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REMARKABLE ACHIEVEMENTS BY UTTARAKHANDI - उत्तराखंड के लोगों की उपलब्धियाँ

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
पूर्वी पोखरखाली के हैं विश्व नंबर वन आदित्य  अल्मोड़ा। जूनियर बैडमिंटन के विश्व नंबर वन खिलाड़ी बने पूर्वी पोखरखाली निवासी आदित्य जोशी को अल्मोड़ा से विशेष लगाव है। आदित्य समय मिलने पर अल्मोड़ा आते रहते हैं। अल्मोड़ा में रहने के दौरान वह स्थानीय स्टेडियम में बैडमिंटन की प्रेक्टिस से लिए जाते हैं। पूर्वी पोखरखाली में स्थित गोकुल निवास में आदित्य के घर पर ताऊ नरेंद्र कुमार जोशी और ताई ऊषा जोशी को बधाई देने के लिए दिनभर लोगों का तांता लगा रहा।
पूर्वी पोखरखाली निवासी अतुल जोशी और हेमलता जोशी के दो पुत्रों में आदित्य छोटे हैं। आदित्य के बड़े भाई प्रतुल्य जोेशी भी बैडमिंटन के राष्ट्रीय खिलाडी हैं। आदित्य के पिता अतुल जोेशी धार (मध्य प्रदेश) में सांई के बैडमिंटन के कोच हैं। आदित्य की 83 वर्षीय दादी शकुंतला जोशी धार में ही रहती है। आदित्य के चचेरे भाई आईटीआई सोमेश्वर मेें अनुदेशक गौरव जोशी बताते हैं कि वह मई 2012 में परिजनों के साथ अल्मोड़ा आए थे और दो सप्ताह तक रुके। इस दौरान पिता अतुल जोशी के साथ प्रतिदिन स्टेडियम जाकर तीन से चार घंटे अभ्यास करते थे। होनहार खिलाड़ी आदित्य की उपलब्धि पर नगरवासी स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। आदित्य के पूर्वी पोखरखाली स्थित गोकुल निवास में उनके घर पर मंगलवार को  ताई, ताऊ और परिजनों को बधाई देने वाले लोगों का तांता लगा रहा।

विनोद सिंह गढ़िया:
[justify]द्रोणाचार्य अवार्ड विजेता हंसा मनराल शर्मा।



पहाड़ की पगडंडी से द्रोणाचार्य अवार्ड तक

 पहाड़ों की कठिन डगर को पार करते हुए हंसा मनराल शर्मा ने नई इबारत लिखी। एथलेटिक्स से शुरू हुआ उसका सफर वेट लिफ्टिंग तक जा पहुंचा। उनकी लगन का ही नतीजा था जो उन्हें द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित किया गया। वह देश की पहली महिला खिलाड़ी थी, जिन्हें यह गौरव हासिल हुआ। आज भी हंसा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हुई हैं।
मूल रूप से ग्राम देवतौला पिथौरागढ़ निवासी स्व. महेंद्र सिंह मनराल के घर जन्मी हंसा ने पहाड़ों का कठिन जीवन बहुत नजदीक से देखा। शुरू से ही उबड़ खाबड़ खेतों की पगडंडियों पर दौड़ी हंसा को भी नहीं पता था कि एक दिन वह ऐसे मुकाम पर पहुंचेंगी। लेकिन उनकी लगन उन्हें नेशनल प्रतियोगिता तक ले गई और 1982 में उन्होंने पहला एशियन कैंप किया। इसके बाद उन्हें चोट लग गई। करीब दो सालों तक वह खेल नहीं सकी। चूंकि हंसा ने शुरू से ही खेतों में मेहनत की थी, लिहाजा उन्हें वजन उठाने की आदत रही। इसी के चलते वह एथलेटिक्स छोड़ वर्ष 1985 में वेटलिफ्टिंग में आ गई। वर्ष 1986 में उन्होंने वेटलिफ्टिंग नेशनल चैंपियनशिप खेली। यह वही समय था जब महिला वेटलिफ्टिंग की शुरुआत हुई थी। इसके बाद हंसा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 1986, 87 और 88 में वह नेशनल रिकॉर्ड होल्डर रहीं। 2001 में राष्ट्रपति ने उन्हें द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित किया। वर्ष 1989 में वह पहार वर्ल्ड चैंपियनशिप इंडिया महिला वेटलिफ्टिंग टीम की कोच रहीं।
तब टीम ने सात मेडल जीते थे। इन सात मैडलों में से एक अंतरराष्ट्रीय वेटलिफ्टर कुंजू रानी ने रजत पदक जीता था। अब तक हंसा के संरक्षण में 12 खिलाड़ी अर्जुन अवार्ड प्राप्त कर चुके है। वर्तमान में वह कॉमनवेल्थ, एशियन गेम्स, ओलंपिक खेलों के लिए खिलाड़ियों को तैयार कर रही हैं। हंसा की बेटी भी शूटिंग में नेशनल और इंटर नेशनल मेडल होल्डर है।

