुणे से हैं ..और आने वाले दिनों मै एक बहुत बड़ा नाम बन्ने वाली हैं ,,उनका निर्देशन काबिले तारीफ है ..और कोई भी इस फिल्म को देख कर नहीं कह सकता की ये उनकी पहले फिल्म है.
ये फिल्म World Wide सभी सिनेमाघरो मै जल्द ही आने वाली है
Q- आपको आपके जीवन मै क्या कमिया दिखती है?
Ans - सबसे बड़ी कमी है मेरी माँ, माँ के गुजरने के 1 दिन पहले मैं अपनी शूटिंग में था,,और जैसेही ही पहुंचा माँ ने मुझसे कुछ इशारों में बात की..और ये पहली बार था जब मैंने कुछ अच्छा पैसा कमाया था और मैं माँ के लिए खूब सारी चीज़ें खरीद के गिफ्ट करना चाहता था,,लेकिन थोडी देर हो गयी,,अपनी शर्तों पे चलने के लिए बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती हैं..मैं चाहता तो टीवी वगैरह से बहुत साल पहले ही बहुत सारा पैसा कमा चूका होता लेकिन मैंने सिर्फ फिल्म्स को तव्वज्जो दी ...और माँ को खो बैठा.
मुझ में बहुत सारी खामियां हैं . जैसे --मैं स्पोर्ट्स नहीं खेलता ,Cigrette एक बुरी आदत है जो छूट रही,,और भी कई हैं....
Q-कुछ गढ़वाली में अपने चाहने वालो को?
Ans - जो भी काम कन्ना छो मन लागक करो ,,जो भी सोचना छो व्हे माँ और वैथे करनं कदगा फर्क च ये थे कभी न भुलो..
Interview by Rajneesh Agnihotri
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[youtube]
http://www.youtube.com/watch?v=REvndOCkqU0