दिवारा यात्राओं का प्रबंधन एक मजबूत व्यवस्था से जुड़ा होता है। इसमें थोकदार (निर्णयाधिकारी), पंचपधान (क्रियान्वयन अधिकारी), लिखवार (लेखाधिकारी), गुरु (कर्मकांडकर्ता), पुजारी (पूजा व्यवस्था), पोतीदार (व्यवस्थाधिकारी) और जमाणधारी (देवता के वाहक) मुख्य पद होते हैं। इनमें पंचकोटी (देवता के गूठ गांव) से दिवारी (यात्रा भक्त) बारी-बारी से शामिल होते हैं।
रुद्रप्रयाग में दिवारा यात्राएं
इन दिनों फलेश्वर तुंगनाथ, रांस माई और भगवती कुमासैंण की दिवारा यात्राएं विभिन्न गांवों में मौजाज (कुशल क्षेम) कर रही हैं। इसके अतिरिक्त तुंगनाथ (मक्कूमठ), मद्महेश्वर, कालीमाई (कालीमठ), नंदा देवी (दैड़ा), मनणा माई जात यात्रा, अगस्त्य ऋषि यात्रा, साणेश्वर दिवारा, चंडिका दिवारा, कुमासैंण, दिवारा, सन्यासैण दिवारा और फेगू दुर्गा देवी दिवारा जनपद की प्रमुख दिवारा हैं।