Author Topic: Shri 1008 Mool Narayan Story - भगवान् मूल नारायण (नंदा देवी के भतीजे) की कथा  (Read 124353 times)


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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I am at Mool Narayan Bhagan Temple at Jarti village.
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Mool Narayan Temple Shikhar, Bageshwar. Uttarakhand.



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shikhar view from Kapkot.Photo by Vinod Gariya.


विनोद सिंह गढ़िया

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पोथिंग (कपकोट) से शिखर का दृश्य


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is the temple of Nauling Devta at Sangaad village.




एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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A big fair held on Ashtami & Nawami (Ashauj Navratri) at Sangarh Nauling Devta Temple.. People from Bageshwar and Pithorgarh District come here.

People from village Sangarh & Basti observe fast and live in this temple for 9 days.


विनोद सिंह गढ़िया

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*श्रद्धा का केंद्र है नौलिंग देव का मंदिर*
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[justify]सनगाड़ कपकोट गांव स्थित श्री 1008 नौलिंग देव का मंदिर क्षेत्र के लोगों का अपार श्रद्धा का केंद्र है। आश्विन एवं चैत्र महीने के नवरात्र पर मंदिर में जोरदार मेला लगता है। लोगों का विश्वास है पुत्र के लिए यदि कोई महिला मंदिर में व्रत रखकर 24 घंटे का अखंड दीपक जलाती है तो नौलिंग देव प्रसन्न होकर उसकी मनोकामना पूरी कर देते हैं। नौलिंग देव के डंगरिए अवतरित होकर भक्तों का नाम-पता बताकर उन्हें पास बुलाते हैं और उनके कष्ट हरते हैं।

जिला मुख्यालय से करीब 65 किमी दूर सनगाड़ गांव में श्री 1008 नौलिंग देव का भव्य एवं आकर्षक मंदिर है। जनश्रुति के अनुसार सदियाें पूर्व शिखरवासी मूलनारायण भगवान की पत्नी माणावती से बंजैण देवता का जन्म हुआ। बंजैण की माता स्नान के लिए पचार गांव स्थित नौले और धोबी घाट गई। स्नान के बाद उन्हें नौले से एक सुंदर हंसता खेलता नन्हा सा बालक मिला। माणावती ने सोचा वह बगैर बंजैण के यहां आई थी, लेकिन वह यहां कैसे पहुंच गया। बालक को गोद में रखकर वह शिखर पर्वत चली गई। वहां बंजैण देवता डलिया में किलकारी मार रहे थे। मूलनारायण एवं माणावती ने दोनों बालकों को अपनाकर उनका लालन-पालन किया। नौले से जन्म लेने से उसका नाम नौलिंग रखा गया। बाद में दोनों को विद्याध्ययन के लिए काशी भेज दिया गया, इसके बाद मूलनारायण ने बंजैण को भनार और नौलिंग को सनगाड़ गांव भेज दिया। तब सनगाड़ गांव में सनगड़िया नामक राक्षस का आतंक था। वह नरबलि लेता था। नौलिंग तथा राक्षस में लड़ाई हो गई। नौलिंग ने उसे मौत के घाट उतार दिया। इस राक्षस को आज भी लोग खिचड़ी अर्पित करते हैं। मान्यता है नौलिंग देवता लोगों को इच्छित वर देते हैं। वहीं, फसल को ओलावृष्टि से बचाते हैं तथा लोगों की रक्षा करते हैं।

पहले मंदिर बहुत छोटा था। एक दशक पूर्व उदासीन अखाड़ा के ब्रह्मलीन बद्रीनारायण दास जी के सानिध्य में भव्य तथा आकर्षक मंदिर बनाया गया है। मंदिर में एक हजार लोग एक साथ बैठकर पूजा कर सकते हैं। मंदिर के नाम से सड़क भी स्वीकृत है। यहां पर्यटन, विधायक निधि एवं अन्य मदों से अनेक सुंदरीकरण कार्य हुए हैं। नई धर्मशाला तथा फील्ड का निर्माण भी हुआ है। लोग मनौती पूरी होने पर यहां बकरियों की बलि देते हैं, जबकि कई लोग चांदी के छत्र घंटे तथा घड़ियाल अर्पित करते हैं। नवरात्र यहां आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। अष्टमी और नवरात्रि पर लगने वाले मेले में तो मेलार्थियों की भीड़ उमड़ पड़ती है।



साभार : अमर उजाला

 

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