प्रयाग पाण्डे मित्रो ! आज यानी 25 दिसंबर पेशावर कांड के महानायक बीर चन्द्र सिंह गढवाली जी की 121 वीं जयंती है । चन्द्र सिंह गढ़वाली का जन्म 25 दिसम्बर 1891 में हुआ था। भारतीय इतिहास में चन्द्र सिंह गढ़वाली को पेशावर कांड के महानायक के रूप में याद किया जाता है। २३ अप्रैल १९३० को पेशावर कांड के महानायक हवालदार मेजर वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली और उनके साथियों ने बिट्रिश सरकार से खुली बगावत कर हिंदुस्तान की जनता के पक्ष में खड़े होने का चैतन्य निर्णय लिया था | बीर चन्द्र सिंह गढवाली के नेतृत्व में रॉयल गढवाल राइफल्स के जवानों ने भारत की आजादी के लिये लडनें वाले निहत्थे पठानों पर गोली चलानें से इन्कार कर दिया था। बिना गोली चले, बिना बम फटे पेशावर में इतना बडा धमाका हो गया कि एकाएक अंग्रेज भी हक्के-बक्के रह गये, उन्हें अपनें पैरों तले जमीन खिसकती हुई सी महसूस होनें लगी। वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली जी का यह कदम भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन के इतिहास में अद्भुत और असाधारण घटना थी और है | आम जनता के पक्ष में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली जी की यह संवेदनशीलता , सक्रियता और प्रतिरोध, भारतीय इतिहास में सदैव स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज रहेगा | मानव समाज में इसकी निरंतर प्रासंगिकता बनी रहेगी |
इतिहास पुरुष वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली जी को शत -शत नमन |
वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली जी की जयंती के मौके पर श्री अशफाक उल्ला खां जी द्वारा आजादी के आन्दोलन के दौरान लिखी निम्न चंद पक्तियां महानायक को समर्पित हैं ----------------
बुजदिलों को ही सदा मौत से डरते देखा ,
गो कि सौ बार उन्हें रोज ही मरते देखा ||
मौत से वीर को हमने नहीं डरते देखा ,
तलख्हे मौत पर भी खेल ही करते देखा ||
मौत एक बार जब आना है तो डरना क्या है ,
हम सदा खेल ही समझा कि ये मरना क्या है ||
वतन हमेशा रहे शाद कम और आजाद ,
हमारा क्या है , अगर हम रहे , रहे न रहे ||
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