शिखर जैसे की नाम से ही प्रतीत है, कोई जगह जो बहुत ऊँचाई पर है!
इस अति रमणीय स्थान पर भगवान् मूल नारायण जी का मंदिर है ! मंदिर से समूचे उत्तराखंड के कई हिस्से देखे जा सकते है! शिखर में देखने के लिए प्रमुख जगह यह है की यहाँ से आप पर्वत श्रंखलाओ को नजदीग से देख सकते है और पहाड़ के सौन्दर्य का लुफ्त उठा सकते है !
शिखर मंदिर से लगभग १ किलोमीटर की दूरी पर है एक गुफा जहाँ गुफा के अन्दर से पानी आता है और यही पानी मंदिर में इस्तेमाल होता है!
पौराणिक कथा के अनुसार जब नंदा देवी भगवान् मूल नारायण को अपने पीठ पर लाद इस जगह पर लायी थी तो उनको यह जगह काफी पसंद आया था और भगवान् ने इसी स्थली को अपना निवास स्थान बनाया !
यहाँ पहुचने पर मूल भगवान् ने नंदा माता से पानी लाने के लिए कहा, इतने ऊँचे जगह और पानी! तब मूल नारायण भगवान् ने नंदा माता से कहा बुवा.. मै एक फल को गिरता हूँ और जहाँ यह फल रुकेगा वही पानी मिलेगा! यह फल लुडकते -२ इस गुफा के अन्दर चला गया जिसे बिंगर कहते है और वहां से नंदा देवी मूल नारायण के लिए पानी ले आयी थी. ऐसा पौराणिक कथाओ में पड़ने को मिलता है !