Author Topic: Folk Gods Of Uttarakhand - उत्तराखण्ड के स्थानीय देवी-देवता  (Read 97790 times)

पंकज सिंह महर

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हनोल स्थित महासू देवता का मन्दिर


हेम पन्त

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Pankaj da kya ye wo hi mandir hai jisme kuchh samay pehle aag se nuksaan pahucha tha?

Devbhoomi,Uttarakhand

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  गाजे-बाजे के साथ निकली कलश यात्रा
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   चौखुटिया: विकासखंड अंतर्गत बसभीड़ा गांव में कलश स्थापना एवं विशेष पूजा-अर्चना के साथ ही बुधवार से श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन शुरू हो गया है। पारंपरिक वेशभूषा में सजकर सुबह गांव की महिलाओं ने क्षेत्र में भव्य कलश यात्रा निकाली तथा दोपहर बाद पंडाल में श्रद्घालुओं ने कथा का श्रवण किया।

सुबह पारंपरिक परिधान में सज कर आसपास की महिलायें कथा पंडाल स्थल बसभीड़ा में एकत्र हुई। करीब 9 बजे यहां से कलश यात्रा गाजे बाजे के साथ शुरू होकर बसभीड़ा बाजार, मिरई व नौगांव मुख्य सड़क मार्ग से होते हुए महाकालेश्वर शिव मंदिर पहुंची। इस दौरान सिरों में कलश लिये महिलायें देवी गीत व भजन गुनगुनाती हुई चल रही थी। बाद में कलश यात्रा 11 बजे वापस गांव में पहुंची।

कथा पंडाल में शंख ध्वनि व मंत्रोच्चारण के बीच कलश की विधिवत स्थापना, गणेश पूजन व अन्य पूजा-प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न हुए। दिन में 2 बजे से कथा वाचक पंडित बाला दत्त जोशी ने कथा का वाचन किया। इस दौरान उन्होंने देवी भागवत कथा का प्रारंभिक वृतांत सुनाया तथा कहा कि श्रद्धालुओं को पौराणिक कथाओं का अवश्य श्रवण करना चाहिये। इस मौके पर महिलाओं ने भजन-कीर्तन भी गाये। मुख्य यजमान के रूप में मोहन सिंह किरौला सपरिवार भागीदारी कर रहे हैं। शाम को सभी ने कथा का प्रसाद पाया।
   

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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AGNIKUND TEMPLE - DISTRICT BAGESHWAR
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Agnikund Temple is one of the famous temples situated in Bageshwar District of Uttaranchal. Ram Ghat Temple, Nileshwar Temple, Kukuda Mai Temple, Shitla-devi Temple, Trijugi Narayan Temple and Hanuman Temple are the nearby attractions.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Nagnath Temple
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Nagnath Temple is an ancient shrine located in Champawat, Uttaranchal. This beautiful temple is dedicated to Lord Shiva. It is a good example of traditional Kumaoni architecture.
Nagnath Temple was devastated by Rohilla and Gorkha invaders in the 18th century. Currently a double-storeyed wooden structure and a huge carved doorway remain

http://www.india9.com/i9show/Nagnath-Temple-31104.htm

Anil Arya / अनिल आर्य

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श्रद्धा से नतमस्तक हुए सैकड़ों श्रद्धाल
अंगारों पर नाचे जाख देवता
गुप्तकाशी। केदारनाथ घाटी के प्रसिद्ध जाख मेले में शुक्रवार को जैसे ही धधकते अंगारों पर जाख देवता के पश्वा ने अग्निकुंड में प्रवेश कर नृत्य किया, वहां पहुंचे सैकड़ों श्रद्धालुओं के शीश श्रद्धा से झुक गए। इस दौरान पूरा मंदिर प्रांगण यक्षराज के जयकारों से गूंज उठा।
गुप्तकाशी के जाखधार में दो गते बैसाख को आयोजित होने वाले प्रसिद्ध जाख मेले के आयोजन को लेकर बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे थे। मेले से पूर्व कोठेड़ा के पुजारियों, देवशाल के वेदपाठियों और नारायणकोटि के सेवक-श्रद्धालुओं द्वारा विधि-विधान से अग्नि कुंड की रचना की जाती है। बैसाख संक्रांति को ही अग्नि प्रज्वलित की जाती है और अग्निकुंड की रात को चार पहर की पूजा की जाती है।
शुक्रवार को जैसे ही यक्षराज जाख देवता के पश्वा ने नारायणकोटि गांव से कोठेड़ा और देवशाल होते हुए अपराह्न पौने तीन बजे जाख मंदिर में बने अग्निकुंड में प्रवेश किया। वैसे ही पूरा परिसर यक्षराज के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। ढोल-दमांऊ की गर्जना और बाध्य यंत्रों की थाप पर जाख देवता धधकते अग्निकुंड अद्भुत नृत्य करते रहे। इसके बाद पावन राख को प्रसाद के रूप में श्रद्धालु अपने साथ ले गए।
http://epaper.amarujala.com/svww_index.php
Jai Ho जाख देवता Ki __/\__

