Author Topic: Gopeshwar Temple Chamoli Uttarakhand-शिव ने यहीं किया कामदेव को भस्म  (Read 8712 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित प्राचीन मंदिर गोपीनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है. उत्तराखंड का यह मंदिर चारों धामों की यात्रा के दौरान देखा जा सकता है. गोपेश्वर आने वाला हर श्रद्धालु गोपीनाथ मंदिर जरूर जाता है. इस मंदिर में 24 द्वार हैं. हर द्वार गर्भगृह की ओर जाता है. धार्मिक मान्यता---गोपीनाथ को लेकर अनेक तरह की धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं. पुराणों में उल्लेख मिलता है कि यह स्थल भगवान शिव की तप स्थली थी. यहां पर भोले बाबा ने कई बार वर्षों तप किया था. कहा जाता है कि भगवान शिव ने कामदेव को इसी स्थान पर भस्म कर दिया था. (source saharalive.com)



M S Mehta


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पौराणिक कथा---मान्यता है कि सती के देह त्याग के बाद जब भगवान शिव तप में लीन हो गए थे तो ताड़कासुर नामक राक्षस ने तीनों लोकों में आतंक मचा रखा था. कोई भी उसे हरा नहीं पा रहा था. कठिन तपस्या करने के बाद उसे वरदान मिला था कि वह शिव पुत्र द्वारा ही मारा जा सकता है.


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ब्रह्मा द्वारा यह बताने पर कि शिव पुत्र ही उसे मार सकता है, सभी देवताओं ने भगवान शिव की आराधना शुरू कर दी परंतु शिव अपनी तपस्या से नहीं उठे. इस पर इंद्र ने कामदेव को यह कार्य सौंपा जिससे भगवान शिव तपस्या समाप्त कर देवी पार्वती से विवाह कर लें और उनसे उत्पन्न होने वाला पुत्र ताड़कासुर का वध कर सके.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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इंद्र का आदेश पाकर कामदेव शिव की तपस्या भंग करने पहुंचे. जब कामदेव ने भगवान शिव पर अपने काम बाण चलाये तो शिवजी की तपस्या भंग हो गई. 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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इससे क्रोधित होकर शिव ने कामदेव को मारने के लिए अपना त्रिशूल फेंका तो त्रिशूल जिस स्थान पर जा गड़ा, वहीं आज गोपीनाथ मंदिर प्रतिष्ठित है. दूसरी कथा के अनुसार, यहां पर राजा सगर का शासन था. एक गाय यहां प्रतिदिन आया करती थी तथा वहां एक स्थान पर उसके स्तन से स्वत: दूध गिरने लगता था.



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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Chamoli Gopeshwar is a town in Chamoli district in the state of Uttarakhand, India. It is the administrative headquarters of the Chamoli District of Uttarakhand in India. Located 1300 meters above sea level, it is famous for its weather (pleasant most of the year, but very cold in December and January) and its temples.

Gopeshwar is surrounded by four famous temples: Tungnath, Anusuya Devi, Rudranath, and Badrinath. The holy town of Kedarnath is also nearby.
A famous temple of Lord Shiva, now known as Gopinath Mandir, is situated here. A story tells of a king named Sagar (for whom a nearby village is named) who was there in ancient times. His cow always came to this place and gave his milk to a Shivling; one day Sagar saw it and he constructed a temple there.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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An ancient temple dedicated to Lord Shiva, located at Gopeshwar, in Uttarakhand. The temple stands out in its architectural proficiency; it is topped by a magnificent dome and the 30 sq ft sanctum sanctorum, which is accessible by 24 doors. The site is located 10 km north-east of Chamoli.

Devbhoomi,Uttarakhand

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गोपीनाथ मंदिर गोपेश्वर ग्राम में है जो अब गोपेश्वर कस्बे का भाग है।गोपीनाथ मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर अपने वास्तु के कारण अलग से पहचाना जाता है; इसका एक शीर्ष गुम्बद और ३० वर्ग फुट का गर्भगृह है, जिस तक २४ द्वारों से पहुँचा जा सकता है।


मंदिर के आसपास टूटी हुई मूर्तियों के अवशेष इस बात का संकेत करते हैं कि प्राचीन समय में यहाँ अन्य भी बहुत से मंदिर थे। मंदिर के आंगन में एक ५ मीटर ऊँचा त्रिशूल है, जो १२ वीं शताब्दी का है और अष्ट धातु का बना है। इस पर नेपाल के राजा अनेकमल्ल, जो १३ वीं शताब्दी में यहाँ शासन करता था, का गुणगान करते अभिलेख हैं। उत्तरकाल में देवनागरी में लिखे चार अभिलेखों में से तीन की गूढ़लिपि का पढ़ा जाना शेष है।


दन्तकथा है कि जब भगवान शिव ने कामदेव को मारने के लिए अपना त्रिशूल फेंका तो वह यहाँ गढ़ गया। त्रिशूल की धातु अभी भी सही स्थित में है जिस पर मौसम प्रभावहीन है और यह एक आश्वर्य है। यह माना जाता है कि शारिरिक बल से इस त्रिशुल को हिलाया भी नहीं जा सकता, जबकि यदि कोई सच्चा भक्त इसे छू भी ले तो इसमें कम्पन होने लगता है।

Devbhoomi,Uttarakhand

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इस मंदिर में शिवलिंग, परशुराम, भैरव जी की प्रतिमाएं विराजमान हैं. मंदिर के निर्माण में भव्यता का अंदाजा लगाया जा सकता है. मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित है मंदिर से कुछ दूरी पर वैतरणी नामक कुंड स्थापित है जिसके पवित्र जल में स्नान करने का विशेष महत्व है. सभी तीर्थ यात्री इस पवित्र स्थल के दर्शन प्राप्त करके परम सुख को पाते हैं

 

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