Bungee Jumping in Mohan Chatti, Uttarakhand..
रोमांचक खेल बंजी जंपिंग का आनन्द उठाने की व्यवस्था हमारे देश में पहले भी थी। कुछ संस्थाएं क्रेन की सहायता से देश के तमाम प्रमुख शहरों में इस खेल का आयोजन करती रही हैं, लेकिन देश के उत्तराखंड राज्य में मोदनचट्टी उभरा है दुस्साहसी रोमांचक खेलों के गौरवशाली गढ़ के रूप में। यहां 83 मीटर की ऊंचाई से जंपिंग के लिए पहला फिक्स प्लेटफॉर्म बना है। अगर है हिम्मत तो कर लीजिए ‘जंपइन हाइट्स’ की यात्रा का इंतजाम! हाल ही में बंजी जंपिंग की यात्रा कर लौटी दामिनी की रिपोर्ट।
‘हैव द गट्स?’ यानी है आप में वह दम! यह पंच लाइन है ‘जंपइन हाइट्स’ की। मगर मैं 83 मीटर की ऊंचाई पर, खासतौर से ‘बंजी जंपिंग’ के लिए ही बने और भारत ही नहीं, बल्कि पूरे एशिया में पहली बार बने उस प्लेटफॉर्म से जंप के लिए ‘एच’ पाइंट की तरफ बढ़ते हुए कुछ सोच रही थी। ऐसा क्या था वहां, जो मुझे एक ही सप्ताह के भीतर तीसरी बार बंजी जंपिंग के लिए जंपइन हाइट्स तक खींच ले चला गया? इस तीसरी यात्रा और छठी जंप द्वारा मैं क्या सिर्फ दम-खम साबित करने वाले प्रमाणपत्र को पाने के लिए यहां हूं?
प्लेटफॉर्म के अंतिम छोर पर पहुंचने पर जंप मास्टर टोबी और जैक ने आश्चर्यभरी मुस्कान से मेरा स्वागत किया। खासतौर पर न्यूजीलैंड से बुलाए गए दुनिया के सबसे दुस्साहसी रोमांचक खेलों के इन महारथियों ने जब आगे बढ़ कर गले से लगाते हुए कहा, ‘वेलकम बैक द रियल जंपिंग क्वीन!’ तो मन में कहीं गहरे अपने ही प्रति सम्मान की एक हल्की-सी लहर महसूस हुई। सिर्फ एक बार रबर कॉर्ड (रस्सी) के सहारे कूदने की तैयारी करते हुए मैं बार-बार अब भी यही सोचे जा रही थी कि क्यों हूं मैं यहां। इसके बाद हवा में 83 मीटर की ऊंचाई पर, पंजों के सहारे प्लेटफॉर्म पर टिकी और एड़ी वाला पिछला हिस्सा हवा में थामे मैंने आहिस्ता-से अपने जंप मास्टर द्वारा सहारे के लिए थामे हाथों को छुड़ा लिया। ऊपर गहरे नीले लगते आसमान, मजबूत चट्टानी पहाड़, उस पर बिखरी हरियाली से होते हुए नीचे घाटी में बहती नदी पर दौड़ गई, जिसमें मुझे कूदना था। फिर कब यह सभी विलुप्त होकर मेरे शांत-स्थिर मन में उतर गए, कब मेरी बांहें उसी अवस्था में खुल कर फैल गईं, मुझे नहीं पता। यही वह क्षण था, जिसमें मैं पूरी तरह से उपस्थित भी थी और लोप भी हो चुकी थी। किसी समाधि, किसी ध्यान जैसा वह एक क्षण!