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Devbhoomi,Uttarakhand

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जहां जलती है अखंड धूनी

चंपावत। चंद एवं कत्यूरी राजवंशों की राजधानी रहे चंपावत जिले में यूं तो ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व के स्थलों की भरमार है। मगर जिले के सीमांत तल्लादेश क्षेत्र में स्थित गुरु गोरखनाथ धाम अनूठी मान्यताओं के कारण खासा प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि धाम में सतयुग से अखंड धूनी जलती आ रही है। इसी अखंड धूनी की राख को ही यहां आने वाले श्रद्धालुओं में बतौर प्रसाद वितरित किया जाता है। मान्यता है कि यहां पूजा-अर्चना करने वाले परिवारों में शिशुओं की कभी अकाल मौत नहीं होती है। गुरु गोरखनाथ धाम नाथ संप्रदाय के अनुयाइयों की आस्था का प्रमुख केंद्र भी है।


प्रतिवर्ष देश के विभिन्न क्षेत्रों से नाथ संप्रदाय के अनुयाइयों एवं साधु-संतों केअलावा पड़ोसी देश नेपाल से भी भारी तादात में श्रद्धालु धाम में शीश नवाते हैं। नाथ संप्रदाय के संस्थापक गुरु गोरखनाथ द्वारा स्थापित सीमांत कस्बे में स्थित गोरखनाथ धाम के बारे में मान्यता है कि यहां पर पूजा-अर्चना करने वाले परिवार में शिशुओं की अकाल मौत नहीं होती है। क्षेत्रवासियों के मुताबिक मंदिर में अखंड धूनी में बांज की लकड़ियों को पूरी शुद्धता से धोने के बाद जलाया जाता है।

बांज एवं देवदार के सघन वनों के बीच स्थित धाम की प्राकृतिक छटा बेहद निराली है। यहां से नेपाल सहित तराई क्षेत्र का लंबा-चौड़ा भूभाग दिखाई देता है। धाम में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को यहां की कुदरती सुंदरता अलौकिक दुनिया में ले जाती है।जिले में है धार्मिक स्थलों की भरमार

चंपावत। जिले में ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व के स्थलों की भरमार है, जिसमें उत्तर भारत का प्रमुख देवी शक्तिपीठ मां पूर्णागिरि दरबार के अलावा स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा से स्थापित अद्वैत आश्रम मायावती एवं श्यामलताल आश्रम, मीठे रीठे के लिए प्रसिद्ध गुरुद्वारा श्रीरीठासाहिब, पाषाण युद्ध (पत्थर मार युद्ध) के लिए विख्यात देवीधुरा वाराही मंदिर, न्याय के देवता गोरलदेव का मूल मंदिर, लोहाघाट में वाणासुर का किला, गुमदेश का ऐतिहासिक चमू मंदिर के अलावा अंग्रेजों की ओर से बसाया गया एबटमाउंट, मानेश्वर के समीप एकहथिया नौला, राजा बुंगा का किला तथा शिल्पकला के लिए विख्यात बालेश्वर मदिर समूह चंपावत की विशिष्टता को चार चांद लगाते प्रतीत होते हैं।

[/font]बांज की लकड़ी से जलाई जाती है धूनी

 

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