जीवन की परंपरागत शैली
मवेशियों को चराने तथा खेती करना आज भी इर्द-गिर्द के गांवों तक ही सीमित हैं परंतु नरेन्द्र नगर में नहीं।
चावल, मक्का, गेहूं, झंगोरा, आलू तथा उड़द परंपरागत फसलें थी जो शहर के इर्द-गिर्द चौरस या चबूतरानुमा खेतों में उपजायी जाती थीं और आज भी ऐसा ही है।
अन्य परंपरागत पेशों में राजदरबार की नौकरी थी जो बाद में प्रांत के प्रशासन में सरकारी पदों में परिवर्तित हो गया। परंतु आज शहर में ऐसे बहुत कम अवसर होते हैं तथा लोगों को रोजगार की तलाश में शहर के बाहर जाना पड़ता है।