बर्फ की चादर ओढ़े चोपता नजरों से है ओझल पर्यटक स्थलों को विकसित कर पर्यटन को रोजगार से जोड़ने के भले ही प्रदेश सरकार लाख दावे कर रही हो, लेकिन इसकी स्याह हकीकत यह है कि मिनी स्विटजरलैंड यानि चोपता जैसे पर्यटक स्थल को जोड़ने वाले मोटर मार्ग कई दिन से बंद है। वहीं, चोपता-दुगलबिट्टा में बर्फबारी होने से इस क्षेत्र को जाने वाला मोटरमार्ग अभी तक बंद है। पर्यटक बमुश्किल मक्कूबैंड से दुगलबिट्टा तक ही जा रहे हैं। जबकि यहां से चोपता सात किमी दूर है। ऐसे में पर्यटक चोपता का दीदार किए बगैर ही लौट रहे हैं।
जनपद चमोली व रुद्रप्रयाग की सीमा के लगभग बीच में स्थित पर्यटक स्थल चोपता अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। बसन्त ऋतु में चोपता के मनोहारी दृश्य व वर्षा ऋतु में मखमली बुग्याल जहां प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करती है, वही सर्दी में बर्फ की चादर ओढे़ बुग्याल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहते हैं। शायद सही वजह रही कि प्रकृति प्रेमियों ने चोपता को मिनी स्विटजरलैंड का दर्जा दे डाला। इतना ही नहीं चोपता मनोहारी पर्यटक स्थल तो है ही इसके अलावा तीर्थस्थल है। पंचकेदारों में से एक केदार भगवान तुंगनाथ का भव्य मंदिर भी चोपता के समीप है।
गोपेश्वर जिला मुख्यालय से चोपता को जोड़ने वाला मोटर मार्ग दो सप्ताह से सिर्फ बर्फबारी होने के कारण बंद है। गौर करने वाली बात यह है कि प्रदेश सरकार हिमाचल की तर्ज पर प्रदेश को पर्यटन के क्षेत्र में विकसित करने की बात तो कर रही है, लेकिन इसे अमली जामा कब और कैसे पहनाया जाए, शायद इसकी परवाह किसी को नहीं। यही वजह है कि हिमाचल में बर्फ से ढके पर्यटक स्थलों पर इन दिनों चहलकदमी है, वहीं उत्तराखंड स्थल अभी तक विश्व मानचित्र में जगह नहीं बना पाए हैं।
Dainik jagran