महाकुंभ: एक हजार से अधिक नागाओं को संन्यास दीक्षा
हरिद्वार। बिरला घाट के गंगा तट पर बड़ी तादाद में साधुओं की जमात जुटी हुई थी। करीब तीन दर्जन से अधिक नाई अपनी-अपनी जगह तलाश रहे थे। अखाड़े से पहुंचे साधु उनके सामने एक-एक कर पहुंच रहे थे। उनका मुंडन संस्कार किया जा रहा था।
फिर सभी एक साथ गंगा में स्नान करने पहुंचे। ये सब नागा साधु बनने के लिए जुटे थे। प्रक्रिया आरंभ होते ही नागा संन्यासियों का सबसे शक्तिशाली अखाड़ा जूना शुक्रवार को और मजबूत हो गया। जूना अखाड़े के 1000 से अधिक नागा साधुओं को संन्यास दीक्षा दी गई। नागा साधुओं ने पिंडदान सहित अन्य संस्कारों को विधि विधान से पूरा किया। शनिवार की सुबह तक नागा बनने की प्रक्रिया जारी रहेगी।
जूना अखाड़े की चार मढि़यां जिनमें चार, सोलह, तेरह और चौदह शामिल हैं, के साधु सुबह करीब आठ बजे बिरला घाट के सामने गंगा तट पर एकत्रित हुए। नागा बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। हजार से अधिक साधु नागा बनने की जमात में शामिल हुए। नागा साधुओं के संस्कार करने को करीब चालीस नाईयों की व्यवस्था की गई थी।
महापुरुष से नागा बनाने के दौरान गंगा तट पर सभी का मुंडन संस्कार हुआ। फिर विजया होम का आयोजन किया गया। नागा साधुओं ने पिंडदान किया। इनमें 21 पीढि़यो का पिंडदान भी शामिल था। पिंडदान सहित अन्य विधि-विधान के उपरांत उन्होंने गंगा में करीब 108 डुबकी लगाईं। यहीं पर दंड और कोपीन धारण कराया गया। मुंडन और गंगा में डुबकी लगाने के बाद वे जूना अखाड़े में लगी धर्मध्वजा की चारों तनी पर पहुंचे और यहीं पर बैठ गए।
ऊं नम: शिवाय का सभी जाप करने लगे। अखाड़ों की ओर से जानकारी दी गई कि रात्रि में गुरु के पास सभी पहुंचेंगे। चोटी काटी जाएगी। करीब ढाई बजे रात में आचार्य महामंडलेश्वर दीक्षा देंगे। दीक्षा लेने के उपरांत तड़के मंत्र लेने की प्रक्रिया होगी। प्रक्रिया के बाद करीब 1000 से अधिक नागाओं की संन्यास दीक्षा पूरी हो जाएगी। कुछ विशेष चीजें रह जाती हैं जो शाही जुलूस निकलने से पहले प्रात:काल पूरी की जाती हैं।