कठपतरिया देवता
ये पथ प्रदर्शक देवता होते हैं, पिथौरागढ़ में चार-पांच जगह और अल्मोड़ा में चितई मन्दिर से पहले इनका मन्दिर है, इनके मंदिर में पत्थर का टुकडा, लकड़ी का टुकडा या पत्ते चढ़ते हैं, उस मार्ग से जाने वाला हर व्यक्ति पत्थर का टुकडा, लकड़ी का टुकडा या पत्ता उन्हें अर्पित करता है। ऎसा करने पर माना जाता है कि वे आगे का रास्ता दिखायेंगे और हम सही-सलामत घर या अपने गंतव्य तक पहुंच पायेंगे।
इसका कारण यह भी रहा होगा कि पहले उत्तराखण्ड में काफी बर्फ पड़ती थी तो रास्ता नहीं दिख पाता था तो इस तरह से भगवान की स्थापना की गई इनके मन्दिर अक्सर चोटियों पर होते हैं, जिससे पैदल चलने वाला आदमी इस मन्दिर तक पहुंच जाता था और उस मन्दिर में पहुंचकर उसे आगे का गांव दिखाई पड़ जाता होगा।