श्रद्धा से नतमस्तक हुए सैकड़ों श्रद्धाल
अंगारों पर नाचे जाख देवता
गुप्तकाशी। केदारनाथ घाटी के प्रसिद्ध जाख मेले में शुक्रवार को जैसे ही धधकते अंगारों पर जाख देवता के पश्वा ने अग्निकुंड में प्रवेश कर नृत्य किया, वहां पहुंचे सैकड़ों श्रद्धालुओं के शीश श्रद्धा से झुक गए। इस दौरान पूरा मंदिर प्रांगण यक्षराज के जयकारों से गूंज उठा।
गुप्तकाशी के जाखधार में दो गते बैसाख को आयोजित होने वाले प्रसिद्ध जाख मेले के आयोजन को लेकर बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे थे। मेले से पूर्व कोठेड़ा के पुजारियों, देवशाल के वेदपाठियों और नारायणकोटि के सेवक-श्रद्धालुओं द्वारा विधि-विधान से अग्नि कुंड की रचना की जाती है। बैसाख संक्रांति को ही अग्नि प्रज्वलित की जाती है और अग्निकुंड की रात को चार पहर की पूजा की जाती है।
शुक्रवार को जैसे ही यक्षराज जाख देवता के पश्वा ने नारायणकोटि गांव से कोठेड़ा और देवशाल होते हुए अपराह्न पौने तीन बजे जाख मंदिर में बने अग्निकुंड में प्रवेश किया। वैसे ही पूरा परिसर यक्षराज के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। ढोल-दमांऊ की गर्जना और बाध्य यंत्रों की थाप पर जाख देवता धधकते अग्निकुंड अद्भुत नृत्य करते रहे। इसके बाद पावन राख को प्रसाद के रूप में श्रद्धालु अपने साथ ले गए।
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