इसी अवस्था में जीते पलों में मैंने अपने आपको बादलों की गोद में बूंद-सी गिरती भारहीन, धरती की गोद में आहिस्ता से छोड़ दिया। यह सिर्फ उन पलों में सिमटा रह गया। उस लचीली रस्सी पर झटके खाते मैं अपने शरीर को हवा में मोड़ती, उछालती, घुमाती नाच रही थी। यह सम्मोहन टूटा ऊपर प्लेटफॉर्म से सीटी बजा कर प्रशंसा में हाथ हिलाते अपने जंप मास्टर टोबी की झलक और नीचे जंपइन हाइट्स के क्रू-मैंबर्स की जोरदार तालियों, सीटियों और हर्ष-ध्वनि से, जो सभी-के-सभी मेरे स्वागत के लिए नीचे नदी के किनारे आ जुटे थे।
जब क्रू-मैंबर रूपा ने मेरे हवा में झूलते शरीर को बैंबू-सपोर्ट के सहारे नदी के किनारे खींच कर मेरे सेफ्टी-कॉर्ड खोले और गले लगा कर मुस्कुराते हुए ‘क्या अब भी आपको विनर बैच (सम्मान सूचक चिन्ह) लगाने की जरूरत है?’ तो जवाब में मेरे चेहरे पर शांत मुस्कराहट थी। सभी क्रू-मैंबर्स से गले मिलते मैं उस नदी के किनारे पर दूर जाकर एकांत में बैठ गई। शांत! निशब्द! स्थिर! यह रोमांच की छलांग नहीं, बल्कि हौसलों की उड़ान थी।
वहीं ठहर जाने की लालसा को रोक, मैंने उस पार कदम बढ़ाए, जो ऊपर जंपइन हाइट्स के कार्यालय तक ले जाता है। नदी को पार करके, ट्रेकिंग करके ऊपर आते हुए भी कई अनुभव बाकी थे। कदम-कदम पर आसपास की हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता पांव बांध देती थी। ट्रेकिंग के रास्ते में कुछ ऊंचाई पर पीले रंग की बैंच लगी हुई हैं। बैंच पर बैठ मैं सोच ही रही थी कि अचानक कहीं से निकला गीदड़ मुझे देख उल्टे पांव दौड़ गया। दम साधे मैं अभी संयत हो ही रही थी कि दूसरी ओर से पेड़ों पर कूदता-फांदता बंदरों का पूरा झुंड ही पास से गुजर गया तेजी से, बिना डरे, बिना डराए।
मुझे अपने जीवन का अब तक का सबसे दुर्लभ दृश्य भी दिखा दिया, पहली बार पत्थरों पर देर तक, दूर तक मंडराती तितलियों को देखने का। यह महसूस करने का कि खुशबू सिर्फ फूलों में ही नहीं, प्रदूषण मुक्त मिट्टी और पत्थरों में भी हो सकती है।
कर्नल मनोज और पूर्व सैन्य अधिकारी राहुल ने बंजी जंपिंग प्लेटफॉर्म बना कर जैसे एक्सट्रीम एडवेंचर गेम्स के लिए पहला फिक्स मोहनचट्टी को पर्यटन के एक नए आकर्षण के साथ देश का गौरव बढ़ाते हुए पूरे एशिया के नक्शे में खास दर्जा दिला दिया है।
दुनियाभर में इस तरह के खेलों में अपनी पहचान रखने वाले देश, न्यूजीलैंड से डेविड अलार्डेस ने इन बंजी प्लेटफॉर्म के तकनीकी व सुरक्षा इंतजामों के लिए ख्यातिप्राप्त विश्वस्तरीय टेक्नीशियन, ऑपरेटर्स और जंप मास्टर्स की टीम बुलाई। प्लेटफॉर्म के डिजाइन से लेकर इस केंद्र की सुविधाएं, रखरखाव, क्रू-मैंबर्स के व्यवहार, विशेषता को विश्व स्तर का बनाने का श्रेय डेविड अलार्डेस को जाता है।
एक्सट्रीम एडवेंचर गेम्स जोन जंपइन हाइट्स सिर्फ रोमांचक खेलों का गढ़ नहीं, एक बड़ी चुनौती है उस उबलते नौजवान-लापरवाह खून के लिए, जो महानगर की सड़कों पर बाइक दौड़ाते, जिग-जैक ड्राइविंग करके अपनी और दूसरों की जान खतरे में डालते हैं। बिना हेलमेट या सीट बेल्ट लगाए ड्राइविंग करने वाले, ठीक हरी बत्ती पर लापरवाही से सड़क पार करने में ही साहस समझने वाले लोगों को चुनौती देता है जंपइन हाइट्स। यहां प्रमाणपत्र और बैच बिकते नहीं हैं, सिर्फ सफलतापूर्वक की गई जंप के बाद ही मिलते हैं। वह भी जांबाज पहाड़ी हसीना रूपा के हाथों। अगर दम-खम है तो आइए, रोमांच की छलांग और हौसलों की उड़ान के लिए पहाड़ी गांव मोहनचट्टी के जंपइन हाइट्स पर।
कब जाएं मानसून और बर्फबारी के समय को छोड़ कर यहां पूरे वर्ष जाया जा सकता है। यहां साप्ताहिक अवकाश वृहस्पतिवार को होता है।
कैसे पहुंचें वायु मार्ग से : यहां का निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट देहरादून में स्थित है। इस हवाई अड्डे से मोहनचट्टी की दूरी लगभग 50 किलोमीटर है। दिल्ली से यहां के लिए नियमित उड़ानें हैं।
रेल मार्ग से : हरिद्वार यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन है। हरिद्वार से भी मोहनचट्टी की दूरी लगभग 50 किलोमीटर ही है।
सड़क मार्ग से : दिल्ली से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मोहनचट्टी पहुंचने के लिए पहले ऋषिकेश पहुंचना होता है। वहां से लक्ष्मण झूला के पास, तपोवन स्थित बिड़ला गेस्ट हाउस के बाहर से सीधे जंपइन हाइट्स की स्पेशल बंजी कोच गाड़ी आपको गंतव्य तक ले जाएगी। पूर्णत: वातानुकूलित यह कोच सुबह 9.30 से दोपहर 2 बजे तक हर घंटे में उपलब्ध होती है। इसका चार्ज आना-जाना मिला कर लगभग दो सौ रुपये आता है।
Source -
http://www.livehindustan.com/news/lifestyle/lifestylenews/50-50-156120.html