जय शिव शंकर!
उत्तराखंड में कई जगह पौराणिक गुफाये है जैसे पातळ भुवनेश्वर (पिथौरागढ़) और अन्य जगहों पर! उत्तराखंड सरकार को इन गुफाओ के बार में अत्यधिक प्रचार प्रसार करना चाहिए ताकि पर्यटक देश विदेश से यहाँ घूमने आये! जो पर्यटन की दृष्टि से भी बहुत अच्छा होगा!
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बागेश्वर। कांडा के समीप जोगाबाड़ी की खूबसूरत प्राकृतिक गुफा पर्यटकों की नजरों से ओझल है। इसके अंदर बहता सुंदर झरना, छोटी सी झील और वहां बनी मनमोहक आकृतियां प्रकृति की अनूठी धरोहरें हैं। इसके विकास के लिए पर्यटन विभाग ने अब 45 लाख का प्रस्ताव भेजा है।
कांडा बाजार से लगभग तीन किमी नीचे जोगाबाड़ी की इस गुफा का प्रवेश द्वार अत्यधिक संकरा होने के कारण पेट के बल घिसटकर जाना पड़ता है, किंतु अंदर की दुनिया विलक्षण है। गुफा की लंबाई लगभग दस मीटर, चौड़ाई छह मीटर तथा ऊंचाई तकरीबन सात फीट है। गुफा के अंदरूनी छोर से एक झरना बहता है। जिससे गुफा हमेशा ही झील की तरह लबालब भरी रहती है। गर्मियों में भी यहां दो फीट तक पानी रहता है। झरने का यह पानी स्थानीय नाले से होता हुआ भद्रकाली नदी में मिल जाता है। इस गुफा में सबसे हैरत में डालने वाली चीजें सफेद और कुछ अन्य रंगों की चट्टानों पर बनी आकृतियां हैं। गुफा की दीवारें और छत तक ऐसी दर्जनों आकृतियों से भरी पड़ी है। ये आकृतियां ब्रह्मकमल, शेषनाग, शिव, ब्रह्मा, विष्णु तथा अन्य देवी-देवताओं जैसी नजर आती हैं। कुछ लोगों का मानना है कि सदियों से अंदर बहते झरने के पानी से चट्टान की परतें घिस जाने के कारण ऐसी आकृतियां बनी हैं। चार साल पहले इस गुफा को खोजने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अर्जुन माजिला ने बताया कि इस स्थल के विकास को लगातार मांग की जा रही है।