उत्तराखंड की सुंदर वादियों के साथ ही यहां की परंपरा और संस्कृति भी हमेशा से आकर्षण का केंद्र रही है। महिलाओं के पारंपरिक आभूषणों की तो बात ही क्या। बुलांक हो, हंसुली-धगुली, गुलोबंद, कंठा, पौंची हो या टिहरी की नथ, कारीगिरी देखने लायक होती है। मान्यता यह है कि गढ़वाल की रानी को एक बार हिमाचल के कांगड़ा की रानी की नथ का डिजाइन इतना पसंद आया कि यह नथ उत्तराखंड की हो गई। अब गढ़वाल की हर शादी और पारिवारिक आयोजनों में टिहरीनथ जरूर होती है। समय के साथ भले ही सोने के दाम आसमान छु रहे हों, पर गढ़वाल से लेकर पंजाब और दिल्ली में इस नथ के शौकीन लोगों की डिमांड बढ़ रही है।
अमर उजाला