साभार - अमर उजाला

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
मूलरूप से हल्द्वानी जनपद नैनीताल के राजीव मेहता होंगे आइओए के महासचिव

जागरण संवाददाता, देहरादून: भारतीय ओलंपिक संघ के होने वाले चुनाव में उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव मेहता का महासचिव पद पर निर्विरोध चुना जाना लगभग तय हो गया है। भारतीय खेल की सर्वोच्च संस्था में पदाधिकारी बनने वाले राजीव मेहता सूबे के पहले व्यक्ति होंगे। इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी की गाइडलाइन के नौ फरवरी को होने वाले चुनाव में राजीव मेहता के महासचिव पद पर काबिज होने की मोहर लग जाएगी।

तीन दशक से जुड़े हैं खेलों से

मूलरूप से हल्द्वानी जनपद नैनीताल के 49 वर्षीय राजीव मेहता यूं तो पेशे से कंसट्रक्शन व्यवसाय से जुड़े हैं। कुमाऊं विवि से 1985 में रसायन विज्ञान में एमएससी करने वाले राजीव खुद एक बेहतरीन क्रिकेटर व फुटबालर रहे। उन्होंने कुमाऊं विवि की क्रिकेट टीम का बतौर कप्तान प्रतिनिधित्व किया और बाद में विवि की चयन समिति के अध्यक्ष रहे। राज्य गठन से पहले राजीव मेहता एक दशक तक यूपी वूमैन क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे।

उत्तराखंड बनने के बाद उन्होंने राज्य ओलंपिक संघ की बतौर अध्यक्ष कमान संभाली। वर्तमान में खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष होने के साथ ही वह हॉकी इंडिया के संस्थापक सदस्य भी रहे हैं। राजीव मेहता ने हॉकी इंडिया में एसोसिएट अध्यक्ष का पदभार भी संभाला। अब वह भारतीय ओलंपिक संघ के महासचिव बनने जा रहे हैं।

भारतीय ओलंपिक संघ के होने वाले चुनाव के नामांकन के लिए 25 जनवरी को अंतिम दिन रखा गया। अध्यक्ष, महासचिव व कोषाध्यक्ष पद पर एक-एक ही नामांकन हुआ है। इसके साथ ही इन पदों पर निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया। गौरतलब है कि इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी ने भारतीय ओलंपिक संघ पर तय चार्टर के अनुरूप चुनाव न कराने के चलते प्रतिबंध लगाया हुआ था। चार्टर के मुताबिक कोई भी व्यक्ति जिसे कोर्ट से सजा मिली हो वह पदाधिकारी नहीं बन सकता। इस गतिरोध को दूर करने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ ने दोबारा चुनाव कराने का निर्णय लिया है। इससे उम्मीद जगी है कि संघ पर लगा प्रतिबंध जल्द ही हटा लिया जाएगा।

चार साल तक संभालेंगे महासचिव का दायित्व

राजीव मेहता फिलहाल चार साल तक भारतीय ओलंपिक संघ की कमान संभालेंगे। नियमों के मुताबिक अध्यक्ष पद पर लगातार 12 और महासचिव पद आठ साल तक कोई भी व्यक्ति काबिज रह सकता है। अगर उसे दोबारा पदाधिकारी बनना है तो चार साल का गैप देना होगा। साथ ही अधिकतम 70 वर्ष की उम्र तक पदाधिकारी बन सकते हैं।

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'जो जिम्मेदारी मिलने जा रही है उस पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा। साथ ही, प्रदेश के खेल विकास में निश्चित रूप से प्रगति आएगी और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी। इसके अलावा जिन फेडरेशनों पर प्रतिबंध लगा हुआ है उनसे जल्द से जल्द यह प्रतिबंध हटाने का प्रयास किया जाएगा।

राजीव मेहता, अध्यक्ष उत्तराखंड ओलंपिक संघ

राज्य बॉक्सिंग संघ ने दी बधाई

राजीव मेहता के भारतीय ओलंपिक संघ के महासचिव बनना तय होने पर उत्तराखंड बॉक्सिंग संघ ने हर्ष जताया है। संघ के महासचिव डॉ. धर्मेद्र भट्ट ने कहा कि चुनाव के बाद राजीव मेहता को सम्मानित किया जाएगा।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
उत्तराखंड के मनस्वी 17 साल में बने इसरो के वैज्ञानिक

भले ही हर साल उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में आ रही आपदा यहां के जनजीवन को प्रभावित कर रही हो, लेकिन ऐसी विपरीत परिस्थितियों में पहाड़ की प्रतिभाएं अपनी मेहनत और लगन के दम पर राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम दर्ज करा रही हैं।

