Author Topic: My Village Tourism & Religious Point of View-मेरा गाँव पर्यटन एवं धार्मिक नजर से  (Read 7400 times)

ramankulharia

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प्रिय मेहता जी,

दो वर्ष पूर्व मैं अपने परिवार के साथ पहली बार उत्तराखंड गया था, यह धार्मिक चारधाम की यात्रा थी और मैं पहले से यह सोच रहा था की चार धाम  के अलावा ज्यादा कुछ उत्तराखंड में नहीं होगा. मैं खुद ही कार चला रहा था और पहली बार कभी पहाड़ों में मेरा यह अनुभव था. ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग के रस्ते में हल्का रोमांचकारी अनुभव रहा और मेरा नजरिया बदलने लगा. उसके बाद मैं पुरे परिवार के साथ दस दिन तक उत्तराखंड में रहा. चारधाम की यात्रा चल रही थी फिर भी होटल होम स्टे धर्मशाला कुछ न कुछ हमें हर जगह मिला. अंतिम ४ दिन हमने कोई होटल नहीं लिया और जहा दिल किया वही रुक जाते थे गाँव में कोई न कोई घर ऐसा होता ही था जिनके यहाँ रुकने की वव्स्था होती थी. हमें विशेष लुक्सुरी नहीं चाहिए थी सिर्फ सादा खाना चाहिए होता था और सोने के लिए साफ़ सा बिस्तर जो हमें उचित दर पर हर जगह मिला. वापिस आने तक उत्तराखंड का मतलब समझ आ गया था.
अजीब विडंबना है की जिस धरती के हिस्से में एक एक गाँव सवर्ग  जैसा है तो फिर भी वह बहुत कम लोग घुमने के लिए जाते हैं. काफी सोच विचार के बाद मैंने और मेरे दोस्तों ने रुरल परिक्रमा शुरू करने का प्रोग्राम बनाया है. अभी यह शुरूआती दौर में है. लेकिन इसका प्रयोजन बिलकुल यही है की पर्यटन को वह पहुचाया जाये जहा यह पहूचना चाहिए, जैसे की आपका गाँव.
यह कैसे होगा कैसे किया जाये इस बारे में अभी सोच विचार चल रहा है, लेकन जैसे ही कार्य शुरू होगा अवश्य ही आप से मिलेंगे...
धन्यवाद
रमन


 

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