श्रोत : दैनिक जागरण
हरिद्वार । पहाड़ में विवाह समेत तमाम मांगलिक आयोजनों में पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनें अब कम ही सुनाई देती हैं। लोक विरासत के संवाहक ये लोक वाद्य अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन महाकुंभ पहाड़ की लोक विरासत का ऐसा आईना बना हुआ है, जिसमें इसके साक्षात दर्शन किए जा सकते हैं। सूबे के संस्कृति विभाग की ओर से महाकुंभ में ऐसी ही प्रदर्शनी लगाई गई है।
संस्कृति विभाग की यह प्रदर्शनी लोक विरासत को प्रचारित करने में कितनी सफल होती है, यह तो वक्त ही तय करेगा, लेकिन इतना जरूर है कि यह एक सार्थक पहल है, जिसकी जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। देश-दुनिया के लोग इसे स्मृतियों में संजोकर ले जाएंगे, तो उत्तराखंडवासी प्रदर्शनी के माध्यम से लोक वाद्य यंत्रों, पारंपरिक आभूषणों व ऐतिहासिक मंदिरों से वाकिफ होंगे। खासतौर पर डीजे सिस्टम में ढला युवा वर्ग भी जान पाएगा कि ढोल-दमाऊ, डौंर थाली जैसे लोकवाद्य क्या होते हैं।
गौरीशंकर द्वीप में लगी इस प्रदर्शनी में पहाड़ के लोक वाद्यों को एक श्रृंखला में पिरोया गया है। इसमें सबसे पहले ढोल-दमाऊ है और फिर हुडका, रणसिंगा, मशकबीन, डौंर-थाली आदि। इनके अलावा अन्य कई लोक वाद्य भी यहां देखे जा सकते हैं।
विभाग की मंशा यह है कि पहाड़ की सांस्कृतिक विरासत के प्रदर्शनी के माध्यम से प्रत्यक्ष दर्शन हों। लिहाजा पारंपरिक आभूषणों को भी क्रमबद्ध रूप से संजोए गया है। पारंपरिक नथ, गुलुबंद, बुलाक, हंसुली, धगुला, तिमणी, झंवरी समेत अन्य पारंपरिक आभूषण मौजूद हैं। इसके अलावा पारंपरिक पोशाक छलिया, कुर्ता, टोपी, तिकबंदा आदि को भी प्रदर्शित किया गया है।
प्रदर्शनी में पहाड़ के ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों को भी तस्वीरों के माध्यम से प्रचारित करने का प्रयास किया जा रहा है। ग्यारहवीं सदी में बने टिहरी के राजराजेश्वरी मंदिर, गोपेश्वर के सिद्धेश्वर मंदिर, तेरहवीं सदी में निर्मित पौड़ी के देवल मंदिर की तस्वीरें प्रदर्शनी में हैं। इसी तरह चंपावत के राजा भारती का ताम्रपत्र, प्रागैतिहासिक काल का अल्मोड़ा का शैलाश्रे मंदिर, पिथौरागढ़ का एक हथ्या देव मंदिर आदि के दर्शन भी प्रदर्शनी में किए जा सकते हैं।
प्रदर्शनी में लोक विरासत के दर्शनों को लोगों की भीड़ उमड़ रही है। इस संबंध में संस्कृति विभाग की निदेशक बीना भट्ट बताती हैं कि प्रदर्शनी के जरिए पहाड़ की लोक विरासत को प्रचारित व जीवित रखने का प्रयास किया जा रहा है।