दोस्तों इस टोपिक के अंतर्गत हम उत्तराखंड के उन प्रशिद्ध बजारों के बारें और बाजारों के फोटो यहाँ पर सीयर करेंगें, कहते है की कई बार किसी की ख़ूबसूरती ही उसके लिए अभिशाप बनजाती है, ऐसा ही एक बेहद डरावना सपना धीरे - धीरे सच हो रहा है उत्तराखंड के साथ, देवभूमि कहा जाने वाला उत्तराखंड धीरे धीरे बिजली भूमि कहा जाने लगा है,
उत्तराखंड सरकार ने अपने ही लोगों को ठगने के लिए कुछ ऐसी चाल चली की उन्नति के नाम पर जिन उत्तराखंड के लोगों ने आज तक वंहा की प्रकर्ति पेड़ो और पहाड़ो की रक्षा की उन्ही लोगों को आज उन्नति के नाम से हटाया जा रहा है,
बाँध बनाने के लिए लगातार पहाड़ो में विस्फोट करके पहाड़ के प्राकर्तिक पानी के स्रोतों के साथ छेड़ - छाड़ होने की वजह से वंहा की नदिया और पिने के पानी के स्रोतों सूख चुके है वंहा के लोगों को लगातार विस्थापित किया जा रहा है,
अब वो दीन दूर नहीं जब उत्तराखंड में वंहा के स्थानीय लोगों के बजाये सिर्फ पानी के बाँध ही दिखाई देंगे और उत्तराखण्ड जिसको लोग हिंदुस्तान का स्वर्ग कहते थे वंहा बर्फ से भरे पहाड़ो की जगह सिर्फ बाँध ही दिखाई देंगे न कोई बहते झरने न हरे भरे चीड और देवदार के पेड़. अगर आज हमने इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया तो उत्तराखण्ड सिर्फ एक उन्नति के नाम पर बना एक कुरूप खिलौना बन जाएगा !बांधों के बनने से कई बिख्यात बाजार भी इन डामों में समा गए है
यम यस जाखी