मिलने, मिलाने में भी मेले की अहम भूमिका
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गंगोलीहाट। सदियों से मां महाकाली के प्रांगण में लगने वाला हाट कालिका का मेला न केवल मंदिर दर्शन बल्कि मिलने, मिलाने का भी बेहतर मौका होता है। मेले के बहाने विवाहित लड़कियों की अपने मायके वालों से मुलाकात हो जाती है तो सालों बाद जान, पहचान वालों की भेंट कराने में मेले की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। अब चैत्र की महाष्टमी का यहां के लोगों को बेसब्री से इंतजार रहेगा।
सदियों पुराने मेले में भारी संख्या में जुटे लोगसुबह 4 बजे से ही महाकाली मंदिर पहुंचने लगे लोग
गंगोलीहाट। हाट कालिका के मंदिर में सदियों से शारदीय नवरात्रि की अष्टमी को लगते आ रहे मेले में मंगलवार को भारी संख्या में लोग जुटे। हजारों लोगों ने मां महाकाली की पूजा, अर्चना की। मंदिमेमध्य रात्रि तक कार्यक्रम चले।
चैत्र और आश्विन की अष्टमी का हाट कालिका के मंदिर में विशेष महत्व है। भगवती कालरात्रि की पूजा के लिए नियत इस दिन को महाष्टमी के नाम से जाना जाता है।
सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार मंगलवार को प्रात: 4 बजे से ही मंदिर में भक्तों का पहुंचना शुरू हो गया था।
उजाला होते-होते मंदिर में अपार भीड़ उमड़ पड़ी। मंदिर दर्शन के बाद परंपरा के अनुसार लोग गंगोलीहाट बाजार में एकत्र हुए। मेले में शिरकत कर घर के लिए खरीददारी की। मेले में बाहरी क्षेत्र से आए व्यापारियों ने दुकानें सजा रखी थीं। अपरान्ह 5 बजे तक मेले में खूब भीड़ रही।