आज मन बहुत हर्षित और प्रफ्फुलित है, क्योंकि सुबह ही अखबार में पढा कि मेरे क्षेत्र के दो महान खिलाडियों का सम्मान हमारी सरकार करने जा रही है, जिन पर आज तक हमें ही गर्व था, अब पूरा उत्तराखण्ड उनको जानेगा और अपने को गौरवान्वित महसूस करेगा। 1962 के जकार्ता एशियाड के फाईनल में साउथ कोरिया को फुटबाल में हराने वाली टीम के सदस्य स्व० त्रिलोक सिंह बसेड़ा, जिन्हें आयरन वाल आफ इण्डिया का खिताब दिया गया, मेरे क्षेत्र बाराबीसी (देवलथल) के भण्डारीगांव के निवासी थे, को उत्तराखण्ड खेल रत्न तथा अर्जुन अवार्डी श्री हरिदत्त कापड़ी जो बास्केटबाल के अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी रहे, को उत्तराखण्ड का खेल हेतु लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया जा रहा है, यह भी हमारे ही क्षेत्र देवलथल के निवासी हैं।
यह क्षण वास्तव में मेरे लिये गौरवमयी हैं, साथ ही एक पीड़ा भी है कि मेरे क्षेत्र में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन उनकी प्रतिभा संसाधनों के अभाव में दम तोड़ देती है, जब कि खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिये देवलथल के मध्य में पीपलचौर नामक स्थान पर राष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम लायक भूमि है, लेकिन किसी का भी ध्यान उसकी ओर नहीं गया, स्थानीय लोगों ने ही उसे अपने स्तर से खेल-कूद प्रतियोगिता होने योग्य बनाया है, मेरा सुझाव है कि देवलथल के पीपलचौर फील्ड में स्व० त्रिलोक सिंह बसेड़ा जी के नाम पर एक मिनी स्टेडियम का निर्माण किया जाय तथा उनके नाम पर एक राज्य स्तरीय फुटबाल प्रतियोगिता का भी आयोजन होना चाहिये।