Author Topic: Mahakumbh-2010, Haridwar : महाकुम्भ-२०१०, हरिद्वार  (Read 152153 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
                            जरा जटा संवार लूं अपनी जटाओं को संवारता साधु।

                       

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
                                        रंग दे.. अपने शरीर पर रंग मलता साधु।

                                       

Kiran Rawat

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 135
  • Karma: +12/-0
Some more pics from Mahakumbh






Kiran Rawat

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 135
  • Karma: +12/-0

Kiran Rawat

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 135
  • Karma: +12/-0

Kiran Rawat

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 135
  • Karma: +12/-0
There are some people who are above all odd things & realistic world & have made there own world


Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
महाकुंभ- हरिद्वार सरीखा कुंभ कहीं नहीं


यूं तो कुंभपर्व प्रयाग, उज्जैन व नासिक में भी आयोजित होता है, लेकिन हरिद्वार कुंभ का अपना महत्व और इतिहास है। 5 अप्रैल 1915 को जब महात्मा गांधी बा के साथ हरिद्वार आए तो कुंभ के आयोजन को देखकर भाव-विभोर हो गए।

 उन्होंने अपने एक लेख में जिक्र किया कि 'मेरे लिए वह घड़ी धन्य थी, परंतु मैं तीर्थयात्रा की भावना से हरिद्वार नहीं गया था। पवित्रता आदि के लिए तीर्थ क्षेत्र में जाने का मोह मुझे कभी नहीं रहा। फिर भी मेरा ख्याल था कि सत्रह लाख यात्रियों में सभी पाखंडी नहीं हो सकते। यह कहा जाता था कि मेले में सत्रह लाख आदमी इकट्ठे हुए थे। मुझे इस विषय में कोई संदेह नहीं था कि इनमें असंख्य लोग पुण्य कमाने के लिए और अपने को शुद्ध करने के लिए आए थे'।

इसमें कोई संदेह नहीं कि कुंभ अनेकता में एकता के दर्शन कराता है। देश के विभिन्न प्रांतों से विविध भाषा-भाषी आध्यात्मिक उन्नयन के लिए इकट्ठे होते हैं तो राष्ट्रीय एकता के तार जुड़ते हैं।

यह ठीक है कि नासिक, उज्जैन, प्रयाग व हरिद्वार भले ही भारत की भौगोलिक एकता का परिचय न दे पाते हों, लेकिन इन स्थानों पर कुंभपर्व के दौरान एकत्र होने वाले श्रद्धालु अपने साथ अपनी-अपनी भूमि, तीर्थ, समाज व्यवस्था और सांस्कृतिक चेतना के माध्यम से विराट समानता के दर्शन अवश्य करा देते हैं। आचार्य शंकर और स्वामी रामानंदाचार्य ने संगठन और सामाजिक रूपांतरण के क्षेत्र में मध्यकाल में जो विराट कार्यक्रम बनाया, उनके अनुयायियों ने कुंभपर्व पर अपनी संपूर्ण शक्ति के साथ उसे व्यावहारिक रूप प्रदान किया।

 शाही स्नान की शोभायात्राओं में उन्होंने भौतिक एवं आध्यात्मिक वैभव का प्रदर्शन कर आक्रांता शासकों से भयभीत हिंदू समाज को नैतिक एवं शारीरिक सुरक्षा प्रदान की। 1796 में पटियाला के राजा साहेब सिंह ने दस हजार घुड़सवारों के साथ शस्त्रबल पर सिख साधुओं को कुंभ स्नान का अधिकार दिलाया। दूसरी ओर पेशवाओं ने नागा संन्यासियों को उनके शस्त्र एवं शास्त्र पर समान अधिकार के कारण भरपूर सम्मान दिया। देखा जाए तो दुनिया के किसी भी मेले में इतने लोग एकत्र नहीं होते, जितने कि कुंभ में।

 मध्यकाल में संचार साधनों की व्यापक उपलब्धता न होने पर भी साधु-संतों की प्रेरणा से अपार जनसमूह एकत्र होता रहा और यहीं से समूचे राष्ट्र को उपयोगी संदेश दिए जाते रहे। भारत आने वाले विदेशी यात्रियों ह्वेनसांग (634 ईस्वी), शर्फुरुद्दीन (1398 ईस्वी), थॉमस कायरट (1608 ईस्वी), थॉमस डेनियल व विलियम डेनियल (1789 ईस्वी), थॉमस हार्डविक व डा.हंटर (1796 ईस्वी), विन्सेंट रेपर (1808 ईस्वी) व कैप्टन थॉमस स्किनर (1830 ईस्वी) आदि ने अपने संस्मरणों में हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ का उल्लेख किया है। राजा रामदत्त लिखते हैं- 'भारतीय संस्कृति के मूल में जो परम सत्य निहित है, कुंभ मेला के मूल में भी उसी सत्य के दर्शन होते हैं। इसी कारण कुंभ इतने स्थिर और निश्चित रूप से चला आ रहा है।

 यह सच है कि कुंभ के लिए भीड़ जुटाने का कोई उद्यम नहीं होता, विज्ञापन की जरूरत नहीं पड़ती, निमंत्रण नहीं फिर भी धनी-निर्धन, छोटे-बड़े विरक्त और गृहस्थ लाखों की संख्या में 'हर-हर गंगे' का जयघोष करते हुए पर्व पर इकट्ठे हो जाते हैं'।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
SOME MORE MEMORIES OF MAHKUMBH 2010 HARIDWAR


Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22