नैनी झील की कभी कैचमेंट रही सूखाताल झील की 30 मीटर परिधि से अतिक्रमण हटाने तथा निर्माण को प्रतिबंधित करने के हाईकोर्ट के आदेश के बाद जहां जिला प्रशासन झील के पुराने स्वरूप को लौटाने की कवायद कर रहा है, वहीं अतिक्रमणकारियों का एक धड़ा झील के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान लगा रहा है, लेकिन वास्तविकता इसके बिल्कुल उलट है।
याचिकाकर्ता प्रो. अजय रावत का कहना है कि पीटर बैरन की पुस्तक ‘वांडरिंग इन द हिमाला’ में सूखाताल का जिक्र है। यह झील लोक परंपरा के साथ भी जुड़ी रही।
नैनीझील में स्नान करने वाले लोग सूखाताल को देवी का निवास मानते हुए वहां मत्था टेकते थे और बारापत्थर से शहर से बाहर जाते थे। उन्होंने कहा कि 1971 में वेटलैंड (साल भर पानी से भरी रहने वाली भूमि अथवा दलदल) के संरक्षण के संबंध में अंतरराष्ट्रीय संधि पर भारत समेत 168 देशों ने हस्ताक्षर किए थे।