घन्टाकर्ण (घ्न्ड्याल) की पूजा लगभग पूरे उत्त्राखन्ड मे होती है, घन्टाकर्ण को यक्छ माना जाता है , वह कुबेर के सेनापतियो मे से है, उन्होने अल्कापुरी तथा कैलाश पर रावण के आक्र्मण के समय उससे युद्द किया / वह शिव भक्त है, हरिवन्श पुराण की कथा के अनुसार वै शिव कि आग्या से ब्र्ह्म हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए विश्णु की उपासना मे लीन हो गया / घन्टाकर्ण मणीभद्र का एक मन्दिर बद्रीनाथ के पास माणा गाव मे है , टीह्ररी की क्वीली पट्टी मै लग्भग दो हजार मीटर उन्ची चोटी पर भी उनका एक मन्दिर है.