भूतपूर्व रजवाड़े के इस शहर की साफ, सुथरी स्थिति आज भी प्रमाणित होती है। आज भी अस्पताल एवं सचिवालय जैसे भवनों का इस्तेमाल होता है। वर्ष 1919 में ही बाजार के मकानों का निर्माण हुआ। इसमें पहले राजा के कर्मचारी रहते थे जहां निचली मंजिल पर घोड़े रखे जाते थे एवं ऊपरी मंजिल पर कर्मचारियों का आवास था।
1900 सदी के प्रारंभ में नरेन्द्र नगर उस समय के अंग्रेजों का एक प्रिय स्थल होता था। वर्ष 1910 में तत्कालीन भारतीय वायसराय लॉर्ड लिनलिथगों एवं उनके काफिले को ठहराने के लिये मूल राजमहल में एक अतिरिक्त एनेक्सी राजमहल जोड़ा गया क्योंकि वे प्राय: ही नरेन्द्र नगर आते थे।
इन वर्षों में राजमहल में कई गणमान्य अतिथियों यथा स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री, स्वर्गीय इन्दिरा गांधी भारतीय प्रधानमंत्रियों का तथा आध्यात्मिक नेताओं का आनंदमयी एवं स्वामी शिवानंद के साथ ही अंतिम अंग्रेज वायसराय लार्ड लुईस माउंटबेटन का भी आगमन हुआ। अब राजमहल के इस एनेक्सी में आनन्दा इन हिमालयाज रिसार्ट है।