रुद्रप्रयाग के दूरस्थ गांव जखोली (सिद्धसौड़) के मनस्वी भट्ट का चयन इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गनाइजेशन) में वैज्ञानिक पद के लिए हुआ है। मनस्वी की सफलता पर क्षेत्र वासियों ने हर्ष व्यक्त किया है।

17 वर्षीय मनस्वी का चयन इस वर्ष जेईई मेन परीक्षा के आधार पर इसरो के लिए हुआ है। वर्तमान में वह केरल के त्रिवेंद्रम में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।

मनस्वी के पिता राकेश भट्ट राजकीय प्राथमिक विद्यालय जखनोली में शिक्षक और माता ममता केंद्रीय विद्यालय ऋषिकेश में शिक्षिका के पद पर तैनात हैं।
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मनस्वी ने माता के साथ रहकर केंद्रीय विद्यालय से शिक्षा हासिल की है। वह अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को देते हैं। कहते हैं कि उनके प्रोत्साहन से यह मुकाम हासिल किया है।

मनस्वी को अपने गांव से बेहद लगाव है। वह कहते हैँ कि पहाड़ का जीवन कठिन जरूर है, लेकिन यही दुश्वारियां और विषम परिस्थतियां पहाड़वासियों को काम करने का हौसला भी देती हैं।

यहां बता दे कि जखोली ब्लाक के कंडाली गांव के अनुराग बुटोला भी पिछले साल इसरो में चयनित हो चुके हैं। सिलगढ़ विकास समिति के महामंत्री ओपी बहुगुणा कहते हैं कि भले ही जखोली के सरकारी विद्यालयों की हालत बहुत खराब है। इसके बावजूद यहां के बच्चे अपने दम पर सफलता हासिल कर रहे हैं। (amar ujala)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
अल्मोड़ा की हेमलता करेंगी एशियन गेम में शिरकत

उत्तर प्रदेश की बेस्ट बाक्सर रही अल्मोड़ा की हेमलता बगडवाल दक्षिण कोरिया के इंचियोन में 17वें एशियाई खेलों में इंडियन महिला मुक्केबाजी टीम में बतौर कोच हिस्सा लेंगी।

भारतीय महिला मुक्केबाजी टीम का चयन
मुक्केबाजी प्रतियोगिता 19 सितंबर से चार अक्तूबर तक होनी है। हेमलता इन दिनों एशियाई खेलों के लिए चयनित इंडियन महिला मुक्केबाजी टीम को दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में प्रशिक्षण दे रही हैं। दिल्ली से हेमलता ने फोन पर बताया कि एनआईएस पटियाला में चयन ट्रायल में भारतीय महिला मुक्केबाजी टीम का चयन कर लिया गया है।

इसमें एमसी मैरी काम (51 किग्रा), एल सरिता देवी (60 किग्रा), पूजा रानी (75 किग्रा) हैं। अल्मोड़ा स्टेडियम से खेल अपना करियर शुरू करने वाली लमगड़ा ब्लाक के दूरस्थ रणाऊं गांव निवासी चीफ फार्मेसिस्ट एमएस बगडवाल और कमला बगडवाल की बेटी हेमलता के नाम बाक्सिंग में कई कीर्तिमान हैं।

बतौर खिलाड़ी उन्होंने जहां यूपी की बेस्ट बॉक्सर का पुरस्कार जीता वहीं वर्ष 2004 में दिल्ली में हुए नेशनल बॉक्सिंग प्रतियोगिता में वह प्रथम रहीं थी। 2004 में जमशेदपुर में नेशनल बॅक्सिंग प्रतियोगिता में भाग लेने वाली उत्तराखंड टीम की कोच भी रहीं।

हेमलता ने बतौर टीम कोच वर्ष 2006 में दिल्ली में हुई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में इंडिया महिला बाक्सिंग टीम को विश्व में पहला स्थान दिलाया। 2007 में तुर्की, 2008 में एशिया, 2010 में चायना में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में उन्होंने महिला टीम को कई पदक दिलाए।

खासकर 2012 में मंगोलिया में हुई एशियन चैंपियनशिप में इंडियन टीम में शामिल स्टार मुक्केबाज एमसी मैरीकाम और एल सरिता देवी ने एक-एक स्वर्ण पदक, तीन सिल्वर मेडल जीते थे।

हेमलता कहती हैं उत्तराखंड में बाक्सिंग के काफी अच्छे खिलाड़ी हैं लेकिन खेल संसाधनों की कमी के कारण वह आगे नहीं बढ़ पाते हैं। वह मानती हैं कि राज्य में खेलों को बढ़ावा मिले, इसके लिए खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं मिलनी चाहिए। (source amar ujala)

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