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Utttarakhand Language & Literature - उत्तराखण्ड की भाषायें एवं साहित्य / Re: चरक संहिता का गढवाली अनुवाद , Garhwali Translation of Charak Samhita
« Last post by Bhishma Kukreti on June 23, 2022, 09:04:47 AM »अनुपान क गुण व हित
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चरक संहितौ सर्व प्रथम गढ़वळि अनुवाद
खंड - १ सूत्रस्थानम , 27th सत्ताइसवां अध्याय ( अन्नपान
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विधि अध्याय ) पद ३१७ बिटेन ३२३ तक
अनुवाद भाग - २४५
गढ़वाळिम सर्वाधिक पढ़े जण वळ एकमात्र लिख्वार-आचार्य भीष्म कुकरेती
s = आधी अ
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!!! म्यार गुरु श्री व बडाश्री स्व बलदेव प्रसाद कुकरेती तैं समर्पित !!!
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अनुपान (जु कै औषधि तै शक्ति प्रदान करद ) - जु पदार्थ आहार गुण का विपरीत ,अर जु धातु विरोधी नि होवन अपितु सास्म्य रखद होवन सि अनुपान प्रशस्त छन। यव: पुरुषीय अध्याय म ८४ प्रकारक आसव छन। जल पीण या नि विचार कोरी हितकारी जल पीण चयेंद। वायुदोष म स्निग्ध अर उष्ण , पित्तविकारम मधुर अर शीतल , कफ म रुखो अर उष्ण अर क्षय म रस उपयोगी च।
उपवास से , मार्ग चलण से , बिंडी या उच्च बुलण से , अति स्त्री संग वायु धुप , पंचकर्मों या अन्य कारणों से थकान म अनुपान दीण से अनुपान म दूध अमृत जन पथ्य व हितकारी हूंद। म्वाट शरीर वळ तैं पाणि म शाद सेवन उत्तम च। जौं तै मंदाग्नि ह्वावो , अनिद्रा ह्वावो , तंद्रा शोक , भय , कलम से थक्यां , मद्य मांस सेवन करण वळुं कुण मद्य अनुपान उपयोगी च।
अनुपान क गुण - अनुपान शरीर क क तर्पण /तृप्ति करद , शरीर अर जीवन तै पुष्ट करद , तेज बढ़ांद , खायुं भोजन से मिलिक शरीर म मिल जान्दो, खायें भोजन तै पचांद । मिल्युं अन्न तै तुड़द अर अलग अलग करद। शरीर म कोमलता लांद , आहार तै क्लिन्न करद , पचांद अर सुखपूर्वक पचैक, शीघ्र शरीर म पंहुचायी दीन्द। ३१७ -३२३।
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*संवैधानिक चेतावनी : चरक संहिता पौढ़ी थैला छाप वैद्य नि बणिन , अधिकृत वैद्य कु परामर्श अवश्य लीण
संदर्भ: कविराज अत्रिदेवजी गुप्त , भार्गव पुस्तकालय बनारस ,पृष्ठ ३७०
सर्वाधिकार@ भीष्म कुकरेती (जसपुर गढ़वाल ) 2022
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चरक संहितौ सर्व प्रथम गढ़वळि अनुवाद
खंड - १ सूत्रस्थानम , 27th सत्ताइसवां अध्याय ( अन्नपान
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विधि अध्याय ) पद ३१७ बिटेन ३२३ तक
अनुवाद भाग - २४५
गढ़वाळिम सर्वाधिक पढ़े जण वळ एकमात्र लिख्वार-आचार्य भीष्म कुकरेती
s = आधी अ
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!!! म्यार गुरु श्री व बडाश्री स्व बलदेव प्रसाद कुकरेती तैं समर्पित !!!
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अनुपान (जु कै औषधि तै शक्ति प्रदान करद ) - जु पदार्थ आहार गुण का विपरीत ,अर जु धातु विरोधी नि होवन अपितु सास्म्य रखद होवन सि अनुपान प्रशस्त छन। यव: पुरुषीय अध्याय म ८४ प्रकारक आसव छन। जल पीण या नि विचार कोरी हितकारी जल पीण चयेंद। वायुदोष म स्निग्ध अर उष्ण , पित्तविकारम मधुर अर शीतल , कफ म रुखो अर उष्ण अर क्षय म रस उपयोगी च।
उपवास से , मार्ग चलण से , बिंडी या उच्च बुलण से , अति स्त्री संग वायु धुप , पंचकर्मों या अन्य कारणों से थकान म अनुपान दीण से अनुपान म दूध अमृत जन पथ्य व हितकारी हूंद। म्वाट शरीर वळ तैं पाणि म शाद सेवन उत्तम च। जौं तै मंदाग्नि ह्वावो , अनिद्रा ह्वावो , तंद्रा शोक , भय , कलम से थक्यां , मद्य मांस सेवन करण वळुं कुण मद्य अनुपान उपयोगी च।
अनुपान क गुण - अनुपान शरीर क क तर्पण /तृप्ति करद , शरीर अर जीवन तै पुष्ट करद , तेज बढ़ांद , खायुं भोजन से मिलिक शरीर म मिल जान्दो, खायें भोजन तै पचांद । मिल्युं अन्न तै तुड़द अर अलग अलग करद। शरीर म कोमलता लांद , आहार तै क्लिन्न करद , पचांद अर सुखपूर्वक पचैक, शीघ्र शरीर म पंहुचायी दीन्द। ३१७ -३२३।
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*संवैधानिक चेतावनी : चरक संहिता पौढ़ी थैला छाप वैद्य नि बणिन , अधिकृत वैद्य कु परामर्श अवश्य लीण
संदर्भ: कविराज अत्रिदेवजी गुप्त , भार्गव पुस्तकालय बनारस ,पृष्ठ ३७०
सर्वाधिकार@ भीष्म कुकरेती (जसपुर गढ़वाल ) 2022