दोस्तों चोपता के बारे में आपने काफी कुछ सुना होगा, चोपता तुंगनाथ को उत्तराखंड छोटा स्विट्जर्लेंड भी कहा जाता है !
यूं तो गढवाल की वादियों में कई छोटे-बडे बुग्याल पाये जाते हैं, लेकिन लोगों के बीच जो सबसे ज्यादा मशहूर हैं उनमें बेदनी बुग्याल, पवालीकांठा, चोपता, औली, गुरसों, बंशीनारायण और हर की दून प्रमुख हैं।
इन बुग्यालों में रतनजोत, कलंक, वज्रदंती, अतीष, हत्थाजडी जैसी कई बेशकीमती औषधि युक्त जडी-बू्टियां भी पाई जाती हैं। इसके साथ-साथ हिमालयी भेड, हिरन, मोनाल, कस्तूरी मृग और धोरड जैसे जानवर भी देखे जा सकते हैं। पंचकेदार यानि केदारनाथ, कल्पेश्वर, मदमहेश्वर, तुंगनाथ और रुद्रनाथ जाने के रास्ते पर कई बुग्याल पडते हैं। प्रसिद्ध बेदनी बुग्याल रुपकुंड जाने के रास्ते पर पडता है।
3354 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस बुग्याल तक पहुंचने के लिए के लिए आपको ऋषिकेश से कर्णप्रयाग, ग्वालदम, मंदोली होते हुए वाण पहुंचना होगा। वाण से घने जंगलों के बीच गुजरते हुए करीब 10 किलोमीटर की चढाई के बाद आप बेदनी के सौंदर्य का लुत्फ ले सकते हैं।
गढवाल का स्विट्जरलैंड कहा जाने वाला चोपता बुग्याल 2900 मीटर की ऊंचाई पर गोपेश्वर-ऊखीमठ-केदारनाथ मार्ग पर स्थित है। चोपता से हिमालय की चोटियों के समीपता से दर्शन किए जा सकते हैं। चोपता से ही आठ किलोमीटर की दूरी पर दुगलबिठ्ठा नामक बुग्याल है।
यहां कोई भी पर्यटक आसानी से पहुंच सकता है। चमोली जिले के जोशीमठ से 12 किलोमीटर की दूरी पर 2600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है औली बुग्याल। साहसिक खेल स्कीइंग का ये एक बडा सेंटर है।
सर्दियों में यहां के ढलानों पर स्कीइंग चलती हैं और गर्मियों में यहां खिले तरह-तरह के फूल सैलानियों के आकर्षण का केंद्र होते हैं। औली से ही 15 किलोमीटर की दूरी पर एक और आकर्षक बुग्याल है क्वारी।
यह भी अत्यंत दर्शनीय बुग्याल है। चमोली और बागेश्वर के सीमा से लगा बगजी बुग्याल भी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है। समुद्रतल से 12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह बुग्याल करीब चार किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।